“एक प्रकार से PSE का सही मायनों में अर्थ होता है- Profit and Social benefit generating Enterprise. यानि ना सिर्फ शेयर होल्डर्स के लिए Profit कमाएं बल्कि Society के लिए Benefit भी Generate करें। मेरे लिए पीएसयू का मतलब है प्रगति, सेवा और ऊर्जा।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बात दिल्ली के विज्ञान भवन में सीपीएसई कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कही । देश भर से जुटे केंद्रीय पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से ही सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों ने देश की उन्नित और आर्थिक विकास में बड़ा योगदान दिया है। बिजली, स्टील, ऑयल, खनिज, कोयला आदि के उत्पादन में पीएसयू ने ब्रांड बनाने के साथ ही अपना वर्चस्व स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि आज वक्त बदल चुका है, और देश के सभी पीएसयू को नई तकनीकि और नए आइडिया को अपनाने की आवश्यकता है।
Private Sector हो या फिर Public Sector, Success के लिए अलग-अलग मंत्र नहीं होते। सफलता के मंत्र की जब मैं बात करता हूं तब, 3 I की एक सोच सामने आती है.
3 I यानि – Incentives, Imagination and Institution Building.— PMO India (@PMOIndia) 9 April 2018
Economists बताते हैं कि ये Human Behavior में Incentives, बदलाव लाने वाला सबसे बड़ा tool है। लेकिन Incentives सिर्फ Financial हों ऐसा जरूरी नहीं है, कई बार बेहतर perform करने वाले की फोटो बुलेटिन बोर्ड में लगाने जैसी छोटी बातें सैकड़ों कर्मचारियों को motivate कर सकती हैं: PM
— PMO India (@PMOIndia) 9 April 2018
इंसेंटिव, इमेजिनेशन और इंस्टीट्यूशन बिल्डिंग पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने तीन आई यानी इंसेंटिव, इमेजिनेशन और इंस्टीट्यूशन बिल्डिंग पर जोर देते हुए कहा कि देश के पीएसयू को यूनिक इंसेटिव मॉडल अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी कर्मचारी को जरूरी नहीं कि प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय पुरस्कार ही दिया जाए, कई बार बेहतर प्रदर्शन करने वालों की फोटो बोर्ड पर लगाने और सराहना भी उत्साह बढ़ाने में कारगर होता है। इमेजिनेश पर बल देते हुए श्री मोदी ने कहा कि जो भी कंपनी टेक्नोलॉजी के अनुसार खुद को नहीं ढाल पाती है वह ज्यादा दिन टिक नहीं पाती है। इसके लिए शीर्ष अधिकारियों को लगातार भविष्य की चुनौतियों को लेकर तैयार करते रहना चाहिए। तीसरी आई यानी इंस्टीट्यूशनल बिल्डिंग की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह किसी कंपनी की लीडरशिप का सबसे अहम टेस्ट होता है। किसी भी कंपनी की प्रगति में व्यवस्था केंद्रित टीम बनाना बहुत आवश्यक होता है।
आज तक हम PSEs को नवरत्न के रूप में Classify करते रहे हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है जब हम इससे आगे की सोचें। क्या हम New India रत्न बनाने के बारे में नहीं सोच सकते? क्या आप तकनीक और प्रक्रियाओं में बदलाव के जरिए New India रत्न बनने और बनाने के लिए तैयार हैं: PM
— PMO India (@PMOIndia) 9 April 2018
मैं समझता हूं कि New India के निर्माण में आपकी सहभागिता 5 P फॉर्मूले पर चलते हुए और ज्यादा हो सकती है। ये 5 P हैं: Performance + Process + Persona + Procurement और Prepare: PM
— PMO India (@PMOIndia) 9 April 2018
न्यू इंडिया के निर्माण में सहयोग करें पीएसयू- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अधिकारियों को न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जैसे महारत्न, नवरत्न कंपनियां होती हैं, क्या हम न्यू इंडिया रत्न बनाने के बारे में नहीं सोच सकते हैं। श्री मोदी ने कहा कि न्यू इंडिया के निर्माण में पीएसयू की सहभागिता पांच पी यानी परफॉर्मेंस, प्रोसेस, पर्सोना, प्रोक्योरमेंट और प्रिपेयर से तय हो सकती है। श्री मोदी ने पीएसयू के अफसरों से अपनी कंपनी की परफॉर्मेंस बढ़ाने का जिक्र करते हुए कहा कि उद्योग संपन्नम, संपत्ति लक्ष्मी यानी उद्योग संपन्न व्यक्ति के पास ही लक्ष्मी आती है। इसलिए हमेशा बेहतर करने का बारे में प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही श्री मोदी प्रोसेस, पर्सोना की भी चर्चा की। प्रोक्योरमेंट के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने पीएसयू के अधिकारियों से अपनी खरीद नीति में बदलाव कर देश के लधु और सूक्ष्म उद्योगों से अधिक से अधिक कच्चा माल खरीदने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ देश के छोटे उद्योगों को ताकत मिलेगी, बल्कि देश के दूरदराज के क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। पांचवी पी यानी प्रिपेयर की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय पीएसयू के उन्नत तकनीकी को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए खुद को तैयार रखना होगा।
2016 में PSUs ने 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का Procurement किया था। इसमें से लगभग 25 हजार करोड़ का सामान ही MSME सेक्टर से लिया गया।
क्या आप सभी मिलकर ऐसा कोई मैकेनिज्म नहीं बना सकते, जिससे देश के लघु और छोटे उद्योगों से ज्यादा से ज्यादा सामान खरीदा जाए: PM— PMO India (@PMOIndia) 9 April 2018
प्रधानमंत्री ने सामने रखी पांच चुनौतियां
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने पीएसयू अधिकारियों के सामने पांच सवालों के तौर पर पांच चैलेंज भी रखे। उन्होंने कहा कि क्या 2022 तक भारतीय पीएसयू अपनी जियो स्ट्रेटजिक पहुंच बढ़ा पाएंगे, अगर बढ़ाएंगे तो कैसे ?, 2022 तक भारतीय पीएसयू देश का इंपोर्ट बिल कम करने में कैसे मदद करेंगे?, 2022 तक भारतीय पीएसयू कैसे आपस में इनोवेशन और रिसर्च का इंटीग्रेशन करेंगे ?, न्यू इंडिया के ड्रीम के अनुसार देश का जो फोकस है, जो समस्याए हैं, क्या सीएसआर फंड का इस्तेमाल उसके अनुरूप होगा?, आखिरी सवाल 2022 तक भारतीय पीएसयू देश को विकास के कौन से नए मॉडल देंगे? प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके लिए आपको नीति, रणनीति बनानी होगी, चर्चा करनी होगी, और गंभीरता से सोचने पर परिणाम जरूर मिलेंगे। इसके साथ ही प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पीएसयू और सरकारी विभागों के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता पर भी जोर दिया, उन्होंने कहा कि रिचर्स और इनोवेशन का इंटीग्रेशन समय की मांग है और यह देश के विकास में अहम साबित होगा।
आप के ही इस साहस का नतीजा है कि सरकार बड़े-बड़े फैसले ले पाने में सक्षम है। फिर वो चाहे देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने की बात हो या फिर देश की हर गरीब माता-बहन की रसोई तक LPG Connection की बात, आपके संस्थानों से जुड़े लाखों कर्मचारियों के परिश्रम के बिना ये संभव नहीं था: PM
— PMO India (@PMOIndia) 9 April 2018
आपको याद होगा 2014-15 में आपने स्कूलों में शौचालय बनाने के लिए CSR Fund डोनेट किया था, जिसके परिणाम आज सबके सामने हैं। नीति आयोग ने देश के 115 सबसे पिछड़ों जिलों की पहचान की है, जिन्हें हम Aspirational Districts मान रहे हैं। क्या इन जिलों का विकास इस वर्ष की थीम हो सकती है: PM
— PMO India (@PMOIndia) 9 April 2018
समाज की भलाई में योगदान करें पीएसयू- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि निजी कंपनियों की तरह पीएसयू के लिए प्रोफिट अहम है, लेकिन इसके साथ समाज की भलाई करना भी उनकी जिम्मेदारी है। 2014 में पीएसयू ने सीएसआर के तहत स्कूलों में शौचालय के निर्माण का संकल्प लिया था, इसके अपेक्षित परिणाम मिले हैं। श्री मोदी ने कहा कि क्या पीएसयू देश के 115 पिछड़े जिलों के विकास में अपने सीएसआर में शामिल कर सकते हैं? संबोधन के अंत में श्री मोदी ने कहा कि वो 100 दिन बाद पीएसयू के प्रमुख अधिकारियों के साथ मिलना चाहेंगे और उनका देश के विकास, न्यू इंडिया के निर्माण, कंपनियों को लाभ में लाने वाली योजनाओं का पक्का रोडमैप देखना चाहेंगे।