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प्रधानमंत्री मोदी को मिला UN का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार ‘चैंपियंस ऑफ अर्थ’, कहा- यह हमारी नित्य नूतन, चिर पुरातन परम्परा का सम्मान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’ अवॉर्ड प्रदान किया गया। प्रवासी भारतीय केंद्र में उन्हें यह अवॉर्ड संयुक्तव राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने प्रदान किया। पीएम मोदी को यह अवॉर्ड पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है। उन्हें सतत विकास, जलवायु परिवर्तन पर अनुकरणीय नेतृत्व और सकारात्मक कदम उठाने के लिए यह अवॉर्ड दिया गया है। उन्हें यूएन का यह सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार भारत को 2022 तक एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक से मुक्त कराने के संकल्प और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के कुशल नेतृत्व के लिए प्रदान किया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि यह सम्मान पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भारत की सवा सौ करोड़ जनता की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने कहा, ”यह भारत की उस नित्य नूतन, चिर पुरातन परंपरा का सम्मान है, जिसने प्रकृति में परमात्मा को देखा और जिसने सृष्टि के मूल में पंचतत्व के अधिष्ठान का आह्वान किया है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, ”पर्यावरण और आपदा सीधे तौर पर जुड़े हैं। अगर संस्कृति के केंद्र में पर्यावरण नहीं है तो आपदा को रोका नहीं जा सकता। जब मैं ‘सबका साथ’ कहता हूं तो इसमें प्रकृति भी शामिल होती है।”

पीएम मोदी ने कहा, ”यह भारत के जंगलों में बसे उन आदिवासी भाइयों का सम्मान है जो अपने जीवन से ज्यादा जंगलों को प्यार करते हैं। यह भारत के उन मछुआरों का सम्मान है, जो समुद्र और नदियों से उतना ही लेते हैं, जितना अर्थ उपार्जन के लिए जरूरी है। यह भारत के उन करोड़ों किसानों का सम्मान है, जिनके लिए ऋतु चक्र ही जीवन चक्र है। यह भारत की उस नारी का सम्मान है, जो पौधे में भी परमात्मा का रूप देखती है।” 

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लिए ये दोहरे सम्मान का अवसर इसलिए भी है कि कोच्चि एयरपोर्ट को भी अवार्ड मिले हैं। उन्होंने कहा कि ये सस्टेनेबल एनर्जी को लेकर हमारी वचनबद्धता का प्रतीक है। इस अवसर पर मैं उन सभी साथियों संस्थाओं को बधाई देता हूं जिनको अलग-अलग श्रेणियों में ये पुरस्कार मिला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं पर्यावरण और प्रकृति को लेकर भारतीय दर्शन की बात इसलिए करता हूं क्योंकि क्लाइमेट और केलेमिटी का कल्चर से सीधा रस्ता है। क्लाइमेट की चिंता जब तक कल्चर का हिसस्सा नहीं होती तब तक कैलेमिटी से बच पाना मुश्किल है।

पीएम मोदी ने कहा कि पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदना को आज विश्व स्वीकार कर रहा है। ये हजारों वर्षों से हमारी जीवन शैली का हिस्सा रहा है। हम उस समाज का हिस्सा हैं जहां सुबह उठने से पहले धरती माता से क्षमा मांगते हैं क्योंकि वहां हम अपना बोझ धरती पर रखते हैं।

पीएम मोदी ने कहा, ”आज दुनिया भारत के योगदान को स्वीकार कर रही है। हजारों वर्षों से पर्यावरण सुरक्षा हमारी जिंदगी का हिस्सा है। भारत में लोग उठने से पहले धरती को प्रणाम करते हैं क्योंकि हम उनपर अपना भार डालने वाले हैं। भूमि की हम पूजा करते हैं।” 

प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमने प्रकृति को हमेशा सजीव माना है और सहज जीव भी माना है। प्रकृति के साथ इस भावात्मक रिश्ते के साथ ही पूरे ब्रह्मांड की भलाई की कामना की जाती है।…जब स्वयं ईश्वर को अपना परिचय देना होता है तो वह यह कहते हैं कि मैं ही जलाशय हूं, मैं ही नदी हूं, मैं ही समंदर हूं।” 

 
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘क्लाइमेट जस्टिस’ का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सबको गरिमापूर्ण जीवन देना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा, ”भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। हर साल करोड़ों लोग भीषण गरीबी से बाहर आ रहे हैं। विकास की रफ्तार को तेज करने के लिए हम समर्पित हैं। इसलिए नहीं कि हमें किसी से मुकाबला करना है, बल्कि हमें सबको गरिमापूर्ण जीवन देना है, जो हमारा कर्तव्य है।”

पीएम मोदी ने कहा, ”सूखे और बाढ़ की गंभीरता साल दर साल बढ़ रही है और इससे सबसे ज्यादा परेशान गरीब हो रहा है, जिसके पास सीमित संसाधन हैं। बहुत बड़ी आबादी को प्रकृति पर बोझ डाले बिना विकास की रफ्तार से कदमताल के लिए सहारा की जरूरत है, हाथ बढ़ाने की जरूरत है। मैंने पैरिस में क्लाइमेट जस्टिस का जिक्र किया।…मुझे खुशी है कि पैरिस समझौते में दुनिया ने इस बात को माना है और ‘क्लाइमेट जस्टिस’ को लेकर प्रतिबद्धता जताई। लेकिन जमीन पर उतारने के लिए बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।”

पीएम मोदी ने कहा, ”रोजगार का एक बड़ा हिस्सा गांव से जुड़ा है तो मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस के हब शहर हैं। हमारे गांव हमेशा से ही पर्यावरण के प्रति सचेत रहे, वे प्रकृति से जुड़े रहे। बीते 4 दशकों में हमारे गांवों ने इस शक्ति का और विस्तार किया है। गांवों में भी बॉयोवेस्ट को ऊर्जा में बदलने के प्रयास शुरू हुए हैं।…आर्गैनिक खेती और सॉइल हेल्थ कार्ड को बढ़ावा दिया जा रहा है।” उन्होंने कहा, ”जब हम इंडस्ट्री और मैन्यूफैक्चरिंग की बात करते हैं कि ‘जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट’ हमारा मंत्र है। जब हम खेती की बात करते हैं तो ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ हमारा मंत्र है।” 

प्रधानमंत्र मोदी ने सौर ऊर्जा और स्वच्छ ईंधन की दिशा में सरकार की पहल का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ”आज भारत में 100 स्मार्ट सिटीज का काम तेजी से चल रहा है। स्थानीय लोगों के सुझावों के आधार पर कटिंग एज टेक्नॉलजी और रीन्यूएबल एनर्जी इस योजना का आधार है। ग्रीन कॉरिडोर विकसित हो रहा है। नए हाइवेज के साथ ऊर्जा जरूरतों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जा रहा है।.. मेट्रो को सौर ऊर्जा से जोड़ा जा रहा है। वॉटर कंजर्वेशन की दिशा में काम किया जा रहा है। ….घर के किचन से लेकर ट्रांसपोर्ट सेक्शन को भी स्वच्छ ईंधन से संचालित करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। बीते 4 सालों में 10 करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए गए, इनमें से 4 करोड़ कनेक्शन तो उज्जवला योजना के तहत गरीबों को मुफ्त दिए गए हैं।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि एयर पलूशन को कम करने के लिए प्रोग्राम चल रहा है। वाहनों के लिए बीएस-4 से सीधे बीएस-6 मानक का ईंधन लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के लिए हमारी प्रतिबद्धता पहले से भी और बढ़ी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि अगले 2 सालों में उत्सर्जन का लेवल 2005 के लेवल से 25 प्रतिशत कम हो। उन्होंने कहा, ”पर्यावरण के प्रति लगाव हमारी आस्था के साथ-साथ आचरण में भी परिलक्षित हो रहा है। भारत 2022 तक सिंगल यूज वाले सभी तरह के प्लास्टिक से मुक्त होगा।”

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