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यूजर फ्रेंडली और अफॉर्डेबल टेक्नोलॉजी कई बेहतरीन बदलाव लाने में मददगार: प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि टेक्नोलॉजी के विस्तार को लेकर शुरू में कुछ आशंकाएं होती हैं लेकिन फिर जो वास्तविकता सामने आती है वह नए-नए अवसर खोलने वाली होती है। प्रधानमंत्री ने ये बातें सिंगापुर के नान्यांग टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में छात्रों के सवालों के जवाब देते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का अफॉर्डेबल होने के साथ यूजर फ्रेंडली और एक्सेसिबल होना जरूरी है। 

टेक्नोलॉजी ने डर की जगह पैदा किए अवसर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बहुत पहले भी चर्चा चलती थी कि कंप्यूटर आने से नौकरी चली जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कंप्यूटर अवसरों को और विस्तार ही दे गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि टेक्नोलॉजी से सामाजिक असमानता दूर करने में मदद मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले गांव में जहां टायर पंचर ठीक करने वाली दुकान होती थी, वहीं आज मोबाइल रिपेयरिंग करने वाली चार-चार दुकानें होती हैं। प्रधानमंत्री उस सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें पूछा गया था कि चौथी औद्योगिक क्रांति से नौकरियां खत्म होने का एक डर बना है, खासकर भारत जैसे देश में।     

स्पेस टेक्नोलॉजी से सुविधाएं भी अवसर भी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुड गवर्नेंस में स्पेस टेक्नोलॉजी बहुत योगदान कर सकती है और इससे जन सामान्य को बहुत फायदा है। उन्होंने कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी की बदौलत ही मौसम के अनुमान में हम काफी हद तक सही होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने राज्य के मछुआरों के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया था जिससे कैच एरिया का फौरन पता चलता था और इससे मछुआरों की आमदनी भी बहुत बढ़ गई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी के जरिए पॉलिटिकल प्रेशर ग्रुप से भी निपटने में भी मदद मिलती है जो राजनीतिवश कई बार अनावश्यक दबाव बनाते हैं।

21वीं सदी एशिया की बनाएं
एशिया के सामने मौजूदा चुनौतियों से जुड़े सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया मानती है कि 21वीं सदी एशिया की है। प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्होंने चीन के राष्ट्रपति को एक डॉक्यूमेंट सौंपा था जिसमें दुनिया की आर्थिक विकास यात्रा के 2000 साल पर रिसर्च है। इसमें एक तथ्य यह है कि पिछले 2000 साल में से 1600 साल विश्व की जीडीपी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी सिर्फ भारत और चीन को मिलाकर थी। यानि इसमें पिछली तीन सदियों से ही पश्चिम का प्रभाव रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एशिया की चुनौतियों को आज हमें इसी रूप में देखना चाहिए कि हर चुनौती में एक अवसर है।  

2001 से 15 मिनट की भी छुट्टी नहीं ली
सवाल-जवाब के दौर के आखिर में प्रधानमंत्री से पूछा गया कि इतने व्यस्त शेड्यूल के बीच उनके पास इतना स्टैमिना कहां से आता है कि वे डेली बेसिस पर सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहते हैं? इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें देश की रक्षा के लिए बर्फ, रेगिस्तान और पानी में घिरे जवानों को देखकर, किसी मां को अपने बच्चों के लिए घंटों मजदूरी करते देखकर, किसी मजदूर को अपने बच्चों के लिए जिंदगी खपाते देखकर इसकी प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि जब ये लोग इतना करते हैं तो मुझे चैन से सोने का हक नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जानकर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन उन्होंने 2001 से 15 मिनट का भी वैकेशन नहीं लिया है।

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