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प्रधानमंत्री मोदी ने किया गुजरात फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को गुजरात फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ छात्रों को डिग्रियां देने के अलावा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि पुलिस, फोरेंसिक और ज्यूडिशियरी, ये तीनों ही क्रिमिनल जस्टिस डिलेवरी सिस्टम के अभिन्न अंग होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसी भी देश में ये तीनों अंग जितने ज्यादा मजबूत होंगे, उतना ही वहां के नागरिक सुरक्षित रहेंगे और आपराधिक गतिविधियां नियंत्रण में रहेंगी। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध को रोकने के लिए सरकार ने अहम कदम उठाए हैं।

गौरतलब है कि 2008 में राज्य का मुख्यमंत्री रहते हुए ही श्री मोदी ने इस विश्वविद्यालय की नींव रखी थी।

गुजरात फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री का संबोधन

गुजारत के गवर्नर श्रीमान ओपी कोहली जी, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी जी, उपमुख्यमंत्री नितिन भाई, मंत्री परिषद् के उनके सहयोगी श्रीमान भूपेंद्र सिंह चुड़ासमा, श्री प्रदीप सिंह जडेजा, गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर जनरल डॉ. जे एम व्यास, दीक्षांत समारोह में शामिल सभी महानुभाव, मेडल विजेता, स्कॉलर्स, उनके अभिभावक और आज प्रधानमंत्री के स्पेशल गेस्ट, स्कूल के जो बच्चे यहां आए हैं वे मेरे स्पेशल मेहमान हैं।

भाइयो और बहनो
आप सभी का गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के चौथे दीक्षांत समारोह में मैं हृदयपूर्वक बहुत-बहुत स्वागत करता हूं। सबसे पहले मैं उन विद्यार्थियों को हृद्य से बधाई देता हूं, जिन्हें आज डिग्री मिल रही है और जो अपने जीवन के आगे की और बहुत महत्वपूर्ण यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं। मैं सभी छात्र-छात्राओं के माता-पिता और उनके परिवार के अन्य सदस्यों का भी हृदयपूर्वक अभिनंदन करता हूं। उनकी परवरिश और उनके प्रयत्न और परिश्रम से ही उनकी लाड़ली बेटी और लाड़ले बेटे इस सफलता के मुकाम तक पहुंचे हैं।

साथियों पुलिस, फॉरेंसिक साइंस और जुडिशियरी ये तीनों ही क्रिमिनल जस्टिस डिलिवरी सिस्टम के अभिन्न अंग होते हैं। किसी भी देश में ये तीनों अंग जितने ज्यादा मजबूत होंगे, उतना ही वहां के नागरिक सुरक्षित होंगे और आपराधिक गतिविधियां नियंत्रण में रहेंगी। इसी सोच के साथ बीते बर्षों में गुजरात में एक होलिस्टिक एप्रोच के साथ इन तीनों स्तंभों को विकसित करने का कार्य शुरू हुआ था। रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी….यानी एक तरह से कानून व्यवस्था से जुड़ा कम्प्लीट होलिस्टिक पैकेज…इसी का नतीजा है कि आज रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी से क्वालफाइड ट्रेंड स्टूडेंट्स निकल रहे हैं, जो विभिन्न सुरक्षा बलों में जाकर इंटरनल सिक्युरिटी को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी से निकले युवा कुशलतापूर्वक जांच और न्यायिक प्रक्रिया को और सशक्त कर रहे हैं।

साथियों आज के बदलते समय में अपराधी अपने अपराध को छिपाने के लिए और अपने बचने के लिए जिन तरीकों को अपना रहे हैं। उस स्थिति में ये उतना ही महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति को यह एहसास हो कि अगर कुछ गलत करेगा, तो वह कभी-न-कभी पकड़ा जाएगा और उसे सजा भुगतनी पड़ेगी। पकड़े जाने के भय की यह भावना और अदालत में उसके अपराध साबित होने का डर अपराध को नियंत्रण करने में बहुत मददगार साबित होता है। और यही पर फॉरेंसिक साइंस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। श्योरिटी ऑफ पनिश्मेंट हमारे जुडिशियल सिस्टम की क्रेडबिलिटी को भी और नई ताकत देती है। मैं गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी इस बात के लिए विशेष सराहना करता हूं कि वह वैज्ञानिक तरीके से क्रिमिनल इन्वेस्टगेशन और जस्टिस डिलिवरी सिस्टम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ह्यूमन रिसोर्स का एक बड़ा पुल तैयार कर रही है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि एक्रॉस द गव… लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियां आपकी यूनिवर्सिटी से मदद मांगने के लिए आगे आ रही हैं। अनेक देशों को प्रशिक्षण देकर, उन्हें सलाह देकर आपकी यूनिवर्सिटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रही है। मुझे बताया गया है कि पिछले पांच साल में गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी ने 6 हजार से अधिक अफसरों को ट्रेनिंग दी है, इसमें बीस से अधिक देशों के सात सौ से ज्यादा पुलिस अफसर भी यहां ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके हैं। अपने-अपने देश में लौट कर ये अफसर अपने नॉलेज और स्किल का इस्तेमाल अपने देश और समाज को सुरक्षित रखने में कर रहे हैं। ये सबके के लिए गर्व की बात है। आज गुजरात की एक यूनिवर्सिटी ग्लोबल सिक्युरिटी में निर्णायक भूमिका निभा रही है।

साथियों आज के इस दौरा में ये भी बहुत आवश्यक है कि हर नई व्यवस्था खुद को आधुनिक तकनीक के अनुरूप ढलती रहे। निश्चित तौर पर इसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान है। डिजिटल टेक्नोलॉजी ने तो फॉरेंसिक साइंस को नई ताकत दी है। पहले तो सारी टेस्टिंग और इन्वेस्टगेशन फिजिकली ही करने पड़ते थे। आज डिजिटल टेक्नोलॉजी ने इन कार्यों को और आसान किया है और प्रिसाइज भी किया है। मैं समझता हूं कि इस क्षेत्र में नये नये सॉफ्टवेयर डिवेलप किए जाने और डिजिटल स्टूल का इस्तेमाल बढ़ाने का बहुत स्कोप अभी भी है। और इस दिशा में ज्यादा विस्तार से सोचा जाना चाहिए।

साथियों एक तरफ इंटरनेट ने हम सभी के जीवन को आसान बनाने का काम किया है, तो दूसरी तरह एक नये तरह का अपराध.. साइबर अपराध को जन्म मिला है। ये साइबर अपराध देश के नागरिकों की प्राइवेसी के लिए चुनौती तो है ही..हमारे सभी अन्य व्यवस्थाओं को प्रभावित करते हैं। नेशनल सिक्युरिटी के साथ ही विश्व के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। आज इस अवसर पर सभी साइबर और डिजिटल एक्सपर्ट से आग्रह करता हूं कि वह डिजिटल इंडिया मिशन का सहभागी बनाकर देश और समाज को सुरक्षित करने और उसे सशक्त करने में मदद करें। सरकार द्वारा साइबर क्राइम को रोकने के लिए और ऐसे अपराधियों में भय उत्पन्न करने के लिए जरूरी कदम उठाये गए हैं। साइबर फॉरेंसिक लैब्स को भी मजबूत किया गया है। इसके साथ ही आप जैसे अनुभवी एक्सपर्ट की भी देश को बहुत बहुत आवश्यकता है। जो कम समय में ऐसे अपराधियों तक पहुंचने में जांच एजेंसियों की मदद कर सकते हैं।

साथियों बदलते समय के साथ सिर्फ क्राइम में ही नहीं बल्कि अलग-अलग क्षेत्र में भी फॉरेंसिक साइंस का महत्त्व बढ़ रहा है। इंश्योरेंस और हेल्थ सेक्टर में भी फॉरेंसिक साइंस मददगार साबित हो सकता है।

फॉरेंसिक साइंस के हर छात्र के लिए ह्यूमन इन्टेलिजन्स की बारिकियों को विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है। कच्छ इलाके में सदियों से पगी समुदाय अपने ह्यूमन इन्टेलिजन्स के लिए मशहूर रहे हैं। जैसे ऊंट के फूट प्रिंट देखकर बता देते हैं कि ऊंट अकेला था या उस पर कोई सवार था या सामान के साथ आया था। कुछ इलाकों में गंभीर अपराधों को सल्ब करने के लिए पुलिस पगी समुदाय की मदद लेती है।

भारत के कई राज्यों में जो ट्रेडिशनल चीजें थी, उन्हें फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के द्वारा अगर इकट्ठा किया जाए और उन ट्रेडिशनल नॉलेज को आधुनिक टेक्नोलॉजी से जोड़कर उसको नये आयाम पर कैसे ले जाया जा सकता है, मैं समझता हूं इस विद्या का उपयोग किया जाए तो हम इन चीजों को बहुत आगे बढ़ा सकते हैं।

ट्रेडिशनल नॉलेज और आधुनिक टेक्नोलॉजी ने एफिसियेंसी लाई है, परफेक्शन लाया है। ट्रेडिशनल नॉलेज, ह्यूमन इन्टेलिजन्स, और माडर्न टेक्नोलॉजी.. इन तीनों को मिलाकर इस क्षेत्र में हम किस प्रकार काम कर सकते हैं। इस दिशा में फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी को भी काम करना चाहिए। मध्यप्रदेश के मंदसौर में अदालत ने नाबालिग से बलात्कार मामले में दो आरोपियों को 2 महीने में फांसी की सजा सुना दी। मध्य प्रदेश के कटनी में अदालत ने 5 दिनों में ही सुनवाई के बाद राक्षसों को फांसी की सजा दी। राजस्थान में भी अदालतों ने त्वरित कार्रवाई की है। 
रेप जैसे जघन्य अपराधों में हमारी अदालतें तेज गति से फैसले ले.. इसके लिए फॉरेंसिक साइंस और आप जैसे एक्सपर्ट्स बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं। बहुत बड़ा प्रभाव पैदा कर सकते हैं। सरकार ने कानून को कड़ा किया और पुलिस ने जांच की। लेकिन फॉरेंसिक साइंस ने जल्द फैसला लेने में कोर्ट को मजबूत साइंटिफिक सपोर्ट सिस्टम दिया। न्यायिक प्रक्रियाओं में इस तरह की तेजी और अपराधियों को बचने का कोई मौका भी नहीं दे।  साथियों फॉरेंसिक साइंस को देश के हर राज्य में ज्यादा से ज्यादा मजबूत करने और उसे विस्तार करने में सरकार लगातार कार्य कर रही है। इसी कड़ी में देश के पुलिस बल के आधुनिकीकरण की योजना के तहत सरकार ने गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी को अपग्रेड करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और क्षेत्रीय स्तर पर सेंटर ऑफ एक्सलन्स और नये इंस्टट्यूट की स्थापना के लिए काम शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर 300 करोड़ रूपये खर्च किए जाएंगे। इसमें 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी। गुजरात सरकार इसके लिए 50 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। इस राशि का इस्तेमाल फॉरेंसिक साइंस तकनीक का आधुनिकीकरण और विस्तार देने में किया जाएगा।

 

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