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‘आयुष्मान भारत’ के बाद पीएम मोदी का एक और तोहफा, अब बस 10 रुपये में होगा इलाज

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आम भारतवासियों को बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मोदी सरकार एक के बाद एक बड़े फैसले ले रही है।  जन आरोग्य योजना-आयुष्मान भारत के बाद मोदी सरकार एक और बड़ी हेल्थ केयर स्कीम लाई है, जिससे केवल दस रुपये के खर्च पर गंभीर से गंभीर बीमारियों का ईलाज हो सकेगा।

इस हेल्थ केयर स्कीम के तहत अब आम आदमी को भी इम्प्लाई स्टेट इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन यानी ESIC के अस्पतालों में इलाज करा सकेंगे।  मात्र दस रुपये का कार्ड बनवाकर कोई भी व्यक्ति ईएसआईसी अस्पतालों में इलाज करा सकेगा।

अगर मरीज की स्थिति गंभीर होगी और उसे अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी हुआ तो उसे केंद्र सरकार की स्वास्थ्य सेवा पैकेज के रेट के हिसाब से केवल 25 प्रतिशत फीस चुकानी होगी। साथ ही मरीजो को दवाएं वास्तविक कीमत पर उपलब्ध कराई जाएंगी।  गौरतलब है कि ईएसआईसी के देशभर में 150 से अधिक अस्पताल हैं, जिनमें करीब 17,000 बेड हैं। यहां सामान्य बीमारियों से लेकर लेकर गंभीर बीमारियों का इलाज होता है।

इस स्कीम से पहले इन अस्‍पतालों में ईएसआईसी के कवरेज में शामिल लोगों को ही इलाज की सुविधा मिलती थी लेकिन अब आम लोग भी इलाज करा सकेंगे। इस योजना के तहत सालाना 5 लाख रुपये तक का कवर मिलता है। इसमें करीब सभी गंभीर बीमारियों को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत कवर होने वाले परिवारों का फैसला उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर होगा

आइये देखते हैं आम भारतीयों को सस्ता और लगभग मुफ्त इलाज देने के लिए मोदी सरकार ने कौन कौन सी योजनाएंम लागू की है।

आयुष्मान भारत-जन आरोग्य योजना

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर महीने में आयुष्मान भारत- जन आरोग्य योजना लॉन्च की थी। देश के 10 करोड़ गरीब परिवारों यानि 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा देने वाली महात्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ केयर स्कीम मानी जाती है। इसे मोदी केयर भी कहा जाता है। इस योजना का फायदा अब तक करीब 4.5 लाख लोग ले चुके हैं और कई गंभीर बीमारियों से मुक्ति पा चुके हैं। 

50 करोड़ लोगों को मिलेगा कैशलेस स्वास्थ्य बीमा का लाभ
पको बता दें कि इस वर्ष के बजट में मोदी सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत का ऐलान किया था। इस योजना के तहत देश के 50 करोड़ लोगों को इलाज के लिए 5 लाख रुपये तक कैशलेस बीमा की सुविधा दी जानी है। इस योजना के तहत परिवार के सदस्यों की संख्या पर कोई रोक नहीं है, लेकिन लाभार्थी परिवारों को आर्थिक आधार पर चुना जाएगा। आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकारी और चुने हुए निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। इस योजना के तहत 1.5 लाख स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाएंगे। केंद्र और राज्य सरकारे मिलकर प्रीमियम का भुगतान करेंगे, जिसमें केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत खर्च उठाएगी।

देश के नागरिक स्वस्थ रहेंगे तो देश स्वस्थ रहेगा। जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की योजनाओं का यही मूलमंत्र रहा है। पिछले चार वर्षों में इस सरकार ने हेल्थ सेक्टर में ऐसे कई बड़े कदम उठाए हैं, जिनसे स्वास्थ्य को लेकर देशवासियों की चिंताएं पहले से कहीं कम हो गई हैं। एक नजर डालते हैं उन कदमों पर-

मोदी सरकार का 4 वर्षों में 4 pillar पर फोकस
जनसामान्य का स्वास्थ्य देश के उन मुद्दों में से है जिनकी व्यापकता सबसे अधिक है। इसके बावजूद दशकों तक इस धारणा को खत्म करने के प्रयास नहीं के बराबर हुए कि हेल्थ सेक्टर के लिए सब कुछ स्वास्थ्य मंत्रालय ही करेगा। मोदी सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी वास्तविक जरूरतों को समझते हुए हेल्थ सेक्टर से जुड़े अभियानों में स्वच्छता मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, उपभोक्ता मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी शामिल किया। इन सब मंत्रालयों को मिलाकर चार Pillars पर फोकस किया जा रहा है जिनसे लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

  1. Preventive Health – इसके तहत स्वच्छता, योग और टीकाकरण को बढ़ावा देने वाले अभियान शामिल हैं जिनसे बीमारियों को दूर रखा जा सके।
  2. Affordable Healthcare – इसके अंतर्गत जनसामान्य के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
  3. Supply side interventions – इसमें उन कदमों पर जोर है जिनसे किसी दुर्गम क्षेत्र में भी ना तो डॉक्टरों और ना ही अस्पतालों की कमी हो।
  4. Mission mode intervention – इसमें माता और शिशु की समुचित देखभाल पर बल दिया जा रहा है।

इन चार Pillars के आधार पर ही मोदी सरकार ने हेल्थकेयर से जुड़ी अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाया है।

स्वच्छ भारत अभियान से बढ़ी स्वच्छता कवरेज
स्वच्छता अभियान लोगों के बीच इस संदेश को देने में सफल रहा है कि गंदगी अपने साथ बीमारियां लेकर आती है, जबकि स्वच्छता रोगों को दूर भगाती है। पिछले तीन वर्षों में देश के तीन लाख से अधिक गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। देश में चार वर्षों से भी कम समय में 6.5 करोड़ घरो में शौचालय के निर्माण हुए। वहीं स्वच्छता कवरेज का दायरा पिछले करीब चार वर्षों में 38 प्रतिशत से बढ़कर 78 प्रतिशत तक पहुंच गया।

योग बना जन आंदोलन
मोदी सरकार ने अपने पहले ही वर्ष में यह बता दिया कि उसकी चिंता देश ही नहीं, विश्व जगत के स्वास्थ्य को लेकर है। आयुष मंत्रालय के सक्रिय होने से योग आज दुनिया भर में एक जन आंदोलन बन रहा है। भारत समेत पूरी दुनिया अब चौथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की तैयारी में जुटा है। खुद को तनावमुक्त और सेहतमंद रखने के लिए देश में योग करने वालों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है। इतना ही नहीं योग की ट्रेनिंग से जुड़े रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।

मिशन इंद्रधनुष से संपूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य
देश के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि यदि टीके से किसी रोग का इलाज संभव है तो किसी भी बच्चे को टीके का अभाव नहीं होना चाहिए। 25 दिसंबर 2014 को मिशन इंद्रधनुष योजना बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के मकसद से लॉन्च की गई। इसके तहत बच्चों के लिए सात बीमारियों – डिप्थीरिया, काली खांसी, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन की व्यवस्था है। इस कार्यक्रम के जरिए मोदी सरकार ने दो वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे और उन गर्भवती माताओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा जो टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत यह सुविधा नहीं पा सके। देश में आज 6.7 प्रतिशत की दर से संपूर्ण टीकाकरण होने लगा है जो दर पूर्ववर्ती सरकार में एक प्रतिशत थी।

आयुष्मान भारत योजना से अब इलाज के खर्च की चिंता नहीं 
आयुष्मान भारत योजना अफॉर्डेबल हेल्थकेयर के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी कदम है जिसे इस साल के बजट का हिस्सा बनाया गया। इस योजना से देश के गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए भी अब अपने इलाज की चिंता खत्म होने जा रही है। देश के लगभग 10 करोड़ परिवार यानी करीब 45 से 50 करोड़ नागरिक इलाज की चिंता से मुक्त हो जाएंगे। अगर उनके परिवार में कोई बीमार पड़ा तो एक साल में 5 लाख रुपये का खर्च भारत सरकार और इंश्योरेंस कंपनी मिलकर देगी। 

बच्चों और माताओं के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य है बच्चों और माताओं को सही पोषण देना। इस मिशन को करीब 9 हजार करोड़ रुपये की राशि के साथ शुरू किया गया है। बच्चों को तंदुरुस्त रखने के उद्देश्य के साथ ही इस मिशन के अंतर्गत आवश्यक पोषण और प्रशिक्षण, खासकर माताओं की ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है।

बजट में वेलनेस सेंटर को मंजूरी
मोदी सरकार के 2018-19 के बजट में वेलनेस सेंटर पर भी जोर है। हेल्थ वेलनेस सेंटर बनाने के लिए 1200 करोड़ रुपये के फंड का प्रावधान किया गया है। सरकार का प्रयास है कि देश की हर बड़ी पंचायत में हेल्थ वेलनेस सेंटर बने। वेलनेंस सेंटर में इलाज के साथ-साथ जांच की सुविधा भी होगी। इतना ही नहीं इस पर भी काम चल रहा है कि जिला अस्पताल में मरीजों को जो दवाएं लिखी जाती हैं वे उन्हें अपने घर के पास के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उपलब्ध हों।

जन औषधि केंद्र में सस्ती दवाएं
अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए जनसामान्य को जरूरत की दवाइयां सस्ती कीमत पर मिल सके इसी दिशा में उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। जन औषधि केंद्रों का संचालन केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की निगरानी में हो रहा है। देश भर में 3000 से अधिक जन-औषधि केंद्र खोले गए हैं जहां 800 से ज्यादा दवाइयां कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हैं।

हार्ट स्टेंट और Knee Implants की कीमत पहले से कहीं कम
अब हार्ट स्टेंट लगवाना और घुटना प्रत्यारोपित करवाना पहले से कही अधिक सस्ता हो गया है। हृदय रोगियों के लिए हार्ट स्टेंट की कीमत 85 प्रतिशत तक कम हो गई है। दवा लगे स्टेंट (DES) की कीमत अब करीब 28 हजार रुपये पड़ती है। देश में 95 प्रतिशत दिल के मरीजों के लिए DES का ही इस्तेमाल होता है। वहीं सरकार के प्रयासों से Knee implants के दाम में 50 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है।

मेडिकल संस्थानों में सीटें बढ़ीं, नए संस्थानों की भी स्थापना
देश के कई हिस्सों में विशेषकर गांवों में जो डॉक्टरों की कमी महसूस की जा रही है उसे दूर करने के लिए सरकार ने मेडिकल की सीटें बढ़ाई हैं। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो मेडिकल में 52 हजार अंडरग्रैजुएट और 30 हजार पोस्ट ग्रैजुएट सीटें थीं। अब देश में 85 हजार से ज्यादा अंडरग्रैजुएट और 46 हजार से ज्यादा पोस्ट ग्रैजुएट सीटें हैं। इसके अलावा देश भर में नए एम्स और आयुर्वेद विज्ञान संस्थान की स्थापना की जा रही है।सरकार तीन संसदीय सीटों के बीच में एक मेडिकल कॉलेज के निर्माण की योजना पर भी काम कर रही है। जाहिर है सरकार के इन प्रयासों का सीधा लाभ युवाओं के साथ ही देश की गरीब जनता को भी मिलेगा।

डॉक्टरों के लिए दुर्गम क्षेत्रों में भी सेवाएं देना अनिवार्य
ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में भी अच्छे डॉक्टर उपलब्ध हों, इसके लिए केंद्र सरकार के अनुमोदन पर भारतीय चिकित्सा परिषद ने चिकित्सा शिक्षा नियमों में कुछ सुधार किए। अब स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त करने वाले सभी चिकित्सकों को अनिवार्य रूप से दो साल दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देनी होगी। भारतीय चिकित्सा परिषद ने चिकित्सा शिक्षा नियमों में बदलाव करके स्‍नातकोत्‍तर डिप्‍लोमा पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत सीटें सरकारी सेवारत ऐसे चिकित्‍सा अधिकारियों के लिए आरक्षित कर दी हैं, जिन्होंने कम से कम 3 वर्ष की सेवा दुर्गम क्षेत्रों में की हो। वहीं, स्‍नातकोत्‍तर मेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकन कराने के लिए प्रवेश परीक्षा में दुर्गम क्षेत्रों में सेवा के लिए प्रति वर्ष के लिए 10 प्रतिशत अंक का वेटेज दिया जाएगा।

सुरक्षित मातृत्व से जुड़ी अनेक पहल
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान – इसके अंतर्गत सरकार डॉक्टरों से मुफ्त में इलाज करने का अनुरोध करती है। सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जनवरी 2018 तक 1 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व जांच की जा चुकी है।

मातृत्व अवकाश अब 26 हफ्ते का – मोदी सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते का कर चुकी है। इससे महिलाओं को प्रसूति के लिए अवकाश लेने की सुविधा तो मिल ही रही है, अवकाश की अवधि में माताओं को बच्चे की अच्छी तरह से परवरिश करने का अवसर भी मिल रहा है।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – मां और शिशु का उचित पोषण हो, इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया है। इसके अंतर्गत गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।

2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, जबकि भारत ने अपने लिए इस लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टीबी मुक्त भारत अभियान की नई रणनीति योजना को लॉन्च कर चुके हैं। पहले तीन वर्षों में इसके लिए 12 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

मलेरिया मुक्त भारत की योजना
मोदी सरकार ने जुलाई 2017 में देश से मलेरिया को खत्म करने के लिए National Strategic Plan for Malaria Elimination 2017-22 लॉन्च किया। पूर्वोत्तर भारत में लक्ष्य हासिल करने के बाद अब महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों पर जोर है। 2016 में सरकार ने National Framework for Malaria Elimination 2016-2030 जारी किया था।

घर बैठे अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट
अस्पताल में किसी मरीज को दिखाने ले जाने पर लंबी-लंबी लाइनों से कैसे जूझना पड़ता है, यह हर किसी को पता है। ऐसे में कई बार मरीजों की हालत और भी गंभीर हो जाती है। मरीजों और उनके परिजनों की इसी परेशानी को महसूस करते हुए मोदी सरकार ने देश के सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सिस्टम (ORS) शुरू किया। इसके तहत आधार के जरिए अस्पतालों में अप्वॉइंटमेंट लिए जा रहे हैं। अब तक लाखों मरीज ई-हॉस्पिटल अप्वॉइंटमेंट्स ले चुके हैं।

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