जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद आखिरी सांसें गिन रहा है। अमरनाथ यात्रियों पर हुआ कायराना हमला उनकी उसी बौखलाहट का नतीजा है। कहावत भी है कि बुझता दीया अधिक टिमटिमाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सटीक कश्मीर नीति अपने निशाने पर एक-एक करके सटीक प्रहार कर रही है। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से कश्मीर में नए उजाले की संभावनाओं ने आतंकियों के साथ-साथ कांग्रेस को भी परेशान कर दिया है। इसका अंदाजा तथ्यों को परखे बिना कही गई पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की बातों से लगाया जा सकता है। उन्होंने अपने पुरखों के ऐतिहासिक कुकर्मों को भुलाकर मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर लांछन लगाने की कोशिश की है।
राहुल गांधी ने कहा क्या है ?
कांग्रेस पार्टी के 47 वर्षीय युवा नेता राहुल गांधी का आरोप है कि मोदी सरकार की कश्मीर नीति से देश को नुकसान हुआ है। एक तरह से उन्होंने तथ्यों और जमीनी हालातों को परखे बिना अपनी आदत के अनुसार पीएम मोदी पर आरोप लगा दिए हैं। राहुल का कहना है कि, पीएम मोदी की नीतियों ने कश्मीर में आतंकियों के लिए जगह बनाई, जिससे देश का काफी नुकसान हुआ है।
कश्मीर समस्या तो आपके पुरखों की ही देन है राहुल जी
राहुल के आरोपों को देखने के बाद लगता है कि या तो उन्हें अपने पुर्वजों की करतूतों के बारे में पता ही नहीं है। या फिर वो जानबूझकर ‘पप्पू’ बनने की कोशिश कर रहे हैं। ऐतिहासिक तथ्य है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू कुछ गलतियां नहीं करते तो आज कश्मीर में कोई समस्या नहीं होती। पहला, उन्होंने कश्मीर मामले को हैंडल करने की जिम्मेदारी लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल को क्यों नहीं सौंपी। उन्होंने अपनी सूझबूझ से पूरे देश को एकसूत्र में पिरोया था। लेकिन नेहरू ने कश्मीर में अड़ंगा लगाया और परिणाम आज देश की 125 करोड़ जनता को भुगतना पड़ रहा है। दूसरा, कश्मीर के राजा ने भारत में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिया था। कबायलियों के कपड़ों में आए पाकिस्तानी घुसपैठियों को हमारी सेना लगभग खदेड़ चुकी थी। ऐसी स्थिति में नेहरू कश्मीर मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र में लेकर क्यों चले गए? तीसरा, जब 1948 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में हमारी सेना जीत रही थी, तो उन्होंने सीजफायर की घोषणा क्यों कर दी। और चौथा, संविधान के अनुच्छेद 370 के माध्यम से कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा क्यों दिलाया ?
.when it comes to challenges with regard to Kashmir those challenges are given out to country courtesy the Nehru-Gandhi family: Smriti Irani pic.twitter.com/qcs0UPAVCM
— ANI (@ANI_news) July 12, 2017
पीडीपी की सोच बदल चुकी है
ये बात सच है कि पीडीपी और बीजेपी की विचारधारा नहीं मिलती। लेकिन, राहुल गांधी यहां भी तथ्यों को परखने में नाकाम साबित हो गए। पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर की सरकार को राष्ट्रवादी नीतियों पर चलने को मजबूर किया है। जिस पीडीपी और उसके नेतृत्व पर अलगाववादियों से सहानुभूति रखने के आरोप लगते थे, उसके सुर और भावनाओं में बदलाव आया है। कांग्रेस को वो दिन भी याद करना चाहिए जब वो पीडीपी के साथ मिलकर सरकार चलाती थी। तब पीडीपी नेताओं के तेवर से लगता था कि वो राष्ट्रविरोधी सोच रखते हैं। लेकिन आज मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को देखिए। उनकी सोच और संस्कार में स्पष्ट बदलाव नजर आ रहा है। वो अलगाववादियों और आतंकियों की नकेल कसने के लिए सख्त से सख्त कदम उठाने में सुरक्षा बलों का साथ देती हैं। वही महबूबा मुफ्ती हैं, जो आतंकवादी हमले के पीड़ितों के पास वारदात के फौरन बाद पहुंच जाती हैं और पूरी रात उनकी सेवा में बिताती हैं।
‘पप्पू’ मत बनिये, तथ्यों को परख लीजिये
सच्चाई ये है कि कश्मीर में आतंकवाद को समाप्त करने के लिए मोदी सरकार ने सेना को खुली छूट दे रखी है। इसका ही परिणाम है कि इसी साल अबतक 100 आतंकवादियों को मार गिराया जा चुका है। जबकि पिछले साल सुरक्षा बलों ने 150 आतंकवादियों का सफाया कर दिया था। वहीं 2015 में 108 और 2014 में 110 आतंकवादी मार गिराए गए थे। इन आतंकवादियों में लश्कर-ए-तैयबा के कई कमांडर भी शामिल हैं। पिछले दो सालों में पकड़े गए कुछ जिंदा आतंकवादी सेना के काम को और आसान कर रहे हैं। जबकि आंकड़े बताते हैं कि साल 2012-13 में सिर्फ 72 आतंकवादियों की मौत हुई थी।
अलगाववादियों की हेकड़ी गुम है
मोदी सरकार की कठोर नीतियों के चलते ही अब हुर्रियत कांफ्रेंस और अलगाववादी नेता भी हाशिये पर चले गए हैं। उन्हें पाकिस्तान से आतंकवादियों के माध्यम से मिलने वाले चंदों पर नकेल कस दी गई है। उनकी हर गतिविधि पर सुरक्षा बलों की पैनी नजर है। पाकिस्तान से पैसे लेकर वो जिस तरह से पत्थरबाजों को भड़काते थे, धीरे-धीरे उसपर भी लगाम कस चुका है। यूं समझ लीजिए कि अब इनका खेल खत्म हो चुका है।
पाकिस्तान बेनकाब हो चुका है
पीएम मोदी के चलते ही आज पाकिस्तान दुनिया के सामने कठघरे में खड़ा है। सारी दुनिया उसे आतंकवादी देश मान चुकी है। चीन और उत्तर कोरिया जैसे कुछ आतंकवादी सोच वाले देश ही उसके साथ खड़े नजर आते हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने में भारत की आक्रमकता भी बढ़ी है। आज हमारे वीर जवानों को इसकी खुली छूट है कि अगर भारत माता की सुरक्षा पर कोई आंच आए तो पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादी कैंपों को तबाह कर सकते हैं। पीएम मोदी ने भारत को सर्जिकल स्ट्राइक के नाम से वो हथियार थमाया है जिसके भय से पाकिस्तान सिहर उठता है।
दुनिया भारत के साथ खड़ी है
पीएम मोदी का हाल में किया गया इजरायल और अमेरिका का सफल दौरा ऐतिहासिक बन चुका है। आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों ने जिस तरह से भारत का साथ दिया है वैसा पहले कभी नहीं हुआ। अमेरिका सरेआम पाकिस्तान को सुधर जाने की चेतावनी दे चुका है। उसे दी जाने वाली राशि रोकी जा रही है। दूसरी तरफ इजरायल भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय समर्थन देने के लिए तैयार खड़ा है। अत्याधुनिक ड्रोन और हथियारों से लेकर आतंकवाद के खिलाफ ट्रेनिंग देने के लिए भी वो मदद करने को तैयार है। इनके अलावा भी सारे यूरोप और अरब राष्ट्र आतंक के खिलाफ मुहिम में भारत के साथ खड़े हैं। रूस और जापान पहले से ही भारत का रणनीतिक साझेदार रहा है, जिनकी दोस्ती को पीएम मोदी ने अपनी सूझबूझ से और भी प्रगाढ़ बना लिया है।
PoK में भी भारत का समर्थन बढ़ा है
सबसे बड़ी बात है कि पीएम मोदी की बदौलत ही पहली बार अखंड भारत का सपना परवान चढ़ने लगा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर या गिलगित बाल्टिस्तान में जिस तरह से पाकिस्तान के विरोध और भारत के समर्थन में आवाजें उठी हैं वैसा पहले कभी नहीं हुआ। वहां के निवासी पीएम मोदी की नीतियों के फैन हो चुके हैं। वो खुलेआम पाकिस्तान से छुटकारा पाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए विश्वभर के कई देशों में आंदोलन चलाया जा रहा है।
इसीलिए राहुल गांधी को अभी इतिहास से लेकर वर्तमान राजनीतिक और कूटनीतिक समझ बढ़ाने की बहुत जरूरत है। उनकी मां का अरमान है कि पुश्तैनी परंपरा के अनुसार उनके बेटे के हाथों में भी देश की बागडोर आ जाए। लेकिन अगर राहुल गांधी ऐसे ही ‘पप्पूबाजी’ करते रहे तो सिर्फ देश का नुकसान ही करेंगे, जैसा वो अबतक करते आए हैं।