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मोदी सरकार ने किया पॉवर सेक्टर को रोशन, संकट से उबरकर बिजली निर्यातक बना देश

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26 मई 2014 को मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के समय देश में बिजली की हालत बहुत ही खराब थी। यूपीए सरकार में अनिर्णय की स्थिति और तालमेल के अभाव में बिजली संयत्रों के पास कोयले की भारी किल्लत हो गई थी। देश में कोयले के प्रर्याप्त भंडार होने के बावजूद देश के अंधकार में डूबने की नौबत आ गई थी। उधर मनमोहन सरकार के दौरान लाखों करोड़ के कोयला घोटाले ने अलग अराजकता फैला रखी थी। सभी डिस्कॉम कंपनियां घाटे में चल रही थीं। बिजली की कमी से उद्योघ-धंधे चौपट हो रहे थे, खेती-बाड़ी दम तोड़ने को मजबूर थी। मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही देश को इस हालात से निकालने का संकल्प ले लिया। उन्हें ये बात समझने में देर नहीं लगी कि मूल समस्या एकीकृत सोच और नीतियों के क्रियान्यवयन में तालमेल की कमी है। सारी स्थिति को भांपकर पीएम मोदी ने देश को बिजली संकट से निकालने के लिए बहुत दूर की सोची और कोयला, बिजली और अक्षय उर्जा के मंत्रालय का कार्यभार एक ही व्यक्ति को सौंप दिया। परिणाम ये हुआ है कि तीन साल पहले भयंकर बिजली संकट से गुजरने वाला देश आज बिजली निर्यात भी करने लगा है।

पहली बार बिजली निर्यातक बना देश
तीन साल पहले देश अभूतपूर्व बिजली संकट झेल रहा था। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि अब देश में खपत से अधिक बिजली उत्पाद होने लगा है। केंद्रीय विधुत प्राधिकरण के अनुसार भारत ने पहली बार वर्ष 2016-17 ( फरवरी 2017 तक) के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार को 579.8 करोड़ यूनिट बिजली निर्यात की, जो भूटान से आयात की जाने वाली करीब 558.5 करोड़ यूनिटों की तुलना में 21.3 करोड़ यूनिट अधिक है। 2016 में 400 केवी लाइन क्षमता (132 केवी क्षमता के साथ संचालित) मुजफ्फरपुर – धालखेबर (नेपाल) के चालू हो जाने के बाद नेपाल को बिजली निर्यात में करीब 145 मेगावाट की बढ़ोत्तरी हुई है।

बदल गई पॉवर सेक्टर की तस्वीर
मोदी सरकार की नीतियों के चलते तीन साल से कम समय में भी आज पारंपरिक और गैर-पारंपरिक ऊर्जा का भी भरपूर उत्पादन होने लगा है। सबसे बड़ी बात भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं बना है, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बाजार उभर कर सामने आया है। उर्जा क्षेत्र में इस कायापलट के पीछे उन योजनाओं के क्रियान्यवन में बेहतर तालमेल रहा है जिस पिछले तीन सालों में सरकार ने लागू किया है। उर्जा क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करने के लिए लागू की गई इन योजनाओं से बहुत बड़े परिणाम सामने आए हैं। देश के हर घर को चौबीसों घंटे बिजली देने का लक्ष्य 2022 है। लेकिन जिस गति से काम चल रहा है उससे अब यह प्राप्त कर लेना आसान लगने लगा है, पहले यह कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि देश में ऐसा भी हो सकता है।

2018 तक हर गांव होगा रोशन
मोदी सरकार अगले साल अक्टूबर तक देश के सभी गांवों में बिजली पहुंचा देने का वादा किया है। दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत जिस गति से ग्रामीण विघुतीकरण का काम हो रहा है उससे यह असंभव सा लगने वाला काम संभव लग रहा है। तीन साल पहले मोदी सरकार के गठन के समय देश के 18,452 गाँव बिजली से वंचित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हजार दिन के भीतर इन गांवों के हर घर तक बिजली पहुंचाने का वायदा किया था। योजना लागू करने से लेकर आज तक वंचित गांवों में से 13,523 गांवों में बिजली पहुंच चुकी है और शेष 3,985 गांवों में तय समय से पहले बिजली पहुंच जाएगी। इस योजना की गति का अंदाजा इसी से लगाय जा सकता है कि यूपी में सिर्फ छह गांव बचे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची है और बिहार के 319 गांवों का रोशन होना बाकी है।

बिजली उत्पादन बढ़ा, बर्बादी रुकी
मोदी सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का असर है कि देश में लगातार बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तरफ वितरण में होने वाला नुकसान कम हुआ है। दूसरी ओर सफल कोयला एवं उदय नीति से उत्पादन बढ़ा है। जैसे- 2013-14 में बिजली उत्पादन 96,700 करोड़ यूनिट हुआ था, जो 2014-15 में बढ़कर 1,04,800 करोड़ यूनिट हो गया। ये दौर आगे भी जारी रहा और 2015-16 में बिजली उत्पादन 1,10,700 करोड़ यूनिट हो गया, जिसकी वजह ऊर्जा नुकसान में 2.1 प्रतिशत की कमी रही। ऊर्जा नुकसान 2015-16 में जहां 2.1 प्रतिशत थी जो अब घटकर 0.7 प्रतिशत (अप्रैल-अक्टूबर, 2016) रह गई है। 2015-16 की तुलना में अब राष्ट्रीय पीक पावर डिफिसिट घटकर आधा यानि 1.6 प्रतिशत रह गया है।

NTPC ने किया सबसे अधिक उत्पादन
इस वर्ष NTPC ने अब तक का सबसे अधिक 263.95 अरब यूनिट बिजली का उत्पादन किया है जो पिछले वर्ष के सर्वश्रेष्ठ उत्पादन 263.42 अरब यूनिट से अधिक है। इस तरह इस वर्ष NTPC ने पिछले वर्ष की तुलना में 4.71 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की। NTPC की कुल स्थापित क्षमता 48,188 मेगा वॉट है, जिसमें 19 कोयला आधारित, 7 गैस आधारित, 10 सौर ऊर्जा आधारित और 1 जल बिजली संयंत्र शामिल हैं। इनके अलावा 9 सहायक /संयुक्त उपक्रम वाले बिजली घर भी मौजूद हैं।

नई कोयला नीति
नरेंद्र मोदी सरकार की कोयला नीति काम करने लगी है। इसके चलते देश अब उर्जा संकट से लगभग उबर चुका है । पिछली यूपीए सरकार की गलत कोयला नीति की वजह से अधर में फंसे दर्जनों ताप बिजली घरों में फिर से काम शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। हाल ही में ‘शक्ति’ नाम से एक नई कोल लिंकेज पॉलिसी को मंजूरी दी गई है जो नए ताप बिजली घरों को आसानी से कोयला ब्लॉक उपलब्ध कराएगा। साथ ही पुराने एवं अटके पड़े बिजली घरों को भी कोयला उपलब्ध हो सकेगा। इससे कम से कम 30 हजार मेगावाट क्षमता का अतिरिक्त उत्पादन शुरू हो सकेगा। यानि अगर उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी तो बिजली की दरों भी कटौती की संभावना रहेगी। यूपीए सरकार ने वर्ष 2007 में कोल लिंकेज नीति लाई थी जिसके तहत 1,08,000 मेगावाट क्षमता की बिजली परियोजनाओं को कोयला देने का समझौता किया गया था, लेकिन उस दौरान कोयला उत्पादन नहीं बढ़ पाने की वजह से इनमें से अधिकांश परियोजनाएं अटकी हुई थी। इसके बाद कई परियोनजाओं को कोयला आयात करने की अनुमति भी दी गई, लेकिन घोटाले और मुकदमों के कारण वो लागू न हो सकीं। अब जब देश में कोयला उत्पादन की स्थिति सुधरी है तो इन परियोजनाओं को भी नए सिरे से कोयला आवंटित करने की तैयारी की गई है।

परमाणु बिजली उत्पादन में भी आत्मनिर्भरता
मोदी सरकार ने 10 नए Pressurized Heavy-Water Reactors (PHWR) के निर्माण का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये काम अपने वैज्ञानिक करेंगे और कोई भी विदेशी मदद नहीं ली जाएगी। इन दस नए स्वदेशी न्यूक्लियर पावर प्लांट से 7,000 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकेगी। इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि भारत भी विश्व के अन्य देशों को Pressurized Heavy-Water Reactors की तकनीक देने वाला देश बन जायेगा, जो मेक इन इंडिया योजना को बहुत अधिक सशक्त करेगा। इसके अतिरिक्त 2021-22 तक 6,700 मेगावाट परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए अन्य न्यूक्लियर पावर प्लांट के निर्माण का भी काम चल रहा है। इस समय देश में कुल 22 न्यूक्लियर पावर प्लांट बिजली पैदा कर रहे हैं जिनसे कुल 6,780 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।

UDAY से देश का भाग्योदय
देश की बिजली वितरण कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार करके उनको पटरी पर लाने के लिए Ujwal DISCOM Assurance Yojana (UDAY)लागू किया गया। सभी घरों को 24 घंटे किफायती एवं सुविधाजनक बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करना ही इस योजना का मूल उद्देश्य है। यह योजना 20 नवंबर, 2015 से शुरू की गई इससे विरासत में मिली 4.3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की समस्या का मोदी सरकार ने स्थायी समाधान निकाल लिया। आज देश के सभी राज्य इस योजना से जुड़ चुके हैं।

उत्तरप्रदेश अंतिम राज्य था जो 14 अप्रैल 2017 को इस योजना में शामिल हुआ है। इसी साल जनवरी से UDAY वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन की शुरुआत भी की गई है। इसे विभिन्न राज्यों के DISCOM में हो रहे कार्यों और वित्तीय स्थिति पर निगरानी रखने के लिए तैयार किया गया है। इसका काम डाटा को राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर में एकीकृत करके रखना है। इससे केन्द्रीय मंत्रालय स्तर पर DISCOM के काम पर निगरानी रखना आसान हो गया है। जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है, और गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।

सड़कें हो रही हैं ‘उजाला’
प्रधानमंत्री मोदी ने 5 जनवरी 2015 को 100 शहरों में पारंपरिक स्ट्रीट और घरेलू लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाने के कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इस राष्ट्रीय स्ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम (NSLP) का उद्देश्य 1.34 करोड़ स्ट्रीट लाइट के स्थान पर LED लाइट लगाना है। अब तक देशभर में पुरानी लाइट्स बदलकर 21 लाख नए LED लाइट लगाई जा चुकी हैं। इससे 29.5 करोड़ इकाई KWH बिजली की बचत हुई है। यही नहीं इसके चलते 2.3 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आई है। यह परियोजना 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाई जा रही है। सबसे बड़ी बात है कि इसके चलते खर्च और बिजली की तो बचत हो ही रही है प्रकाश भी पहले से काफी बढ़ गया है। यही नहीं भारी मात्रा में LED बल्बों की खरीद होने के चलते उसकी कीमत भी 135 रुपये के बजाय 80 रुपये प्रति बल्ब बैठ रही है। अगर सिर्फ अकेले उत्तर प्रदेश के वाराणसी की बात करें तो वहां 1000 स्ट्रीट लाइट को LED से बदल दिया गया है और बाकी 4000 LED भी जल्द लगा दिए जाएंगे।

रीयल टाइम मिलेगी पॉवरकट की सूचना
केंद्र सरकार ने 24×7 किफायती और बिना बाधा के देश को बिजली देने के लिए ‘ऊर्जा मित्र एप’ लांच किया है। ऐसी सुविधा बिजली उपभोक्ताओं को पहली बार मुहैया कराई जा रही है। लोग www.urjamitra.com तथा ‘ऊर्जा मित्र एप’ पर देश के शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटने की सूचना पा सकते हैं। ये जानकारी उपभोक्ताओं तक रीयल टाइम में पहुंच जाती है और वो इससे जुड़ी शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।

2030 तक सौर उर्जा से बदल जाएगी देश की तकदीर
मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से उत्पन्न हुई जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए भी मोदी सरकार कदम उठा रही है। ताकि ऊर्जा की जरूरतें भी पूरी हों और प्रकृति का संरक्षण भी साथ-साथ जारी रहे। माना जा रहा है LED बल्ब का इस्तेमाल इस दिशा में अपने-आप में बहुत बड़ा कदम है। इसके प्रयोग से सालाना 8 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है। इसके साथ-साथ 4 हजार करोड़ रुपये की सालाना बिजली की बचत भी होगी। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर भी जोर दे रही है। इसके तहत सौर ऊर्जा का उत्पादन मौजूदा 20 गीगावॉट से बढ़ाकर साल 2022 तक 100 गीगावॉट करने का लक्ष्य है। सबसे बड़ी बात है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकार 2030 तक देश के सभी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल देने का लक्ष्य लेकर काम में जुटी है। इससे सालाना 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक fossil fuels (जीवाश्म ईंधन) की बचत होगी। सरकार की ओर से कराए गए एक रिसर्च के अनुसार 2030 तक राजस्थान की केवल एक प्रतिशत भूमि से पैदा हुई सौर्य ऊर्जा से देशभर के सभी वाहनों के लिए पर्याप्त ईंधन का इंतजाम हो सकता है।

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