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एजेंडा पत्रकारिता के ‘प्रतीक’ सिन्हा

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निष्पक्ष पत्रकारिता, प्रजातंत्र में जनता का विश्वास बढ़ाता है और पत्रकार को सम्मान देता है, लेकिन जब निष्पक्ष पत्रकारिता पर स्वार्थ हावी होने लगता है, तो देश के विकास में यही सबसे बड़ा बाधक बन जाता है। प्रतीक सिन्हा, उन पत्रकारों में से हैं, जो पत्रकारिता से अपने स्वार्थ का एजेंडा चलाते हैं। प्रतीक सिन्हा का एक ही एजेंडा है कि प्रधानमंत्री मोदी का किसी भी तरह विरोध किया जाए। ऐसा नहीं है कि वे प्रधानमंत्री मोदी के कोई नये विरोधी हैं। नरेन्द्र मोदी, जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब से ही प्रतीक विरोध करते आ रहे हैं। जब नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गये तो प्रतीक ने भी अपने विरोध को देशव्यापी बनाने के लिए, एक वेबसाइट शुरू कर दी। एजेंडा पत्रकार प्रतीक सिन्हा अब वेबसाइट और सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कुतर्क गढ़कर, विरोध के एजेंडे को हवा देते रहते हैं। आइये, आपको एजेंडा पत्रकारिता के “प्रतीक” सिन्हा की असलियत दिखाते हैं-

एजेंडा पत्रकारिता का “प्रतीक”-1
प्रतीक सिन्हा, प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में इस कदर अंधे हैं कि उन्हें सिर्फ वहीं दिखाई देता है, जो उनके पूर्वाग्रह उनको दिखाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के जन्म दिन 17 सितंबर के एक दिन बाद 18 सितंबर को प्रतीक सिन्हा ने अपने Facebook पर पीएम मोदी से जुड़े दो Tweets के स्क्रीनशॉट शेयर किए और उपहास करते हुए जन्मदिन की बधाई दी। प्रतीक ने जिन दो Tweets को लेकर प्रधानमंत्री का उपहास किया, उसमें से एक Tweet, PMO के हैंडल से था, तो दूसरा प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत Twitter हैंडल, narendramodi_in से था। narendramodi_in से किये गये Tweet पर उनकी व्यक्तिगत इच्छा थी, लेकिन PMO के हैंडल से किया गया tweet देश के प्रधानमंत्री का Tweet था, जिस पर व्यक्तिगत इच्छा से अधिक जनता की इच्छा का महत्व है।


एजेंडा पत्रकारिता का “ प्रतीक”-2
प्रतीक सिन्हा, प्रधानमंत्री मोदी के प्रति कैसा भाव रखते हैं और अमर्यादित टिप्पणी कर सकते हैं, इसका अंदाजा उनके Facebook पर दो Post से पता चलता है। एक Post, पिछले साल 28 नवंबर को किया गया है जबकि दूसरा Post, 12 दिसंबर को किया गया है-
एजेंडा पत्रकारिता का “ प्रतीक”-3
15 सितंबर को प्रतीक सिन्हा ने जिस असभ्य और अमर्यादित ढंग से प्रधानमंत्री मोदी के बारे में अपने Facebook post में लिखा, उसे सामान्य तर्क शक्ति वाला व्यक्ति भी स्वीकार नहीं कर सकता।

एजेंडा पत्रकारिता का “ प्रतीक”-4
प्रतीक सिन्हा ने 5 नवंबर को Twitter पर एक video शेयर किया और उस पर लिखा कि -Please don’t retweet this video because police might book you for it. इस वीडियो के जरिए वह प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में एक ऐसा वीडियो शेयर कर रहे हैं, जो सामान्य शिष्टाचार की सभी मर्यादाओं की सीमा को तोड़ रहा है।


एजेंडा पत्रकारिता का “ प्रतीक”-5
9 नवंबर को प्रतीक सिन्हा ने दो अखबारों की हेडलाइन के स्क्रीनशॉट को अपने Twitter पर शेयर करते हुए, सभ्यता की सभी सीमाओं को तोड़ते हुए लिखा -Vikas ke pita aur Vikas ke Chacha need to sync up. प्रतीक ने जिस आधार पर यह अमर्यादित बात Tweet पर लिख डाली, उसके लिए केवल हेडलाइन को ही सहारा बनाया। अपना कुतर्क गढ़ने के लिए यह भी नहीं सोचा कि दोनों बातें कब और किस परिपेक्ष्य में कही गई हैं, बस हेडलाइन को ही सबूत मान लिया।

एजेंडा पत्रकारिता का “ प्रतीक”-6
प्रतीक सिन्हा ने 22 दिसंबर को अपने Facebook Post पर जो लिखा, उससे स्पष्ट हो जाता है कि वह वही समझते हैं, जो उनको समझना होता है। इस Post में उन्होंने जो अमर्यादित टिप्पणी की उसका संबंध पीएम मोदी के 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार दौरान कही गई बात से है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यूपीए सरकार में इतना भ्रष्टाचार हुआ है कि सभी के बैंक खातों में 15 लाख रुपये आ सकते हैं। अब प्रतीक सिन्हा ने प्रधानमंत्री मोदी की इस बात को तोड़-मरोड़ कर एक सत्य के रुप में पेश करते हैं और अपने विरोध का एजेंडा चलाते हैं।


एजेंडा पत्रकारिता का “ प्रतीक”-7
प्रतीक सिन्हा अपने एजेंडे को चलाने के लिए किस तरह से कुतर्कों का सहारा लेते हैं, यह उनके द्वारा 7 सितंबर और 28 नवंबर को किए गये दो ट्वीट से पता चलता है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने के लिए उनके Twitter के Followers का सहारा लिया गया। प्रधानमंत्री मोदी को Twitter पर लाखों लोग Follow करते हैं, और करोड़ों लोग चुनाव में मतदान कर चुके हैं, जिनके चरित्र के बारे में प्रधानमंत्री मोदी नहीं जानते हैं और न कोई जान सकता है। प्रतीक सिन्हा के अगर इस कुतर्क को माना जाए, तो प्रधानमंत्री मोदी को उन सभी लोगों से मत लेने से मना कर देना चाहिए, जो समाज में अपराधी हैं और जिन्हें देश का संविधान भी मत देने से मना नहीं करता।


एजेंडा पत्रकारिता का “ प्रतीक”-8
प्रतीक सिन्हा अपना एजेंडा चलाने के लिए किस तरह कुतर्कों को Twitter पर रचते हैं, इसका जबरदस्त उदाहरण है जब उन्होंने गौतम गंभीर के राष्ट्रगान के लिए खड़े होने वाले Tweet की प्रतिक्रिया में 27 अक्टूबर को लिखा-


एजेंडा पत्रकारिता का “ प्रतीक”-9
प्रतीक सिन्हा किस तरह मात्र अपने कुतर्क से प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने का अवसर ढूंढ लेते हैं, यह उनके 19 अक्टूबर के इस Tweet से पता चलता है-


एजेंडा पत्रकारिता का “ प्रतीक”-10
आखिर प्रतीक सिन्हा के इन कुतर्को और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अमर्यादित बयान देने के पीछे का एजेंडा क्या है, इसका पता इन Tweets और Facebook Post को देखने से लग जाता है,जब वह कांग्रेस और गुजरात के जिग्नेश मेवाणी के लिए प्रचार करते हुए नजर आते हैं।

प्रतीक सिन्हा, निष्पक्षता की आड़ में जिस एजेंडा पत्रकारिता को कर रहे हैं, उससे देश की भलाई कम, नुकसान अधिक हो रहा है। ऐसी पत्रकारिता जो देश के विकास में बाधक हो, वो कैसी पत्रकारिता?

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