Home समाचार पोषण अभियान से आंगनबाड़ी केंद्रों में फर्जीवाड़ा का खुलासा, असम में मिले...

पोषण अभियान से आंगनबाड़ी केंद्रों में फर्जीवाड़ा का खुलासा, असम में मिले 14 लाख बच्चे फर्जी

SHARE

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने के लिए केंद्र सरकार एक अभियान चला रही है। अभियान के लिए सभी राज्यों को आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों की गिनती करने को कहा गया। सर्वे के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। असम में आंगनबाड़ी में दर्ज 14 लाख बच्चों के नाम पर सुविधाएं तो ली जा रही थीं, लेकिन उन बच्चों का कुछ अता-पता नहीं है। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने एक पोषण अभियान कार्यशाला को संबोधित करते हुए इसका खुलासा किया। दरअसल, देश के बच्चों को कुपोषण से मुक्त रखने के लिए 10 मंत्रालयों के साथ मिलकर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय काम कर रहा है। असम में 14 लाख बच्चे फर्जी तौर पर आंगनबाड़ी से जुड़े पाए जाने के बाद मेनका ने सभी राज्यों को एक महीने में आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों की गिनती कराने को कहा है। 

मोदी सरकार शासन तंत्र में पनपे सिस्टमेटिक करप्शन को खत्म करने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रही है। उसी का नतीजा है कि भ्रष्टाचार के लिए होने वाले फर्जीवाड़ें सामने आए हैं, उन फर्जीवाड़ों पर एक नजर –

‘कार्यों की समीक्षा न होने से घपले’
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया कि देश में 14 लाख आंगनबाड़ी काम कर रही है। पिछले 40 साल से उनके काम की समीक्षा नहीं होने से कई तरह के घपले हो रहे थे। इसलिए अब उनके काम की समीक्षा हो रही है। पीएम मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार सितंबर महीने में कुपोषण मुक्ति के लिए पोषण अभियान चला रही है। इसमें हेल्पलाइन नंबर 14408, एप तथा 43 कम्युनिटी रेडियो की मदद ली जाएगी। इसके लिए महिला एवं बाल विकास समेत 10 मंत्रालय कुपोषण, महिला एवं शिशु देखभाल, किशोरियों की समस्या और व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाएंगे। 

1.30 लाख फर्जी शिक्षकों का खुलासा
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीते साल सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से कहा था कि वे अपने यहां कार्यरत शिक्षकों की जानकारी देते समय उनका 12 अंकों का आधार नंबर भी जरूर उपलब्ध कराएं। आधार नंबर के जरिये शिक्षकों के बारे में पता करने की प्रक्रिया के दौरान एक बड़ा खुलासा सामने आया है कि देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत बताए जा रहे 1,30,000 शिक्षक असल में हैं ही नहीं। livemint की खबर के अनुसार देश के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की संख्या करीब 14 लाख है। यानी अब आधार से पहचान के पुष्टिकरण के बाद इनमें से 10 प्रतिशत ऐसे निकले हैं जो असल में थे ही नहीं। 

मिड डे मील योजना में भी फर्जी छात्रों का पर्दाफाश
यह एक बड़ा खुलासा है जो आधार के जरिये पहचान कन्फर्म करने की प्रक्रिया से सामने आया है। इससे पहले मध्यान्ह भोजन यानी मिड डे मील योजना में भी ऐसी ही गड़बड़ियां सामने आई थीं। पिछले वर्ष अप्रैल में पता चला था कि इस योजना में 4 लाख 40 हजार छात्रों का रजिस्ट्रेशन फर्जी तरीके से हुआ है। यह आंकड़ा भी सिर्फ तीन राज्यों-आंध्र प्रदेश, झारखंड और मणिपुर के बच्चों का था। ऐसे में अनुमान ही लगाया जा सकता है कि गड़बड़ी किस स्तर पर हो रही होगी और आधार लिंकेज इसका पर्दाफाश करने में कितना कारगर है। मोदी सरकार अपने सुधारवादी कार्यक्रमों में आधार लिंकेज को शामिल कर भ्रष्टाचार पनपाने वाले लीकेज को खत्म करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

राशन कार्ड से आधार जुड़ा तो मिले 3 करोड़ फर्जी 
आधार नंबर से राशन कार्ड को जोड़ने की योजना से भी सरकारी खजाने को राहत मिली है। खाद्य सब्सिडी में सालाना 17 हजार करोड़ रुपये की चोरी रुक गई है। आधार लिंकिंग से देश भर में कुल 3 करोड़ फर्जी और नकली राशन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 23.20 करोड़ राशन कार्ड हैं जिसे शत प्रतिशत डिजिटल किया जा चुका है। अब तक 19 करोड़ यानी 82 फीसदी राशन कार्ड को आधार से जोड़ा जा चुका है। इसमें 2.95 करोड़ राशन कार्ड फर्जी मिले। इन फर्जी राशन कार्डों को रद्द करने से सालाना 17 हजार करोड़ की बचत हो रही है।

पौने चार करोड़ फर्जी गैस कनेक्शन खत्म 
सरकार ने रसोई गैस कनेक्शन से आधार लिंक करना अनिवार्य कर दिया। इसके साथ ही गैस सब्सिडी आधार लिंक्ड बैंक खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट के तहत जाने लगा। इससे नकली कनेक्शन और चोर-बाजारी की समस्या पर रोक लगाने में मदद मिली है। 1 दिसंबर, 2017 तक के ताजा सरकारी आंकडों के मुताबिक आधार से लिंक करने की वजह से कुल 3,77,94,000 गैस कनेक्शन रद्द किए जा चुके हैं। इनमें फर्जी, एक नाम से अलग-अलग कंपनियों में कनेक्शन और निष्क्रिय गैस कनेक्शन शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा फर्जी गैस कनेक्शन रद्द किए गए हैं। वहीं एलपीजी कनेक्शन को आधार नंबर और बैंक खाते के जोड़ने के बाद से अब तक सरकार 29,668 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत कर चुकी है। 

मनरेगा के एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड रद्द 
मनरेगा में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए आधार नंबर को इस योजना के लिए अनिवार्य कर दिया। आधार नंबर लिंक होने पर मनरेगा में देश भर में एक करोड़ से ज्यादा जॉब कार्ड फर्जी मिले। सरकार ने तत्काल प्रभाव से फर्जी जॉब कार्ड को रद्द कर दिया।

DBT से हुई 75,000 करोड़ की बचत
सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का पैसा सीधे खातों में भेजकर यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से मोदी सरकार ने 2014 से लेकर अबतक करीब 75 हजार करोड़ रुपये की बचत की है। नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक डीबीटी पेमेंट इस वित्त वर्ष में 1,00,144 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सरकार ने 2016-17 में डीबीटी के जरिए 74,707 करोड़ जारी किए थे जबकि 2013-14 में यूपीए के कार्यकाल के दौरान 7,367 करोड़ रुपये का डीबीटी हुआ था। ग्रामीण रोजगार योजना और सब्सिडी वाली रसोई गैस के लिए इस वित्त वर्ष में 63 करोड़ से ज्यादा लोगों को डीबीटी पेमेंट मिला है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 35 करोड़ का था। इस तरह डीबीटी से देश की आधी आबादी को बिना किसी बिचौलिए या लीकेज के सीधे भुगतान का फायदा मिल रहा है। खबर के अनुसार अनुसार योजना और सब्सिडी का पैसा गलत हाथों में जाने से रुकने से सरकार की कुल बचत लगभग 75,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है।

बिछड़े परिजनों को मिलाया
आधार सिर्फ भ्रष्टाचार रोकने में ही नहीं, लापता परिजनों को खोजने में भी कारगर साबित हुआ है। आधार कार्ड पहचान का आधार होने के साथ-साथ अपनों को मिलाने का जरिया भी बन रहा है। आधार कार्ड बने होने की वजह से अपनों से बिछड़ गए सैकड़ों लोगों को वापस अपना परिवार मिल गया है। आधार नंबर की बदौलत 500 गुमशुदा बच्चों का पता लगाया गया। इसका सबसे बड़ा मानवीय पक्ष यह है कि अगर आधार न होता तो सैकड़ों व्यक्ति गुमनामी के अंधेरे खो गए होते।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने संसद में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए Prevention of Money-Laundering (Maintenance of Records) पारित किया। इस कानून के तहत सरकार ने कई योजनाओं और सेवाओं के साथ आधार नंबर से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है। जाहिर है सरकार के इस कदम से सब्सिडी बिचौलिए की जेब में न जाकर लाभार्थियों के खाते में जा रही है। 

Leave a Reply