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मनमोहन सरकार में बंदी के कगार पर खड़ा नेफेड मोदी सरकार में कमाने लगा मुनाफा

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किसानों से दलहन, तिलहन और प्याज की उपज की खरीद करने वाली संस्था भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड यानि NAFED यूपीए-1 और यूपीए-2 सरकार के दौरान एक प्रकार से खतम हो चुकी थी। किसान अपनी फसल इसे देने की बजाए फेंकना बेहतर समझते थे। भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की वजह से वित्तीय संकट में फंसे नेफेड बंद होने की कगार पर पहुंच चुका था। बैंकों की देनदारी को लेकर नेफेड के खिलाफ कई मुकदमे चल रहे थे। लेकिन केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार न सिर्फ इसे जिंदा कर दिया है बल्कि इसे लाभ की स्थिति में ला दिया है।

पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व में किसानों से इन चार वर्षों में समर्थन मूल्य पर 64 लाख मीट्रिक टन दलहन व तिलहन की खरीद की गई। गौरतलब है कि यूपीए सरकार के दौरान जहां सीजन के सीजन गुजर जाते थे लेकिन नेफेड खरीद नहीं कर पा रहा था वहीं नेफेड मोदी के कार्यकाल के दौरान खरीद में रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाया जा रहा है।

रिकॉर्ड खरीद कर नेफेड ने बदला ट्रैक

नेफेड ने वर्ष 2017-18 में 31.91 लाख मीट्रिक टन दलहन तथा तिलहन खरीदने का रिकॉर्ड कायम किया है। मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 में भी नेफेड रिकॉर्ड लाभ कमाने की दिशा में अग्रसर है। जबकि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान यानि 2011-14 के बीच में नेफेड ने किसानों से सिर्फ आठ लाख मीट्रिक टन दलहन एवं तिलहन की खरीद की थी। 

मोदी सरकार ने बढ़ाई बैंक गारंटी

देश के किसानों को संकट से उबारने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेफेड को संकट से उबारने का फैसला किया। ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल की खरीद सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी की सलाह पर नेफेड की बैंक गारंटी बढ़ाकर 42 हजार करोड़ रुपये कर दी गई। जबकि यूपीए सरकार में नेफेड की बैंक गारंटी सिर्फ 200-250 करोड़ रुपये थी।

केंद्र ने क्षतिपूर्ति की व्यवस्था खत्म की

यूपीए की सरकार के समय समर्थन मूल्य योजना में पूर्ण क्षति की प्रतिपूर्ति के बजाय मात्र 15 प्रतिशत क्षतिपूर्ति की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया। नेफेड को समुचित बैंक गारंटी मुहैया कराने के परिणामस्वरूप किसानों से रिकॉर्ड खरीद संभव हो सकी।

वित्तीय अनुशासन और सुधार के नतीजों को परिलक्षित करते हुए नेफेड ने अपनी कमाई से बैंकों को 220 करोड़ रुपये की नकद अदायगी की है। जाहिर है वही नेफेड जो बड़े अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह सरकार के समय बंद होने की कगार पर था, उसे पीएम मोदी की नीतियों ने लाभ में ला दिया। 

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