08 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब नोटबंदी की घोषणा की थी तो कई अर्थशास्त्रियों की प्रतिक्रियाएं सामने आईं थी। निर्णय के विरोध और समर्थन में लोगों ने अपने-अपने तर्क दिये थे। इन्हीं में एक हैं अमेरिकी अर्थशास्त्री रिजर्ड थेलर। एक ओर विपक्ष और मीडिया का एक एक विशेष वर्ग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रहा था, तो दूसरी ओर रिचर्ड थेलर प्रधानमंत्री मोदी के निर्णय का खुले तौर पर समर्थन कर रहे थे। इस बीच इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार रिचर्ड थेलर को देने की घोषणा की गई है। जाहिर है अपने देश के कई अर्थशास्त्रियों द्वारा नोटबंदी की आलोचना अब भी जारी है। लेकिन प्रधानमंत्री के नोटबंदी के निर्णय को सही ठहराने वाले रिचर्ड थेलर को नोबेल पुरस्कार दिया जाना क्या ऐसे आलोचकों को ‘आईना’ नहीं दिखा रहा है?
BREAKING NEWS The 2017 Prize in Economic Sciences is awarded to Richard H. Thaler @R_Thaler @UChicago @ChicagoBooth #NobelPrize pic.twitter.com/mbQijTyE7t
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 9, 2017
थेलर ने नोटबंदी के लिए कहा था, करप्शन के विरुद्ध पहला कदम
8 नवंबर 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था, तब थेलर ने ट्वीट कर कहा था वह ऐसे कदम का शुरू से हिमायती रहे हैं। दरअसल थेलर भारतीय अर्थशास्त्र की गहराई से अध्ययन करते रहे हैं। नवंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री ने विमुद्रीकरण यानी नोटबंदी की घोषणा की तो उन्होंने इसका तत्काल समर्थन किया थेलर ने इसे करप्शन के खिलाफ लड़ाई का एक पहला कदम बताया था।
रिचर्ड थेलर ने ट्वीट कर नोटबंदी के निर्णय का किया था समर्थन
भारत में नोटबंदी का ऐलान हुआ तो अमेरिकी अर्थशास्त्री थेलर ने ट्वीट किया, ‘यही वह नीति है जिसका मैंने लंबे समय से समर्थन किया है। कैशलेस की तरफ यह पहला कदम है और भ्रष्टाचार कम करने के लिए अच्छी शुरुआत।’ हालांकि सरकार द्वारा 2000 के नोट जारी किया जाना थेलर को नापसंद था। बावजूद इसके वे नोटबंदी को भारतीय अर्थव्यवस्था को सकारात्मक कदम बताते रहे।
This is a policy I have long supported. First step toward cashless and good start on reducing corruption. https://t.co/KFBLIJSrLr
— Richard H Thaler (@R_Thaler) November 8, 2016
रिचर्ड थेलर को नोबेल पुरस्कार मतलब विपक्ष को मिला करारा जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार कहा है कि नोटबंदी भ्रष्टाचार और कालेधन की लड़ाई के विरुद्ध उठाया गया कदम है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। लेकिन नोटबंदी को लेकर अब भी विपक्ष रोज-रोज हंगामा खड़ा कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि नोटबंदी के कारण ही जीडीपी में गिरावट आई है। वहीं, अपने आपको अर्थशास्त्र के बड़े जानकार मानने वाले ‘अपने’ नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी ने भी सरकार को इस मुद्दे पर कठघरे में खड़ा किया है। लेकिन नोटबंदी को समर्थन करने वाले रिचर्ड थेलर को नोबेल पुरस्कार ऐसे लोगों को स्वयं ही करारा जवाब दे गया है।
मोदी सरकार की जनधन और कैशलेस इकोनॉमी के समर्थक हैं थेलर
नोबेल पुरस्कार विजेता थेलर प्रधानमंत्री मोदी की जनधन योजना का भी समर्थन करते रहे हैं। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले थेलर ने कैशलेस सिस्टम की शुरू से जोरदार वकालत की है। उनके हिसाब से भारत और ग्रीस जैसे देशों में कैश से मुक्ति बहुत जरूरी है तभी करप्शन से मुक्ति मिल सकेगी। वे इसके समर्थन में कई मौकों पर बोल भी चुके हैं। रिचर्ड थेलर की बात सच भी है क्योंकि तीन लाख करोड़ से अधिक कैश का बैंकिंग सिस्टम में आना, टैक्स पेयर्स की संख्या में बढ़ोतरी, कैशलेस ट्रांजेक्शन में वृद्धि और आतंकवादी-नक्सलवादी गतिविधियों में भारी गिरावट नोटबंदी की सफलता की कहानी कहती है।
बहरहाल प्रधानमंत्री मोदी के साथ नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड थेलर का स्पष्ट मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में गहरे तक पांव जमा चुके भ्रष्टाचार के विरुद्ध नोटबंदी से बेहतर और सख्त कदम कोई दूसरा नहीं हो सकता था।