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कठोरतम आलोचना को भी आदर से देखना अटल जी से सीखा जा सकता है- पीएम मोदी

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पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आदमकद चित्र का अनावरण किया गया। इस अवसर पर आयोजित विशेष समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन मौजूद रहे। इस मौके पर पीएम मोदी ने अटल जी को आदरांजलि अर्पित करते हुए उनके व्यक्तित्व के बारे में कहा कि अब वे इस नए रूप में हमें आशीर्वाद और प्रेरणा देते रहेंगे।

उनके भाषण से ज्यादा ताकत उनके मौन में थी- पीएम मोदी
अटली जी के महान व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि इतने साल पार्लियामेंट के गलियारे में जिंदगी गुजारने के बाद और दशकों तक सत्ता से दूर रहते हुए भी उन्होंने जन सामान्य की पवित्रता और निष्ठा से सेवा की। सामान्य मानवी की आवाज बुलंद करते रहना और व्यक्तिगत हित के लिए कभी रास्ता न बदलना, ये अटल जी से सीखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके जीवन में कई बार राजनीतिक उतार-चढ़ाव आए,लेकिन उन्होंने जय-पराजय का विचार न करते हुए हमे अपने लक्ष्य की ओर चलते रहने की राह दिखाई और उसका सही परिणाम भी मिलता है, ये भी उनके जीवन से ही हमें सीखने को मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “जितनी ताकत उनके भाषण में थी, शायद उससे कई गुना ताकत उनके मौन में थी।” उन्होंने कहा कि लाखों की जनसभा में भी उनके वाक्यों के बीच के मौन से भी लोगों को मैसेज मिल जाता था, क्योंकि उनके मौन की कम्युनिकेशन स्किल अद्भुत थी। मोदी जी ने कहा कि उनकी अनेक विशेषताओं में एक ये भी विशेषता थी कि वे अपनी व्यंग कला से हर परिस्थिति को साध लेते थे और वातावरण को हल्का बना देते थे। पीएम मोदी ने कहा कि “लोकतंत्र में कोई दुश्मन नहीं होता है। लोकतंत्र में स्पर्धा होती है, प्रतिपक्ष होता है।” उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी को भी ,कठोरतम आलोचना को भी आदर-सम्मान के साथ कैसे देखा जा सकता है, इसे लोग, विशेषकर नई पीढ़ी के लोग अटल जी से सीख सकते हैं।

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