कहते हैं हर एक नजर का सपना एक अदद घर होता है। लेकिन देश को स्वतंत्रता मिलने के 70 साल बाद आज भी करीब पांच करोड़ परिवार ऐसे हैं जिनके पास अपना घर नहीं। शहरों के दो करोड़ और ग्रामीण आबादी के करीब तीन करोड़ परिवार अपना घर होने की हसरत ही पाले बैठे थे, लेकिन कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन परिवारों की पीड़ा को समझा, क्योंकि उनका मानना है, ”एक बार चारदीवारी आ जाती है, छत , आ जाती है तो लोगों के सपनों में जान आ जाती है।” पीएम मोदी ने लोगों के इसी सपने को जिंदा करने की कोशिश की है प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से। उन्होंने साल 2022 तक देश के हर परिवार को घर देने का वादा किया है। सरकार मिशन मोड में लोगों को सस्ते घर बनवाकर भी दे रही है और घर खरीदने में भी मदद देने को तैयार बैठी है।
24 लाख घरों को दी गई मंजूरी
2022 तक सभी के लिए मकान सुनिश्चित करने के लक्ष्य को लेकर जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की थी। प्रधानमंत्री आवास योजना के लागू हुए दो साल हो गए। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में करीब 1.2 करोड़ आवास मंजूर किया जाना है। अब तक महज दो साल में ही 24 लाख किफायती घरों के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है और इसके लिए 11 हजार 412 करोड़ रुपये जारी भी कर दिये गए हैं। इतना ही नहीं पिछले दो सालों में ही करीब 2.99 लाख घरों बन कर भी तैयार हो गए हैं।
शहरी आवास निर्माण की दोगुनी रफ्तार
प्रधानमंत्री आवास योजना(शहरी) की खास बात इसकी तेजी है। दरअसल पूर्ववर्ती सरकारों के तहत इसी तरह की योजना JNNURM-Jawaharlal Nehru National Urban Renewal Mission थी, लेकिन इसकी जटिल प्रक्रियाओं और सरकारों की लापरवाही के कारण इसकी धीमी गति से लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा था। JNNURM के तहत दस सालों में महज 12.4 घरों की मंजूरी दी गई थी। इतना ही नहीं 2005-14 के दौरान इसके लिए महज 17, 400 करोड़ रुपये ही रिलीज किये जा सके थे। जाहिर है PMAY(U)लगभग JNNURM के दोगुनी से भी तेज गति से चल रही है।
37 हजार करोड़ खर्च करेगा केंद्र
शहरी क्षेत्र के लिए लागू प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पिछले दो सालों में 24 लाख प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है। इसके लिए केंद्र सरकार 37, 232 करोड़ रुपये सहायता देगी। आंध्र के13.77 घरों के मंजूरी दी गई है और 4.20 लाख घरों के बनाने के प्रस्ताव को जमा भी कर दिया गया है। वहीं तमिलनाडु ने 3.32 लाख और गुजरात के 1.38 लाख मध्य प्रदेश के 2.83 लाख घरों को मंजूरी दी है। त्रिपुरा ने 50 हजार का प्रस्ताव भेजा था और 45,901 घरों को मंजूरी दे दी गई है। महाराष्ट्र, यूपी जैसे प्रदेशों में रफ्तार कम है लेकिन वहां भी तेजी लाने के प्रयास जारी है।
इस वित्त वर्ष में बनेंगे 12 लाख मकान
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 में शहरों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 12 लाख मकान बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। पीएमएवाई के तहत केंद्र का 2018-19 में 26 लाख, 2019-20 में 26 लाख, 2020-21 में 30 लाख और 2021-22 में 29.80 लाख मकान बनाने का लक्ष्य है। जमीन अधिग्रण की अड़चनों की वजह से योजना रफ्तार नहीं पकड़ सकी थी, लेकिन अब 18.76 लाख मकानों के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है और 13.06 लाख मकानों के निर्माण के लिए धन भी जारी किया गया है।
PMAY ने बढ़ाए रोजगार के अवसर
दो साल पहले शुरू की गयी प्रधानमंत्री आवास योजना ने अब तक 1.2 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में निवेश किये गए हर 1 लाख रुपये पर 2.69 रोजगार लोगों को मिलते हैं। लगातार प्रयासों से यह आंकड़ा 4.06 तक पंहुचा जा सकता है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 1,10,753 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। अनुमान है कि इस पूरी योजना के तहत लगभग 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है।
सस्ते मकान क्षेत्र में जबरदस्त तेजी
प्रधानमंत्री आवास योजना पीपीपी मोड के आधार पर चल रही है। ऐसा अनुमान है कि इस कारण सस्ते आवासीय क्षेत्र में जबरदस्त तेजी आने वाली है। कई हाउसिंग कंपनियों के अनुसार ग्राहकों का जबरदस्त आकर्षण दिख रहा है।पीएमएवाई के तहत केंद्र सरकार ने मध्यम आयवर्ग के लोगों के लिए दो नई योजनाएं शुरू की। इन योजनाओं के तहत 9 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज में 4 फीसदी और 12 लाख रुपये के आवास ऋण पर ब्याज में 3 फीसदी छूट दी गई है।
पीपीपी मोड से कंपनियों में आकर्षण
सस्ते मकानों के इन नए खरीदारों पर कई अन्य कंपनियों की भी नजरें टिकी हुई हैं और इससे सस्ते मकानों की मांग में अब तेजी दिखने लगी है।इसी साल मार्च में कर्म इन्फ्रास्ट्रक्चर ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले में 10 लाख रुपये से कम कीमत वाले 5,120 फ्लैटों के साथ सस्ती आवासीय परियोजना शुरू की है। सिंगापुर ग्लोबल ने गुडग़ांव के सेक्टर 36 में 20 लाख रुपये से कम कीमत वाले 1,244 मकानों के साथ अपनी परियोजना सेरेनाज को शुरू किया है। प्रॉपइक्विटी के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2017 में समाप्त पिछले छह महीने के दौरान 20 लाख रुपये से कम कीमत वाले मकान श्रेणी में 13,122 नए मकान बनाने के लिए परियोजनाएं शुरू की गई हैं।