Home नोटबंदी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस ने भी नोटबंदी को बताया वरदान

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस ने भी नोटबंदी को बताया वरदान

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नोटबंदी के बाद मीडिया के एक खास खेमे के साथ जब विपक्षी नेता इसके नकारात्मक प्रभाव को सामने लाने की कोशिश कर रहे है, ऐसे में दो नोबेल पुरस्कार विजेता खुलकर इसके समर्थन में आ गए हैं। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद यूनुस और फ्रांसिसी अर्थशास्त्री ज्यां टिरोल ने कहा है कि कैशलेस अर्थव्यवस्था एक वरदान है और इससे भ्रष्टाचार और काले धन पर रोक लगेगी।

यूनुस ने कहा कि नोटबंदी से तरलता में वृद्धि हुई है। इससे ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों के लोग बैंकिंग से जुड़ गए हैं। जबकि टिरोल ने कहा कि लोग कई कारणों से नकदी से छुटकारा पाना चाहते हैं क्योंकि यह अधिक सुविधाजनक है। और भारत सरकार इस कदम से भ्रष्टाचार से छुटकारा पाना चाहती है।

दुनिया में नजीर नोटबंदी

दुनियाभर के कई ताकतवर देशों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल की सराहना की है। कोई देश ऐसा नहीं है जिसने इस कदम की तारीफ ना की हो। अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन समेत तमाम देशों ने इसे आतंकवाद और अवैध कारोबार के खिलाफ मजबूत पहल बताया है।

ऑस्ट्रेलिया में उठी नोटबंदी की मांग

ऑस्ट्रेलिया की अग्रणी बैंक यूबीएस ने नोटबंदी की वकालत करते हुए इसकी दो जरूरी वजह सामने रखी है। एक बैंकों पर कैश ट्रांजेक्शन का बढ़ता बोझ कम करना और दूसरा टैक्स चुकाने वालों की तादाद बढ़ाना।

ऑस्ट्रेलियाई बैंक को उम्मीद है कि भारत में जिस तरह से नोटबंदी लागू होने के बाद कैशलेस ट्रांजेक्शन बढ़ा है और टैक्स देने वालों की पहचान हो रही है। उसी तरह से ऑस्ट्रेलिया में भी नोटबंदी लागू होने से ऐसा हो सकेगा।

ऑस्ट्रेलियाई बैंक का कहना है कि जिस देश में एक फीसदी लोग ही टैक्स देते हैं वहां भारत जैसा ही कदम उठाने की जरूरत है। इससे ब्याज दरों में कमी आगी और टैक्स चोरी को भी रोका जा सकेगा।

ब्रिटिश मंत्री प्रीति पटेल ने नोटबंदी के लिए की मोदी की तारीफ

ब्रिटेन में भारतीय मूल की मंत्री प्रीति पटेल ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी की पहल कालाधन के खिलाफ सही कदम है और इसने दुनिया को अवैध कारोबार से लड़ने का एक संदेश दिया है।

“ये (नोटबंदी) भ्रष्टाचार की जड़ पर जायज हमला है। दुनिया में बहुत ज्यादा कालाधन चलन में है जिससे आतंकवाद और अवैध कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने दुनिया को संदेश दिया है कि अवैध कारोबार का युग अब खत्म होने वाला है।”

सदमे में पाकिस्तान, ‘इंडियाज़ डीमोनेटाइजेशन ट्रिगर’ से घायल

भारत के डिमोनेटाइजेशन ट्रिगर से सबसे ज्यादा घायल पाकिस्तान हुआ है। पाकिस्तान से चल रहा नकली नोटों का कारोबार ठप पड़ गया है। वहीं इस कारोबार से जुड़े पाकिस्तान के मनी लॉन्ड्रिंग किंग जावेद खानानी ने कराची में आत्महत्या कर ली।

उसने मोहम्मद अली सोसायटी के साइमा टावर्स की 8वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। पाकिस्तान से मिल रही ख़बरों के मुताबिक दाऊद इब्राहिम को भी इस नोटबंदी ने भारी नुकसान पहुंचाया है।

चीन भी हुआ मोदी का मुरीद

चीन की आधिकारिक मीडिया ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी की पहल को अत्यंत साहसिक बताया। सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने “मोदी टैक्स ए गैम्बल विद मनी रिफॉर्म” शीर्षक से छपे लेख में कहा गया है कि ‘मोदी का कदम बहुत साहसिक है। हम इस बात की कल्पना नहीं कर सकते कि यदि चीन 50 और 100 युआन के नोट बंद कर देता है तो चीन में क्या होगा।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि ये एक ऐसा जुआ है जो मिसाल पेश करेगा। 

यूरोपीय यूनियन ने मोदी की नोटबंदी को सराहा

यूरोपीय यूनियन ने भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी के कदम का समर्थन किया है। आयोग के उपाध्यक्ष जिर्की कटाईनेन ने कहा है कि वित्तीय प्रणाली को साफ-सुथरा बनाने के लिए ये प्रभावकारी कदम है। इससे वस्तु एवं सेवाकर प्रणाली को दुरुस्त करने और दूसरे सुधार लागू करने में भी मदद मिलेगी। कैटनेन ने कहा कि चोरी करने वालों और गलत तरीके से धन जुटाने वालों को पारदर्शिता बरतनी होगी और इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

वाशिंगटन पोस्ट ने नोटबंदी को कालाधन पर बड़ी चोट बताया

वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लम्बे समय से कालाधन के खिलाफ प्राथमिकता से लड़ते रहे हैं क्योंकि वो चाहते हैं कि समांतर इकॉनोमी और भ्रष्टाचार की संस्कृति को खत्म किया जाए ताकि विदेशी निवेश आकर्षित हो। इस मकसद से सरकार ने एक स्वैच्छिक योजना भी शुरू की थी जिसमें लोगों ने 1900 करोड़ रुपये घोषित किया जो देस में अनुमानित 40 हज़ार करोड़ कालाधन के मुकाबले छोटा हिस्सा था।

कालाधन पर मोदी ने बड़ा चुनावी वादा पूरा किया- सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड

सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने लिखा कि अपनी सरकार का आधा कार्यकाल पूरा कर रहे नरेन्द्र मोदी की पहल ऐसी है जिससे वो टैक्स चोरी रोकने और अघोषित आय (कालाधन) की रिकवरी जैसे चुनावी वादे को पूरा किया है। अखबार ने मोदी के कदम को अभूतपूर्व बताते हुए इसकी तुलना यूरोपीय सेंट्रल यूनियन के उस एक्शन से की है जब 500 यूरो के नोट का प्रचलन बंद कर दिया गया था अवैध गतिविधियां रोकी जा सके।

नोटबंदी से मोदी को दुनिया में मिला सम्मान- द इंडिपेन्डेन्ट

द इंडिपेन्डेन्ट ने लखा है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने डिमोनेटाइजेशन के कदम से अपने लिए नया आदर हासिल किया है। एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने यहां तक कि उनकी तुलना सिंगापुर के पहले प्रधानमंत्री ली कुआं येयू से की। ली के प्रति मोदी का आदर किसी से छुपा नहीं है। जब ली की पिछले साल मार्च में मौत हुई, उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों में मोदी सबसे आगे रहे और पूरे भारत से शोक संदेशों का तांता लग गया।

वॉल स्ट्रीट जर्नल भी ने भी मोदी की नोटबंदी को सराहा

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा कि अगर सुधार ने असर दिखाया तो सरकार का टैक्स बेस बढ़ेगा। और, ऐसे नोट जो सामने नहीं आते उसे सरकार दोबारा जारी कर सकेगी और बिना मनी सप्लाई बढ़ाए ही उसे अपनी इच्छा से खर्च कर सकेगी। भारत सरकार के बॉन्ड निवेशकों की पसंद बनते जा रहे हैं। इससे सुधार का रास्ता खुलता दिख रहा है।

दुनिया के अर्थशास्त्री मानते हैं कि नोटबंदी अगर अपने मकसद में कामयाब रहती है तो तमाम दिक्कतों के बावजूद भारत तरक्की की ओर आगे बढ़ेगा। वहीं भारतीय अर्थशास्त्री भी आम तौर पर इसके सकारात्मक नतीजों पर अधिक ध्यान लगाए हुए हैं।

नंदन नीलकेणी का विश्वास है कि इससे डिजिटल लेन-देन बढ़ेगा और लम्बी अवधि में देश को फायदा होगा। वहीं नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगड़िया का कहना है कि नकदी की दिक्कत तीन महीने तक रहेगी लेकिन नोटबंदी के अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे।

अरबपति बिल गेट्स का मानना है कि भारत अब डिजिटल लेन-देन की ओर कदम बढ़ा रहा है। वो मानते हैं कि देश के गरीब और किसानों तक विकास का फायदा सही मायने में तभी पहुंचेगा जब वो डिजिटल रूप में लेन-देन की क्षमता हासिल कर सकेंगे। आधारकार्ड को व्यापक करने, जनधन खाते खोलने और नोटबंदी के फैसलों को एक साथ देखते हुए बिल गेट्स कहते हैं कि मोदी सरकार का कदम देश को मजबूत करने वाला है।

विदेश में रह रहे एनआरआई की प्रतिक्रिया और भी ज्यादा उत्साहजनक है। कैशलेस समाज की कल्पना करते हुए वे रोमांचित हो रहे हैं। उनका कहना है कि भारत को पहली बार ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जिसके पास ग्लोबल सोच है, जो अब तक हुए विकास को बुनियादी ढांचे से जोड़ना जानता है और जिसके पास भविष्य में विकास की रूपरेखा है।

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