उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन के बाद हुए पहले सर्वे में लोगों को ये साथ पसंद नहीं आया है। 27 साल यूपी बेहाल का नारा देने के बाद साइकिल का हाथ थामने वाली कांग्रेस पार्टी चुनाव में कोई करामात नहीं दिखा पा रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस हार के डर से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हाथ मिलाया, उससे कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। ताजा सर्वे के मुताबिक बीजेपी यहां अकेले दम पर सरकार बनाने जा रही है। टाइम्स नाउ-वीएमआर सर्वे में बीजेपी को 202 सीटें मिलती दिख रही हैं।
टाइम्स नाउ के सर्वे में बीजेपी को 202 सीटें, कांग्रेस-सपा गठबंधन को 147 सीटें, बसपा को 47 सीटें और अन्य को 7 सीटें मिलती दिख रही हैं। सर्वे के मुताबिक सीटों के मामले में कांग्रेस-सपा गठबंधन और बसपा को बहुत ज्यादा नुकसान होता दिख रहा है। वोट शेयर के मामले में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस-सपा गठबंधन को होता दिख रहा है।
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— TIMES NOW (@TimesNow) January 30, 2017
2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा को 80 सीटें मिली थीं। कांग्रेस-सपा की सीटों को जोड़ दिया जाए तो 2012 में इन दोनों दलों को मिलाकर 252 सीटें मिली थीं। इस हिसाब से सर्वे के मुताबिक बसपा को 33 सीटों और कांग्रेस-सपा गठबंधन को 105 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है। 2012 में सिर्फ 47 सीटें पाने वाली भाजपा को 155 सीटों का फायदा होता दिख रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को 26 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस-सपा के वोटों को मिला दिया जाए तो उन्हें 41 फीसदी वोट मिले थे। भाजपा को 15 फीसदी वोट मिले। टाइम्स नाउ चैनल के सर्वे के मुताबिक भाजपा को 34% वोट, कांग्रेस-सपा को 31% और बसपा को 24 प्रतिशत मिलने की उम्मीद है।
नोटबंदी को समर्थन
भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले को आम लोगों ने हाथों-हाथ लिया है। नोटबंदी अभियान को आमलोगों में जबरदस्त समर्थन मिला है। नोटबंदी के फैसले के बाद कई राज्यों में हुए स्थानीय चुनावों में भी भाजपा ने अपना परचम लहराया है। सर्वे को देखें तो यूपी में भी लोग नोटबंदी के पक्ष में दिख रहे हैं।
यूपी को साथ पसंद नहीं है
टाइम्स नाउ सर्वे से साफ है कि यूपी के लोगों को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का साथ पसंद नहीं है। लोग परिवार में जारी ड्रामेबाजी के बाद भी अखिलेश राज के दौरान दंगे, गुंडागर्दी और अपराध को बिसरे नहीं हैं। कांग्रेस तो जैसे इज्जत बचाने के लिए लड़ रही है। पार्टी और प्रियंका गांधी का पूरा ध्यान अमेठी के साथ रायबरेली पर टिका है। जहां पार्टी अब पहले वाली स्थिति में नहीं है और साख बचाने की कोशिश में लगी है।