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राहुल को अमेठी में सताया हार का डर, तीन सीटों से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव!

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कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी को अपनी परंपरागत अमेठी सीट पर इस बार हार का डर सता रहा है। यही वजह है कि राहुल गांधी इस बाद अमेठी के साथ-साथ दो और लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी अमेठी के अलावा महाराष्ट्र के नांदेड़ और मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। महाराष्ट्र की नांदेड़ और मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट को कांग्रेस को गढ़ के रूप में देखा जाता है। छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व कई दशकों से कमलनाथ करते रहे हैं और वो मौजूदा समय में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इसके साथ ही नांदेड़ महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण का संसदीय क्षेत्र है और कांग्रेस वहां से चुनावों में विजयी होती रही है।

अमेठी में आसान नहीं है राहुल की राह
गांधी परिवार की परंपरागत सीटों रायबरेली और अमेठी पर कई बार से गांधी खानदान का ही कोई सदस्य चुनाव जीतता आ रहा है। इन दो सीटों को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इसके बाबजूद आखिर राहुल गांधी को यहां हाल का डर क्यों सता रहा है। जानकारों का कहना है कि दरअसल इस डर के पीछे वजह भी है। आम चुनाव 2014 में राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी ने स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा था। स्मृति ईरानी के लिए अमेठी निर्वाचन क्षेत्र नया था। लेकिन महज 15 दिनों के जबरदस्त चुनावी अभियान में उन्होंने फिजा बदल दी। स्मृति ईरानी के चुनावी प्रचार का असर नतीजों में भी दिखाई दिया। अमेठी से जहां कांग्रेस प्रत्याशी और विरोधी उम्मीदवारों के बीच अंतर पांच लाख वोटों से ज्यादा होता था वो अंतर सिमट कर महज एक लाख रह गया था।

अमेठी में स्मृति देंगी राहुल को कड़ी टक्कर
पिछले लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी भले ही अमेठी से हार गईं हों, लेकिन उन्होंने अमेठी को अपना घर बना लिया। पिछले साढ़े चार वर्षों में शायद ही ऐसा कोई महीना रहा हो जब वो अमेठी में न रहीं हों। ये बात सच है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अमेठी में कांग्रेस को वॉक ओवर दे दिया है। लेकिन गैर यादव मतों को बीजेपी मजबूती के साथ अपनी झोली में डालने की कवायद में वर्षों से जुटी है। इसके अलावा 2014 में बीएसपी उम्मीदवार को महज 57 हजार वोट मिले थे। बताया जाता है कि बीएसपी के परंपरागत मतों में बिखराव हुआ था। दलित समाज से जुड़े युवाओं में ये धारणा बनी कि अब एक नई सोच वाली पार्टी को मौका देने की जरूरत है, जो अलग कलेवर में सबके सामने है।

नांदेड़ और छिंदवाड़ा सीटें अमेठी की तुलना में अधिक सुरक्षित
यानि अब अमेठी सीट राहुल गांधी के लिए सुरक्षित नहीं रही है। ऐसे में उन्होंने दूसरी सीटों पर नजर गड़ा दी है। मौजूदा परिस्थियों में मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा और महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट अमेठी की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं। जाहिर है कि यूपी में कांग्रेस के पास संगठन के नाम पर कुछ नहीं है, जबकि महाराष्ट्र और एमपी में कांग्रेस का संगठन है और वहां जनाधार वाले स्थानीय नेता भी हैं। ऐसे में राहुल गांधी अमेठी के साथ इऩ दोनों सीटों पर भी चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी अमेठी की संभावित हार और सीट बदलने के मुद्दे को यह कह कर छिपा रही है कि राहुल गांधी को पूरा देश देखना है और तीन राज्यों में उनके चुनाव में उतरने से पार्टी कार्यकर्ताओँ का हौसला बड़ेगा, साथ ही कांग्रेस की सीटों की संख्या भी बढ़ेगी।

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