Home नरेंद्र मोदी विशेष लोक कल्याण के लिए प्रधानमंत्री मोदी के ऐतिहासिक निर्णय

लोक कल्याण के लिए प्रधानमंत्री मोदी के ऐतिहासिक निर्णय

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की बागडोर अपने हाथों में ली है वे देश की जनता को हर स्तर पर सशक्त करने पर जोर दे रहे हैं। विशेष तौर पर गरीब-गुरबों को सशक्त करने पर उनका बल है। प्रधानमंत्री जन धन योजना, जीवन ज्योति योजना, जीवन सुरक्षा योजना, अटल पेंशन योजना, सुकन्या योजना, आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के बाद मोदी सरकार एक और मेगा स्कीम लांच करने जा रही है।

यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी के तहत आएंगे 50 करोड़ लोग
देश में गरीबों और निचले तबके के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार अपनी सबसे बड़ी स्कीम पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करीब 50 करोड़ लोगों को यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी के तहत लाया जाएगा। श्रम मंत्रालय पिछले कुछ समय से इस स्कीम का खाका तैयार करने में जुटा था। इस स्कीम का फायदा उन लोगों को होगा जो अभी मेहनत-मजदूरी, दिहाड़ी काम या खेती करके रोटी-रोटी चलाते हैं। ऐसे लोगों को सरकार पेंशन देगी, अगर अचानक मौत या अक्षमता आ जाती है तो उसका मुआवजा भी मिलेगा। साथ ही लोगों के पास मेडिकल खर्चों और बेरोजगारी भत्ते का भी विकल्प होगा।

गरीब-गुरबों के लिए 2 लाख करोड़ की मेगा स्कीम होगी लॉच
पीएम मोदी की हरी झंडी मिलने के बाद अब वित्त और श्रम मंत्रालय जोर-शोर से इसके अमल में जुट गया है। देश में मेहनत मजदूरी करने वाले तबके की सबसे निचली 40 प्रतिशत आबादी के लिए इस स्कीम को लागू करने के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया गया है। इस तबके को स्कीम में अपनी तरफ से कोई पैसा नहीं देना होगा। जबकि बाकी 60 प्रतिशत आबादी को अपनी जेब से कुछ हिस्सा देना पड़ेगा। इस स्कीम में हर व्यक्ति को एक यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी कोड दिया जाएगा। प्रधानमंत्री खुद इस स्कीम के अमल पर निगरानी रखेंगे। फिलहाल ये स्कीम सबसे पहले सबसे गरीब तबके के लिए होगी। आगे चलकर 5 से 10 साल में 50 करोड़ लोग इसके दायरे में आ चुके होंगे।

गरीबों के लिए स्वास्थ्य बीमा आयुष्मान भारत का आगाज
आयुष्मान भारत यानि नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम पर अमल का काम भी शुरू हो चुका है। इसके तहत 10 करोड़ सबसे गरीब परिवारों को 5-5 लाख रुपये का हेल्थ कवर दिया जा रहा है। 14 अप्रैल को बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिले बीजापुर से इस स्कीम की शुरुआत की। इसके तहत देश भर में अस्पताल और वेलनेस सेंटर खोले जाएंगे। गरीब परिवारों के पास कैशलेस कार्ड होगा, जिसे दिखाकर वो अपना इलाज करवा सकेंगे। हर परिवार को एक साल में 5 लाख रुपये तक इलाज पर खर्च करने की लिमिट होगी।

जनधन खाते 31 करोड़ से अथिक, डिपॉजिट में भारी वृद्धि
स्वतंत्रता प्राप्ति के 66 वर्षों तक देश में पचास करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते ही नहीं थे। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर अगस्त 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना ने देश में क्रांति लाकर रख दी है। यह योजना विश्व में अनूठी है क्योंकि बैंकिंग, सेविंग, डिपॉजिट, लेन-देन, कर्ज, बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं मिलती हैं। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जनधन योजना की जमा राशि में मार्च 2017 के बाद से लगातार वृद्धि हो रही है। खातेदारों की संख्या 11 अप्रैल 2018 को बढ़कर 31.45 करोड़ हो गई, वहीं जमा राशि भी बढ़कर 80 हजार करोड़ के पार पहुंच गई। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में जितने नए बैंक खाते खोले गए हैं, उनमें से 55 प्रतिशत भारत में हैं।

माहवार आंकड़ा  खाते में जमा रकम (करोड़ में)
दिसंबर 2017 73,878
फरवरी 2018 75,572
मार्च 2018  78,494
11 अप्रैल, 2018 तक 80,545
वर्षवार ब्योरा खाते खुले (करोड़ में)
नवंबर, 2016  25.51
जनवरी, 2017 26.5
11 अप्रैल, 2018 31.46

 

बीते 46 महीनों के प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल पर ध्यान दें तो उनकी कही गई बात अक्षरश: सही है। उन्होंने देश के गरीबों के उत्थान के लिए कई कार्यक्रम किए, नई योजनाएं बनाईं और यह भी ध्यान रखा कि गरीबों की आशा आकांक्षाएं पूरी हो सके। आइये मोदी सरकार द्वारा किए गए कुछ पहल और योजनाओं के बारे में जानते हैं जो पूर्णत: देश की गरीब जनता को समर्पित हैं-

2025 तक टीबी मुक्त होगा भारत
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टीबी को 25 साल पहले आपातकाल वाली बीमारी घोषित किया था। शोषित और वंचित समाज के बीच इसका अधिक प्रसार है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे मिशन मोड में देश से निर्मूल करने के लिए 13 मार्च, 2018 को एक अभियान की शुरुआत की । दुनिया में इस बीमारी के निर्मूलन के लिए 2030 का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन पीएम मोदी ने इस लक्ष्य को 2025 तक कर दिया है।

इंद्रधनुष योजना से स्वस्थ होता समाज
देश में सभी बच्चों को टीकाकरण के तहत लाने के लिए 25 दिसंबर, 2014 को मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की। इसके तहत सरकार देश के उन इलाकों तक टीकाकरण अभियान को पहुंचा रही है, जहां पहले से चले आ रहे टीकाकरण अभियानों की पहुंच नहीं थी। पहले सरकार का लक्ष्य 2020 तक देश में पूर्ण टीकाकरण कवरेज को हासिल करना था अब इसे 2018 तक हासिल करने के लिए मिशन इंद्रधनुष के साथ ही ‘इंटेन्सिफाइड मिशन इंद्रधनुष’ की शुरुआत की गई है।

जीवन ज्योति योजना से नई रोशनी
09 मई, 2015 को ही प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना की शुरुआत की गई। इसके तहत 330 रुपये के वार्षिक प्रीमियम पर दो लाख का बीमा दिया जाता है।  11 अप्रैल, 2018 तक 5.33 करोड़ लोगों ने पंजीकरण करवाया है। 

सुरक्षा बीमा योजना से सुरक्षित भविष्य
9 मई, 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने तीन योजनाओं की शुरुआत की। इनमें जन सुरक्षा बीमा योजना है जिसका प्रीमियम मात्र 12 रुपये वार्षिक है। सुरक्षा बीमा योजना के तहत दो लाख तक का दुर्घटना बीमा मिलता है। 11 अप्रैल 2018 तक 13 .48 करोड़ लोगों ने इस बीमा में पंजीकरण करवाया है। 

खुले में शौच से मुक्ति अभियान
देश में खुले में शौच एक बड़ी समस्या है। विशेषकर गरीबों के बस की बात नहीं होती थी कि वह शौचालय का निर्माण करा सके। केंद्र सरकार ने जरूरतमंदों को 12 हजार रुपये की सहायता दी जिसके बाद देश के ग्रामीण इलाकों में करीब 4 करोड़ से अधिक और शहरों में करीब 31 लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण करवाया गया।

गरीबों के लिए सुनिश्चित आवास
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 2019 तक एक करोड़ गरीबों को पक्के मकान देने की तैयारी है। जबकि शहरों में 2022 तक दो करोड़ गरीबों को पक्का घर बना के दिया जाना है। प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्त्वाकांक्षी योजना को युद्धस्तर पर क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके लिये सरकार युद्धस्तर पर जुट गई है। जाहिर है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में मूल रूप से दलित, पिछड़े और आदिवासियों को ही इसका फायदा मिलेगा।

उज्ज्वला योजना से धुएं से मुक्ति
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत कुल 8 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जाने हैं। 1 मई 2016 को योजना शुरू होने के बाद से अब तक 3 करोड़ 59 लाख से ज्यादा महिलाओं को गैस कनेक्शन दिये जा चुके हैं। उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण और गरीब महिलाओं के जीवन के प्रति नजरिये को सकारात्मक रूप से बदलने का काम किया है।

सुरक्षित मातृत्व अभियान में जननी की चिंता
वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) की शुरुआत हुई। इस अभियान के माध्यम से अब तक एक करोड़ से अधिक महिलाएं लाभांवित हो चुकी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार अब तक 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को पीएमएसएमए का लाभ मिला है। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्‍म के लिए तीन किस्‍तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्‍साहन दिया जाता है।

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की शुरुआत
गरीबों को सस्ती और सुलभ दवाएं सुनिश्चित करना इस सरकार की प्राथमिकता में रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के तहत खोले गए प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र के माध्यम से मामूली कीमतों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। जन औषधि स्टोर से गरीबों के लिए सस्ती दवाओं के साथ उन्हें मुफ्त जांच करवाने की सुविधा भी दी जा रही है। मार्च, 2018 तक पूरे देश में 3214 जन औषधि केंद्र खोले गए हैं।

एलईडी बल्ब योजना से दूर हो रहा अंधेरा
मोदी सरकार का लक्ष्य गरीबों तक बिजली के सस्ते संसाधन पहुंचाने के लिए कार्य कर रही है। इसी के तहत उजाला योजना की शुरात की गई। इस योजना के तहत आम घरों में एलईडी बल्ब बांटे जा रहे हैं। मोदी सरकार 27 फरवरी 2018 तक इस योजना के तहत 29,62,46,228 बल्ब बांट चुकी है। एलईडी बल्बों से जहां 37,687 मिलियन किलोवाट बिजली की खपत में कमी आई है, वहीं हर वर्ष 15,075 करोड़ रुपये भी बच रहे हैं। एलईडी बल्ब के प्रयोग से लगभग 25 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम बचाई जा चुकी है।

सौभाग्य योजना से घर-घर बिजली
मोदी सरकार ने आते ही यह पता लगाया कि 18, 452 गांवों में आजादी के बाद से अब तक बिजली नहीं पहुंची है। 1 मई, 2018 तक हर गांव में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। इस पर 75, 600 करोड़ रुपये खर्च करना तय हुआ। 20 अप्रैल, 2018 तक 17, 123 गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है। दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत देश के 5, 97, 464 गांवों में से 594,006 गांवों में बिजली पहुंचा दी गयी है। ये संख्या भारत के कुल गांवों का 99.4 प्रतिशत है। दलित-आदिवासी और पिछड़े जो अब तक अंधेरे में रहने को मजबूर थे, उन्हें रोशनी मिल गयी है। ये लोकप्रियता के लिये नहीं हो रहा है, ये गरीबों के कल्याण के लिये है।

100 पिछड़े जिलों का उत्थान योजना
पिछड़ों और गरीबों के कल्याण के लिये मोदी सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि सरकार ने सबसे पहले देश के सबसे पिछड़े 100 जिलों में ही पहले विकास की योजना बनाई है। इस योजना पर नीति आयोग बाकी संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से काम करेगा। ये बात किसी से छिपी नहीं कि सबसे पिछड़े जिलों का मतलब क्या है? ये वो जिले होते हैं जहां आम तौर पर दलित और आदिवासियों की तादाद अधिक होती है। यानी मोदी सरकार की नजर जरूरतमंदों के उत्थान पर है, अपनी लोकप्रियता पर नहीं।

आदिवासी कल्याण के लिए बजट में वृद्धि
केंद्रीय बजट 2018-19 में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आवंटन में वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है। अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए धन के आवंटन को बढ़ाकर क्रमश: 56,619 करोड़ रुपये और 39,135 करोड़ रुपये किया गया। इससे पहले के भी बजट में आदिवासी कल्याण के लिए मोदी सरकार ने लगातार बजटीय वृद्धि की है। वर्ष 2016-17 में 4827.00 करोड़ से बढ़कर  वर्ष 2017-18 में  5329.00 करोड़ कर दिया गया।

72 नए एकलव्य विद्यालयों को मंजूरी
पिछले तीन वर्षों में 51 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल  बनाए गए। 2017-18 में 14 ऐसे स्कूलों को मंजूरी दी गई जिसके लिए 322.10 करोड़ की राशि जारी की गई। अब 190 से बढ़ाकर ऐसे 271 स्कूलों की मंजूरी मंत्रालय दे चुका है । केंद्र में एनडीए सरकार बनने से पहले देश में महज 110 ईएमआरएस चल रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनजातीय शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के चलते महज तीन वर्षों में 51 ईएमआरएस शुरू हुए। इस वक्त देश के  कुल 161 ईएमआरएस विद्यालयों में 52 हजार से ज्यादा आदिवासी छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने पिछले तीन वर्षों में 72 नए ईएमआरएस विद्यालयों की स्वीकृति प्रदान की है।

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