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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में युवा सोच को मिल रही ताकत, स्टार्ट-अप इनोवेशन्स से बदल रहे अपनी तकदीर

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”स्टार्ट-अप सिर्फ नाम नहीं है, इसे हम युवाओं की सोच बनाना चाहते हैं।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को नरेन्द्र मोदी ऐप के माध्यम से युवा स्टार्ट-अप एंटरप्रेन्योर से बातचीत करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ”भारत अपार महत्वाकांक्षाओं का राष्ट्र है। नव विचारों, नव आविष्कारों, नव पथ पर चलकर सफलता तक पहुंचने को तत्पर राष्ट्र है, और देश के युवा इसे सिद्ध कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, ”देश का युवा सशक्त और समर्थ बन रहा है। अपनी शक्ति, अपनी सोच, अपने कौशल और अपने इनोवेटिव आइडिया से आगे बढ़ रहा है।”

गौरतलब है कि देश के युवाओं के सपनों को बल देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने स्टार्ट-अप इंडिया की शुरुआत की थी। बीते तीन सालों में ही स्टार्ट-अप के क्षेत्र में आज भारत का अहम स्थान है और उसने ग्लोबल स्टार्ट-अप इको-सिस्टम में खुद को प्रतिष्ठित किया है।  

स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में भारत का अहम स्थान
स्टार्ट-अप के क्षेत्र में मेक इन इंडिया का एक महत्वपूर्ण पहलू है। दरअसल मेक इन इंडिया एक ऐसा ब्रांड बन गया है, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में है। गौरतलब है कि चार साल पहले भारत में मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ दो फैक्ट्रियां थीं, आज 120 फैक्ट्री हैं। तथ्य यह भी है कि 45 प्रतिशत स्टार्ट-अप्स महिलाओँ द्वारा शुरू किए गए हैं। आज एक स्टार्ट-अप औसतन 12 लोगों को रोजगार देता है। इसी का परिणाम है कि आज भारत दुनिया में एक बहुत बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है।

स्टार्ट-अप फंड की कमी को मोदी सरकार ने किया दूर
स्टार्ट-अप सेक्टर में आगे बढ़ने के लिए लोगों से पर्याप्त पूंजी और लोगों से जुड़ना बेहद जरूरी है। इसके लिए आगे बढ़ने में फंड की कमी एक बड़ी समस्या थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस समस्या को खत्म कर दिया। युवाओं को इनोवेशन्स की सुविधा प्रदान करने के लिए मोदी सरकार ने ‘धन का निधि’ शुरू किया। इसमें 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। यही नहीं एक वक्त वह भी था जब स्टार्ट-अप सिर्फ डिजिटल और टेक इनोवेशन के लिए बना था। अब हालात बदल चुके हैं और कई कृषि, सामाजिक क्षेत्र, मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में स्टार्ट-अप आ गए हैं।

मोदी सरकार के प्रयासों से गांवों तक फैला स्टार्ट-अप
मोदी सरकार ने स्टार्ट-अप के क्षेत्रों को जहां विस्तार दिया, वहीं इसका दायरा भी बढ़ाया। स्टार्ट-अप अब केवल बड़े शहरों में नहीं हैं। छोटे शहर और गांव वाइब्रेंट स्टार्ट-अप केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। गौरतलब है कि पहले ज्यादातर स्टार्ट अप टायर-1 सिटी में केंद्रित रहते थे, लेकिन अब यह टायर-2 टायर-3 जैसे शहरों में ले में शुरू हो गए हैं। स्टार्ट-अप कार्यक्रम के तहत 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 419 जिलों में स्टार्टअप्स फाइल हुए हैं। इनमें से 44 प्रतिशत स्टार्ट-अप टायर-2 और टायर-3 सिटीज में हैं। लगभग आधे स्टार्ट-अप मध्यम शहरों और गांवों में विकसित हो रहे हैं।

इंडिया-इजरायल इनोवेशन चैलेंज से स्टार्ट-अप को मिल रही नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से ही पिछले साल इजरायल से मिलकर इंडिया-इजरायल इनोवेशन चैलेंज शुरू किया था। इससे भारत और इजरायल में स्टार्ट-अप इको-सिस्टम के बीच प्रौद्योगिकी और बेस्ट प्रैक्टिसेज के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिल रहा है। दरअसल यह मंच ‘कॉम्पिटिशन से क्रिएटिविटी’ को निखारने की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन का काम कर रहा है। इसी के तह एग्रीकल्चर सेक्टर में बदलाव लाने के लिए एग्रीकल्चर ग्रांड चैलेंज भी शुरू किया गया है। अटल न्यू इंडिया चैलेंज जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसमें जीतने वाले को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

68 हजार से ढाई लाख तक पहुंचा ट्रेड मार्क रजिस्ट्रेशन
स्टार्ट-अप इंडिया के शुरू होने के बाद ट्रेड मार्क रजिस्ट्रेशन में भी वृद्धि हुई है। 2013-14 में लगभग 68,000 ट्रेड मार्क रजिस्टर होते थे, लेकिन महज चार साल में ही अब ये आंकड़ा ढाई लाख से भी ऊपर पहुंच गया। पेटेंट रजिस्ट्रेशन में भी जबरदस्त तेजी आई है। पहले चार हजार के करीब पेटेंट रजिस्टर होते थे और अब 11, 500 पेटेंट रजिस्टर हुए हैं।  पीएम मोदी की पहल पर ही सहायकों की एक टीम बनाई है जो स्टार्ट-अप के लिए एंटरप्रेन्योर्स को कानूनी मदद भी मुहैया करवा रही है।

आइडिया और इनोवेशन्स को मिल रहा सम्मान, बदलते भारत की यही पहचान
प्रधानमंत्री मोदी अक्सर कहते हैं,  ”भारत एक युवा देश है, जहां की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। मैं मानता हूं कि यही देश की सबसे बड़ी ताकत है। हमारा लक्ष्य रहा है कि यह डेमोग्राफिक डिविडेंट ही भारत का ड्राइविंग फोर्स बने।” पीएम मोदी के इस आह्वान से देश के युवा प्रेरित हुए हैं इसे तहेदिल से अपनाया भी है।

देहरादून की स्वाति ने कहा, ”पीरियड पेन रीलीफ डिवाइस के लिए यूनिट लगाना चाहती थी। स्टार्ट-अप इंडिया के माध्यम से बहुत सपोर्ट मिला। मेंटरिंग सपोर्ट मिला, बिजनेस वर्कशॉप किया गया। अभी मैन्युफैक्चरिंग स्टेज पर ले जाने के लिए भी स्टार्ट-अप इंडिया मदद कर रहा है।”

गुवाहाटी, असम के हेमेंद्र दास ने कहा, ”ऑयल सेक्टर पर स्टार्ट-अप शुरू किया है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। 5 लाख का इनाम मिला और ऑयल इंडिया ने 75 लाख रुपये की ग्रांट दी है। स्टार्ट-अप इंडिया मिशन से बहुत मदद मिली है।”

बेंगलुरु के कौशिक ने कहा, ”अपना हार्डवेयर का काम शुरू किया है। पहले पेटेंट फाइल करने का एक से डेढ़ लाख लगता था। अब 6 पेटेंट के लिए 18 हजार खर्च हुए हैं। साथ ही फीस पर भी रिबेट मिल रहा है।”

बेंगलुरु के शिकंबरम ने कहा, ”बाइक की हाईब्रिड टेक्नोल़ॉजी विकसित की है, लेकिन तीन साल से पेटेंट पेंडिग था। 2017 में स्टार्ट-अप में रजिस्ट्रेशन करवाया तो जल्दी ही पेटेंट मिल गया। इसके साथ ही हमने दो और पेटेंट फाइल कर दिया है।”

देहरादून के सिद्धार्थ ने कहा, ”स्टार्ट-अप इंडिया से बहुत मदद मिली है।  हमारा स्टार्ट-अप किसानों से एग्रोवेस्ट खरीदता है और एंजाइम का प्रोडक्शन करता है। इस एंजाइम को हम पॉल्ट्री, कैटल और फिशरीज में दिया जाता है, जिससे किसानों की आय बढ़ रही है। हमारी सात लोगों की टीम है और बीस किसान हमसे जुड़े हैं।”

छत्तीगढ़, रायपुर के राजीव राय ने कहा, ”एक साल से अपना काम शुरू किया है जिसके लिए 43 इंकूबेटर्स लगाए हैं। इसके तहत 300 से अधिक लोगों को नौकरी दी है। इसे करने में अटल इनोवेशन मिशन के तहत वित्तीय मदद मिली है।”

दरअसल बेंगलुरू के अरुण चंदू, देहरादून के रजत जैन, गोवा की निधि ठाकुर जैसे चंद यवाओं की सफलता की ये दास्तान है। लेकिन यह सब उस बदलते भारत की भी पहचान है, जहां हमारा युवा रोजगार मांगने वाला नहीं देने वाला बन रहा है।

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