Home विचार 10 जनपथ के नजदीकी पत्रकारों की न्यायाधीशों से निकटता से उठते सवाल

10 जनपथ के नजदीकी पत्रकारों की न्यायाधीशों से निकटता से उठते सवाल

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जस्टिस चेलमेश्वर 22 जून 2018 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए हैं। आम तौर पर इन्हें एक ईमानदार जज माना जाता रहा है, लेकिन अपने कार्यकाल के अंतिम एक साल में इन्होंने न्यायालय की गरिमा गिराने का काम किया है। यह आरोप इसलिए लग रहे हैं कि इनके समय में इन्हीं के माध्यम से राजनेताओं, मीडिया और न्यायाधीशों की दोस्ती का नया ‘नेक्सस’ उभरकर सामने आया है।

12 जनवरी, 2018 को सर्वोच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने चीफ जस्टिस के विरुद्ध प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश में न्यायालयों के प्रति भी ‘अविश्वास’ का माहौल बनाने की कोशिश की। इस प्रकरण में जिस तरह से इन न्यायाधीशों का व्यवहार निकलकर सामने आया इससे लगता है कि ये पार्टी विशेष के राजनेताओं के हाथों के खिलौने हों और उन्हीं के निर्देशों का अनुसरण कर रहे हों।

यह बात तब भी सही साबित होती लगी जब रिटायरमेंट के दौरान दस जनपथ से करीबी रिश्ता रखने वाले पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने उनसे मुलकात की। माना जा रहा है कि उन्होंने 10 जनपथ से मैडम गांधी का कोई संदेश पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर तक पहुंचाया है।

सोनिया गांधी के वफादारों में राजदीप सरदेसाई
राजदीप सरदेसाई के बारे में आम तौर पर सभी जानते हैं कि वे कांग्रेस के करीबी हैं। ‘नोट फॉर वोट’ का सीडी दबा कर सोनिया गांधी के प्रति अपनी वफादारी भी वह दिखा चुके हैं। गुजरात दंगे में तीस्ता सीतलवाड़ के साथ मिलीभगत कर की गई उनकी रिपोर्टिंग ने किस तरह से कांग्रेस को फायदा पहुंचाया, यह किसी से छिपा नहीं है।

 

10 जनपथ के विश्वासपात्रों में से हैं शेखर गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ सार्वजनिक रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने में जहां पत्रकार शेखर गुप्ता ने मदद की थी। शेखर गुप्ता जस्टिस चेलमेश्वर के साथ पत्रकार वार्ता करने वाले चार जजों के पीछे खड़े थे। जाहिर है सवाल उठ रहे हैं कि 10 जनपथ से ताल्लुक रखने वाले शेखर गुप्ता जैसे पत्रकार अब न्यायालयों के एजेंडा भी सेट कर रहे हैं? क्या यह यह भी साफ नहीं हो रहा है कि जजों के इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के पीछे भी कांग्रेस की मिलीभगत थी?

राजदीप और शेखर को कांग्रेस सरकार में मिल चुका है पद्म पुरस्कार
सोनिया महमोहन की सरकार में राजदीप सरदेसाई और शेखर गुप्ता दोनों को पद्म पुरस्कार मिल चुका है। ताज्जुब देखिए कि सोनिया गांधी ने चार जिन पत्रकारों को साक्षात्कार दिया है, उनमें ये दोनों शामिल हैं। तीसरे राजीव शुक्ला भी कांग्रेस के नेता हैं और निजी न्यूज चैनल के भी मालिक हैं। जबकि इंटरव्यू लेने वालों में चौथे पत्रकार टुडे ग्रुप के अरुणपुरी शामिल हैं।

कुमार केतकर ने अभय महादेव थिप्से को कांग्रेस में शामिल करवाया
जज लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट, मुख्य न्यायाधीश, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और मोदी सरकार पर हमला करने वाले मुंबई हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अभय थिप्से को भी कांग्रेस में पत्रकार कुमार केतकर ने शामिल कराया है। कुमार केतकर मराठी अखबार लोकसत्ता में संपादक की भूमिका निभा चुके हैं। पूर्व जज अभय थिप्से के साथ राहुल गांधी की मुलाकात वाली फोटो में केतकर की मौजूदगी (दायें से प्रथम) इसका बड़ा प्रमाण है।

कुमार केतकर को राज्यसभा भेजकर कांग्रेस ने दिया है पुरस्कार
कुमार केतकर को कांग्रेस ने लॉबिंग के पुरस्कार स्वरूप ही 12 मार्च 2018 को राज्यसभा में भेजा है। दरअसल कुमार केतकर पीएम नरेंद्र मोदी को फासिस्ट कहने वालों में प्रमुख पत्रकारों में से एक हैं। वो गर्व से कहते हैं कि ‘मुझे सोनिया व राहुल गांधी ने राज्यसभा भेजा है।’ जाहिर है एक जज को कांग्रेस में शामिल करा कर उन्होंने बखूबी एक लॉबिस्ट की भूमिका को अदा किया है।

पीएम मोदी के विरुद्ध प्रोपेगैंडा चलाते हैं कांग्रेस परस्त पत्रकार
‘द वायर’ के जरिए फेक न्यूज फैलान वाले सिद्धार्थ वरदराजन और चिदंबरम प्रिय वेणु, 2जी मामले में सबसे बड़ी लुटियन लॉबिस्ट के रूप में सामने आ चुकी बरखा दत्ता और संयुक्त राष्ट्र संघ के जरिए मोदी सरकार पर हमला करवा चुकी राणा अयूब, ट्वीटरबाजी से लेकर विदेशी अखबारों में मोदी सरकार और हिंदू समाज पर हमला कर 10 जनपथ में फिर से जगह बनाने के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि फिलहाल तो शेखर-राजदीप-केतकर सबसे पावरफुल बन चुके हैं। 

दरअसल राम मंदिर कांग्रेस के लिए एक बड़ा मसला है, जिसकी सुनवाई 2019 तक टालने के लिए कांग्रेस ने अपने वकील कपिल सिब्बल के जरिए पूरा जोर लगा रखा है। अब न्यायपालिका को प्रभावित करने, प्रोपोगंडा खड़ा करने और सुप्रीम कोर्ट-मोदी सरकार मिली हुई है, जैसा परसेप्शन बनाने के लिए ये तीन बड़ी भूमिका में आ चुके हैं! जाहिर है ये बात लगातार साबित होती रही है कि कांग्रेस सरकारों ने न्यायालय को अपने मन मुताबिक चलाया है और उसका इस्तेमाल भी किया है।

वामपंथी नेता डी राजा से रिश्ते चेलमेश्वर के हैं गहरे रिश्ते!
जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा था कि ‘‘सरकार और न्यायपालिका के बीच जरूरत से अधिक मित्रता लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।” लेकिन यह एक सच्चाई है कि कम्युनिस्ट नेता डी राजा से जस्टिस चेलमेश्वर के अच्छे ताल्लुकात हैं। जब जस्टिस चेलमेश्वर की अगुआई में चारों जज प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए थे तो उनसे पहले प्रशांत भूषण और कई कांग्रेस परस्त पत्रकारों को इस बात की खबर पहले से थी।

 

1 COMMENT

  1. जज भी एक इंसान कोई भगवान नही।
    अब राजा विकर्मादित्य की तरह इंसाफ कर पाएगे।
    सब चोर घुसखोर है।

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