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प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं से बढ़े रोजगार के अवसर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की योजनाओं और नीतियों से देश में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। ऑनलाइन भर्ती के मामले में ही नवंबर महीने में 24 प्रतिशत का उछाल आया है। ऑनलाइन नियुक्ति विकल्प उपलब्ध कराने वाली कंपनी मॉनस्टर डॉट कॉम का नवंबर महीने का रोजगार सूचकांक एमईआई 297 रहा, जो कि पिछले साल इसी अवधि में 240 से 24 प्रतिशत अधिक है। इंडेक्‍स के मुताबिक 27 में से 21 सेक्‍टर्स में ऑनलाइन डिमांड एक्‍टिविटी पिछले साल के स्तर से अधिक है। आइये जानते हैं मोदी सरकार के प्रयासों का रोजगार के क्षेत्र में कितना असर हुआ है।

स्वावलंबन की ओर बढ़ चला भारत
स्किल डेवलपमेंट, स्टार्ट अप, मेक इन इंडिया और मुद्रा योजना जैसी कई क्रांतिकारी योजनाएं भारत को समृद्ध और स्वाबलंबी बनाने की दूरदर्शी सोच के साथ आगे बढ़ रही हैं। डिजिटल इंडिया के माध्यम से स्वाभाविक माहौल के साथ जीएसटी जैसा बड़ा आर्थिक सुधार सकारात्मक संदेश देने में सफल रहा है। एफडीआई को बढ़ावे के साथ ही भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए मेक इन इंडिया लॉन्च किया गया।

Job Creator बन रहा भारत का युवा वर्ग
मोदी सरकार सिर्फ रोजगार के लिए रोजगार पैदा करने की खानापूर्ति पर काम नहीं कर रही, बल्कि एक ऐसा वातावरण बना रही है जिससे रोजगार पाने वाले और रोजगार पैदा करने वाले दोनों का विकास हो। स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप इंडिया जैसे कदम बता रहे हैं कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत की तस्वीर बदलने वाली है।

मोदी सरकार में बढ़े रोजगार के अवसर के लिए चित्र परिणाम

मुद्रा योजना से बढ़े अवसर
इस योजना के तहत छोटे कारोबारियों को उनके कारोबार में मदद दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत 10 लाख रुपये तक के लोन दिये जाते हैं, जो कि तीन तरह के होते हैं। इनके नाम हैं शिशु, किशोर और तरुण। शिशु योजना के तहत 50 हजार रुपये तक के लोन दिए जाते हैं। किशोर योजना के तहत 50 हजार रुपये से 5 लाख रुपये तक के लोन दिए जाते हैं, जबकि तरुण योजना के तहत 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक के लोन दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने केवल दो वर्षों में 5.7 करोड़ लोगों के लिए किसी ना किसी तरह के रोजगार का सृजन किया है। गौर करने वाली बात है कि इस योजना का लाभ उठाने वालों में करीब 70 फीसदी महिलाएं हैं।

स्किल डेवलपमेंट से बढ़ रहे रोजगार के अवसर
आवश्यकता और उपलब्ध मानव संसाधनों के बीच अगर सही तालमेल न रखा गया तो देश आर्थिक और सामाजिक विकास की दौर में पिछड़ सकता है। इसी सोच के साथ मई 2014 में सरकार बनते ही अलग से इसके लिए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय का गठन किया गया। इसके लिए देश भर में 21 मंत्रालयों और 29 राज्यों में चल रहे 70 से ज्यादा कौशल विकास कार्यक्रम को इसी मंत्रालय के अंदर ले आया गया।

2022 मे 11 करोड़ स्किल्ड वर्क फोर्स की होगी डिमांड
12,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू हुई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत चार साल में एक करोड़ युवकों को प्रशिक्षित करना है। स्किल डेवलपमेंट के तहत अब तक 56 लाख से अधिक युवा प्रशिक्षित किये जा चुके हैं जिनमें से करीब 24 लाख अपने हुनर से जुड़े क्षेत्र में रोजगार पा चुके हैं। हालांकि 2022 तक देश में सभी 24 महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में 10.9 करोड़ से अधिक मानव संसाधनों की आवश्यकता होगी।

स्किल्ड इंडिया के लिए चित्र परिणाम

रियल इस्टेट में नौकरियों की बहार
आंकड़े बताते हैं कि रियल एस्टेट और रिटेल समेत देश के कम से कम 24 सेक्टरों में आने वाले पांच सालों में करीब 12 करोड़ स्किल्ड कामगारों की आवश्यकता होगी। सरकार की योजनाओं के तहत प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के भरपूर अवसर होंगे।

IT सेक्टर में बढ़े रोजगार के अवसर
NASSCOM के अनुसार भारत में आईटी कंपनियों ने केवल पिछले साल 1.7 लाख नौकरियां दी हैं। आखिरी तिमाही में यानि 2017 के पहले तीन महीनों में ही 50 हजार लोगों को रोजगार मिला है। वर्तमान में आईटी सेक्टर में 39 लाख लोग रोजगार से जुड़े हैं। जबकि इनमें से 6 लाख नौजवानों को पिछले तीन सालों के दौरान नौकरी मिली है। NASSCOM का अनुमान है कि 2025 तक देश में आईटी क्षेत्र का कारोबार 350 करोड़ डॉलर का होगा और जिसमें 25 से 30 लाख और अधिक नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।

मोदी सरकार में बढ़े रोजगार के अवसर के लिए चित्र परिणाम

PMAY ने बढ़ाए रोजगार के अवसर
दो साल पहले शुरू की गयी प्रधानमंत्री आवास योजना ने अब तक 1.2 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 1,10,753 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। अनुमान है कि इस पूरी योजना के तहत लगभग 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है।

20 लाख महिलाएं घर से कर रहीं अरबों का कारोबार
डिजिटल लेनदेन के सरकार के प्रयासों में अब होम मेकर्स भी बढ़-चढ़कर हाथ बंटा रही हैं। घर से बैठकर कम से कम 20 लाख महिलाएं 8 से 9 अरब डॉलर का व्यापार कर रही हैं। व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए वो अपने द्वारा बनाये गए सामान को लोगों तक पहुंचा रही हैं।

पांच सालों में होगा साठ अरब डॉलर का कारोबार
घर से ऑनलाइन रीसेलिंग का व्यापार करने वाली महिलाओं की संख्या में अगले पांच सालों में हर वर्ष 50 से 60 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। इसके साथ ही 2022 तक ये व्यापार 48 से 60 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।

 

मीडिया और मनोरंजन उद्योग में 7-8 लाख रोजगार
Confederation of Indian Industries (CII) और ग्लोबल मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी Boston Consulting Group (BCG) की रिपोर्ट से यह अनुमान सामने आया है कि आने वाले पांच वर्षों में भारत की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सात से आठ लाख नौकरियां निकलने जा रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में मीडिया और मनोरंजन की सामग्रियों को लेकर रुझान काफी बढ़ा है जिसके चलते इस सेक्टर में रोजगार के अवसर काफी बढ़ने वाले हैं। CII के डायरेक्टर जनरल चंद्रजीत बनर्जी ने कहा: “डिजिटल प्लेटफॉर्म का काफी विस्तार हो रहा है और इस सेक्टर में इतने अवसर बनने जा रहे हैं जितने पहले कभी नहीं बने। विशेष रूप से रचनाकार, कथाकार और टेक्नोलॉजी मुहैया कराने वालों के लिए बहुत सारे मौके उभरेंगे।” CII-BCG की रिपोर्ट बताती है कि मीडिया और मनोरंजन उद्योग को अगले पांच वर्षों के दौरान हर वर्ष 1.4 लाख से 1.6 लाख के बीच प्रशिक्षित युवाओं की जरूरत पड़ेगी।

राजमार्ग परियोजनाओं से 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार
युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी कृत-संकल्प हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, 83 हजार किलोमीटर के राजमार्गों के निर्माण और चौड़ीकरण की योजना को लागू करने के लिए 7 लाख करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दे दी गई है। इस योजना के लागू होने से 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार युवाओं को मिलेगा।

पर्यटन क्षेत्र में उपलब्ध होंगे 10 करोड़ रोजगार
नरेंद्र मोदी सरकार अगले पांच साल में युवाओं को 10 करोड़ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने जा रही है। सरकार की योजना अगले पांच वर्षों में चार करोड़ विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की है। अगर साल 2016 की बात की जाए तो इस साल यात्रा एवं पर्यटन उद्योग ने 2 करोड़ 54 लाख नौकरियां पैदा की, जो देश के कुल रोजगार का 5.8 फीसदी है। एसोचैम और यस बैंक द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन में कहा गया कि भारत तेजी से मेडिकल और वेलनेस पर्यटन के क्षेत्र में एशिया का केंद्र बनता जा रहा है, क्योंकि यहां कम उपचार लागत पर बेहतर गुणवत्ता की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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