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सर्वे: पीएम मोदी की लोकप्रियता बरकरार, प्रधानमंत्री पद के लिए बने हुए हैं पहली पसंद

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोगों का भरोसा और मजबूत हुआ है। इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) सर्वे के मुताबिक प्रधानमंत्री पद के लिए नरेन्द्र मोदी दिल्लीवासियों की पहली पसंद बने हुए हैं। इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज के सातवें संस्करण के अनुसार सर्वे में दिल्ली से 49 प्रतिशत लोग नरेन्द्र मोदी को फिर देश का प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं। सर्वे में दिल्ली के 43 प्रतिशत मतदाताओं ने राहुल गांधी को पसंद किया, जबकि सिर्फ 5 प्रतिशत लोगों ने प्रधानमंत्री पद के लिए अरविंद केजरीवाल के पक्ष में अपना वोट दिया। राजनीतिक नब्ज टटोलने के लिए दिल्ली में यह सर्वे 11 से 17 अक्टूबर के बीच किया गया। दिल्ली के 7 संसदीय क्षेत्रों में किए गए इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के इस सर्वे में कुल 2,845 लोगों ने हिस्सा लिया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं और पिछले साढ़े चार वर्षों में उनके प्रशंसकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में आज तक-एक्सिस माई इंडिया ने 25 अगस्त से लेकर 4 सितंबर के बीच मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सर्वे किया। सर्वे के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से काफी ज्यादा लोकप्रिय हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों में लोकप्रियता के मामले में राहुल गांधी का स्थान दूसरा है।

राजस्थान में 57 प्रतिशत लोगों की पसंद
राजस्थान में लोकप्रियता के मामले में प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से काफी आगे हैं। राजस्थान के 25 संसदीय क्षेत्र में किए गए सर्वे में लोकप्रियता के मामले में 57 प्रतिशत लोग नरेंद्र मोदी को पसंद करते हैं, वहीं मात्र 35 प्रतिशत लोग राहुल गांधी को। यहां के 46 प्रतिशत लोग केंद्र सरकार के कामकाज से खुश हैं, जबकि 12 प्रतिशत ठीकठाक बता रहे हैं।

मध्य प्रदेश के लोगों की भी पसंद पीएम मोदी
मध्य प्रदेश के कुल 29 संसदीय क्षेत्र में हुए सर्वे के अनुसार, यहां के 56 प्रतिशत लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी को पसंद किया, वहीं, राहुल गांधी की लोकप्रियता मात्र 36 प्रतिशत लोगों के बीच ही है। राज्य के 47 प्रतिशत लोग केंद्र सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं, जबकि 13 प्रतिशत लोग ठीक-ठाक बता रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में 59 प्रतिशत लोग करते हैं पीएम मोदी को पसंद
छत्तीसगढ़ में 11 संसदीय क्षेत्र में किए गए सर्वे में भी लोकप्रियता के मामले में प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस अध्यक्ष से काफी आगे हैं। यहां 59 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री मोदी को पसंद करते हैं, जबकि राहुल को पसंद करने वाले मात्र 34 प्रतिशत है। 41 प्रतिशत लोग केंद्र सरकार के कामकाज को पसंद करते हैं और 19 प्रतिशत लोग केंद्र के काम-काज को ठीकठाक बता रहे हैं।

प्रशांत किशोर के सर्वे में भी प्रधानमंत्री मोदी पहली पसंद
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी वेबसाइट ‘नेशनल एजेंडा फोरम’ के जरिए एक सर्वे कराया है और लोगों से सवाल किया है कि अपने नेता के रूप में किसे पसंद कर रहे हैं। हर सर्वे की तरह इस सर्वे में भी प्रधानमंत्री मोदी सबसे आगे चल रहे हैं। यानि सर्वे के नतीजों के मुताबिक देश के ज्यादातर लोग 2019 में भी नरेन्द्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।

इस वेबसाइट पर अभी तक जितने लोगों ने अपनी राय दी है, उसके अनुसार लोगों का भरोसा जीतने के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे आगे चल रहे हैं। कुल 36.2 प्रतिशत लोगों का कहना है कि पीएम मोदी सबसे भरोसेमंद नेता हैं। इस सर्वे में राहुल गांधी दूसरे नंबर पर चल रहे हैं और उन्हें कुल 21.4 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिला है। कुल 9.7 प्रतिशत वोट के साथ अरविंद केजरीवाल तीसरे स्थान पर चल रहे हैं। ममता बनर्जी और नीतीश कुमार चौथे और पांचवे स्थान पर हैं।

लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर पहली बार देखने को मिली। तब से लेकर अब तक लगातार चौथे साल भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता कायम है। उसी का परिणाम है कि चुनाव दर चुनाव भारतीय जनता पार्टी अपने विरोधी पार्टियों को पीछे छोड़ती जा रही है। 

महाराष्ट्र में सिर चढ़कर बोला मोदी का जादू
महाराष्ट्र में इसी साल 13 अप्रैल को आए निकाय चुनाव परिणाम भाजपामय रहे। यहां निकाय चुनाव के तहत जामनेर, अजरा, कांकावाली, गुहागार, देवरुख और वैजापुर सीटों पर म्यूनिसिपल काउंसिल के चुनाव हुए। यहां कुल 115 सीटों पर चुनाव हुआ जिसमें अकेले भारतीय जनता पार्टी 57 सीटों पर विजयी हुई। यह सीट कुल सीटों को पचास प्रतिशत है। म्युनिसिपल काउंसिल और पंचायत अध्यक्ष की 6 सीटों में से 4 पर भाजपा की झोली में जनता ने डाल दिया।

मोदी लहर से त्रिपुरा में ढहा ‘लाल’ किला
त्रिपुरा में मोदी लहर देखने को मिली। मोदी लहर से 25 साल से सत्ता पर काबिज सीपीआईएम की सरकार धवस्त हो गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में त्रिपुरा के 60 सीटों में अकेले भाजपा को 35 सीटों पर जीत मिली। एक सीट पर सीपीएम के प्रत्याशी के निधन पर बाद में चुनाव हुए, वहां भी भाजपा को जीत मिली। इस तरह से त्रिपुरा में भाजपा को 60 में से 36 सीट मिली। वहीं, भाजपा के सहयोगी दल आईपीएफटी को भी आठ सीटें मिली। इस जीत पर पीएम मोदी ने हमारे लिए यह जती ‘NO ONE से WON तक की यात्रा’ है। पीएम ने ट्विटर पर लिखा था, ‘त्रिपुरा के मेरे भाइयों बहनों ने जो किया वह अविश्वसनीय है। उनके इस समर्थन और प्यार के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। हम त्रिपुरा के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।’ 

गुजरात और हिमाचल में चला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी बरकरार रहा। गुजरात के 182 सीटों में से सरकार बनाने के लिए जादूई आंकड़े 92 को आसानी से पार करते हुए 99 सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की। गुजरात में भाजपा की यह लगातार छठी जीत है। हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों में से दो-तिहाई के आंकड़े को छूते हुए 44 सीट पर भाजपा को जीत मिली। 

महाराष्ट्र भी मोदीमय
महाराष्ट्र में 7 अक्टूबर, 2017 को हुए विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तरी महाराष्ट्र और पश्चिमी महाराष्ट्र के ग्राम पंचायत चुनाव के परिणाम आए थे। इसमें बीजेपी ने लगभग 50% सीटों पर कब्जा जमा लिया था।

मीरा-भायंदर महानगर पालिका भाजपामय 
पंचायत चुनाव से पहले मीरा-भायंदर महानगर पालिका के चुनाव में बीजेपी ने शिवसेना और कांग्रेस को बहुत पीछे छोड़ दिया था। चुनाव में बीजेपी 61 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। चुनाव परिणाम में बीजेपी को 61, शिवसेना को 22, कांग्रेस को 10 और अन्य को 2 सीटों पर जीत मिली थी जबकि एनसीपी का खाता भी नहीं खुला था। 

केएएसी, असम चुनाव में भी भाजपा को भारी बहुमत
कार्बी आंग्लांग स्वायत्तशासी परिषद (केएएसी) चुनाव में भाजपा भारी बहुमत से जीती थी। भाजपा को 26 सीटों में से 24 सीटों पर सफलता मिली। बाकी दो सीटों पर भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ने वाले आर टकबी और डी उफिंग मासलाई के खाते में गई थी। इस चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। असम के पहाड़ी जिले कार्बी आंग्लांग के केएएसी चुनाव में कांग्रेस के साथ अगप और स्थानीय पार्टी एचएसडीसी का भी खाता नहीं खुला था। 

एमसीडी में प्रचंड जीत
दिल्ली नगर निगम चुनाव (एमसीडी) में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली थी। बीजेपी को तीनों एमसीडी में बहुमत मिला था। दिल्ली नगर निगम की 270 सीटों में से बीजेपी को 184, आम आदमी पार्टी को 45, कांग्रेस को 30 और अन्य को 11 सीटों पर जीत मिली थी। चुनाव में कांग्रेस के 92 और आम आदमी पार्टी के 40 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

जम्मू-कश्मीर के उच्च सदन में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी
जम्मू-कश्मीर विधान परिषद चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राज्य विधानपरिषद के चुनाव परिणाम के अनुसार 34 सीटों वाले जम्मू-कश्मीर के उच्च सदन में बीजेपी 11 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में भाजपा की लहर
महाराष्ट्र में महानगरपालिकाओं और जिला परिषदों के लिए हुए चुनावों में बीजेपी ने भारी जीत दर्ज की। बीएमसी की 227 सीटों में बीजेपी को 82 सीटें मिली। पुणे में बीजेपी को 74, 
नागपुर में 70, नासिक में 33, पिंपरी चिंचवाड़ में 70, इसी तरह उल्हासनगर में 34, सोलापुर में 49, अकोला में बीजेपी को 48 और अमरावती मे 45 सीटें मिली। 1514 जिला परिषद चुनाव में बीजेपी को 403, शिवसेना को 269, कांग्रेस को 300, एनसीपी को 344 सीटें मिली। महाराष्ट्र की चंद्रपुर और लातूर महानगरपालिका चुनावों में बीजेपी को भारी सफलता मिली। लातूर में पिछली बार बीजेपी को एक भी सीट नही मिली थी। इस बार 41 सीटों पर कामयाबी मिली। आजादी के बाद पहली बार यहां कांग्रेस को करारी हार मिली।

ओडिशा में भी जय-जयकार
ओडिशा में स्थानीय निकायों के चुनाव में भी बीजेपी ने परचम लहरा दिया। कोई खास जनाधार नहीं होने के बाद भी बीजेपी को यहां 270 सीटों का फायदा हुआ है। बीजेपी को यहां 2012 में 36 सीटें मिली थीं जो अब बढ़कर 306 हो गई हैं। बीजेपी यहां सत्ताधारी बीजू जनता दल के बाद दूसरे नंबर पर आई है। बीजेपी ने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल दिया है। 

चंडीगढ़ में बल्ले-बल्ले
नोटबंदी के बाद 18 दिसंबर को चंडीगढ़ नगर निकाय के चुनाव हुए। यहां भाजपा को जबर्दस्त बहुमत मिला। इस चुनाव में 26 में से 20 सीट भाजपा की झोली में गई जबकि सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल को एक सीट मिला। कांग्रेस पार्टी का तो सूपड़ा ही साफ हो गया। वह मात्र 4 सीट पर सिमट गई। भाजपा का वोटिंग शेयर यहां 56 फीसदी हो गया है। चंडीगढ़ निकाय चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले आम आदमी पार्टी के सभी नेताओं की जमानत जब्त हो गई। 

महाराष्ट्र निकाय चुनाव में भाजपा अव्वल
महाराष्ट्र में पहली बार म्यूनिसिपल काउंसिल के अध्यक्ष पद के लिए डायरेक्ट चुनाव हुए। इसमें बीजेपी को 51 सीटें मिलीं जो कि कांग्रेस, एनसीपी या शिवसेना से दोगुनी है। शिवसेना को 25 और कांग्रेस को महज 23 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। यानी 2011 में जो पार्टी चौथे नंबर पर थी, वो नोटबंदी के फैसले के बाद 2016 में पहले नंबर पर आ गई, वो भी ग्रामीण इलाके में। 

गुजरात के निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत
गुजरात में हुए स्थानीय चुनावों में तो बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया था। यहां के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस से 35 सीटें छीन लीं थीं। 126 में से 109 सीटें जीती। वापी नगरपालिका, राजकोट, सूरत-कनकपुर-कंसाड में जो चुनाव हुए, उसमें बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।

उपचुनाव में जीत
प्रधानमंत्री मोदी के जलवे के चलते पंजाब और गोवा के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में भी जोरदार झटका लगा। दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की। इस सीट पर कांग्रेस दूसरे और आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही है और उसकी जमानत तक जब्त हो गई। 

असम- नोटबंदी के बाद लखीमपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। यहां से भाजपा प्रत्याशी प्रधान बरुआ को जीत मिली। बैथालांगसो विधानसभा सीट पर भाजपा के ही मानसिंह रोंगपी ने जीत हासिल की।

मध्य प्रदेश- मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट और नेपानगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। शहडोल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिंह और नेपानगर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मंजू दादू ने जीत दर्ज की।

अरुणाचल प्रदेश- नोटबंदी के बाद अरुणाचल प्रदेश में भी भाजपा की लहर देखने को मिली। भाजपा प्रत्याशी देसिंगू पुल को हायूलियांग विधानसभा सीट से जीत मिली।

त्रिपुरा- यहां उपचुनाव के बाद भाजपा का वोट शेयर 1% से बढ़कर पूरे 21% तक पहुंच गया है। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 41% से घट कर मात्र 2% हो गया है।

पश्चिम बंगाल- नोटबंदी के बाद पश्चिम बंगाल के कूचबिहार और तामलुक लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। कूचबिहार लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 16.4 से बढ़कर 28.5 फीसदी हो गया। वहीं तामलुक लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 6.4 से बढ़कर 15.25 फीसदी तक पहुंच गया। दोनों लोकसभा सीट पर भाजपा तृणमूल कांग्रेस के सामने खतरा बनकर उभरी है।

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