Home पोल खोल नीतीश की चुप्पी से घबराए लालू! सामने है सियासी विरासत का संकट

नीतीश की चुप्पी से घबराए लालू! सामने है सियासी विरासत का संकट

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लालू यादव की पार्टी ने कहा है कि बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे। लेकिन शायद आरजेडी को पता नहीं है कि उनके सुप्रिमो के लिए अबकी बार मामला इतना आसान नहीं है। वो अपने सियासी जीवन के सबसे बड़े संकट में घिर चुके हैं। उन्हें पता है कि कुछ समय के लिए भले ही वो बीजेपी या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाकर अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश कर लें। लेकिन ये स्थाई समाधान नहीं है। तेजस्वी यादव की कुर्सी खतरे में पड़ चुकी है। अगर वो महागठबंधन की सरकार बचाए रखना चाहते हैं तो उनके पास विकल्प क्या हैं?

तेजस्वी का संकट
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में उनके खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया है। उनके परिवार से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की जा चुकी है। चर्चा है कि सीबीआई केस के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी मुकदमा दर्ज करने की तैयारी में है। ऐसे में तेजस्वी पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है। अधिक से अधिक वो चार्जशीट दर्ज होने तक मामले को टालने की कोशिश कर सकते हैं। क्योंकि उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए उन्हें कैबिनेट में झेलना आसान नहीं होगा। सवाल ये भी है कि अगर उनकी गिरफ्तारी की स्थिति बनी तो नीतीश कुमार क्या करेंगे ? माना जा रहा है कि इसी दुविधा ने नीतीश को परेशान कर रखा है। उधर लालू की चिंता है कि अगर महागठबंधन की सरकार बचाने के लिए तेजस्वी को कुर्सी छोड़नी पड़ी तो वो उनकी जगह की भरपाई कैसे करेंगे ?

राबड़ी पर कस चुका है सीबीआई का शिकंजा
चारा घोटाले के खलनायक लालू यादव को जब पहली बार भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाना पड़ा था तो उन्होंने बड़े ही आसानी से अपनी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया था। लेकिन सीबीआई के अनुसार लालू के नए कारनामे में वो भी शामिल हैं। इसीलिए सीबीआई की कार्रवाई की तलवार उनपर भी वैसे ही लटकी है जैसे उनके बेटे तेजस्वी पर लटक रही है। यानी इस बार लालू के पास राबड़ी के हाथ कमान सौंपने की भी मौका नहीं बचा है।

मीसा भारती गंभीर आरोपों में घिरी हैं
लालू की बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती की राजनीतिक महत्वाकांक्षा दोनों छोटे भाइयों से जरा भी कम नहीं है। लेकिन वो पहले से ही भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में फंसी हुई हैं। उनके और उनके पति के खिलाफ आयकर और ED की जांच जारी है। प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली में उनकी कई बेशकीमती बेनामी संपत्तियों को जब्त किया हुआ है। उनके सीए को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। इस केस में दोनों पति-पत्नी से लंबी पूछताछ भी हो चुकी है। ऐसे में लालू के पास इन्हें सत्ता सौंपने का विकल्प भी नहीं बचता।

लालू तो पहले से ही सजायाफ्ता मुजरिम हैं
चारा घोटाले के एक मामले में लालू यादव को 5 साल जेल की सजा मिली हुई है। वो अभी कानून का लाभ उठाकर जेल से बाहर हैं और बिहार में अपने परिवार की सत्ता बचाए रकने की तिकड़म में जुटे हुए हैं। लालू से अदालत ने चुनाव लड़ने का अधिकार छीन लिया है। उनपर चारा घोटाले के कई और मामले में सुनवाई अभी भी जारी है। ऊपर से रेलवे के ऐतिहासिक होटलों को लीज पर देने में घोटाले का गंभीर आरोप भी लग चुका है। ऐसे में उनका स्वयं का सियासी करियर तो फिलहाल समाप्त ही माना जा रहा है। हालांकि जबतक वो जेल से बाहर रहेंगे, वो सियासी चालबाजियों से बाज आने वाले नहीं हैं।

तेज प्रताप पर भी कई गंभीर आरोप हैं
बड़े बेटे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव का विकल्प भी लालू यादव को राहत देने वाला नहीं है। तेज प्रताप की जगह तेजस्वी को डिप्टी सीएम बनवाना उनके बारे में लालू की सोच दिखाता है। ऊपर से वो बेदाग भी नहीं हैं। गलत तरीके से पेट्रोल पंप आवंटन करवाने के खुलासे के बाद उसका लाइसेंस रद्द किया जा चुका है। उसी तरह से एक जमीन को लेकर भी धांधली का आरोप है। चुनाव आयोग को दिए शपथपत्र में जानकारी छिपाने के कारण विधानसभा की सदस्यता रद्द किए जाने की भी मांग की गई है। अगर चुनाव आयोग की सुनवाई पूरी हुई तो विधानसभा की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है।

लालू के पास विकल्प क्या है ?
बीच-बीच में चर्चा उठती है कि लालू किसी भरोसेमंद मुस्लिम को पार्टी की कमान सौंपकर राजनीति का नया दांव खेल सकते हैं। इस चर्चा में बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी का नाम अक्सर उछाल दिया जाता है। लेकिन जिन लोगों ने तीन दशकों की लालू की राजनीति देखी है वो इस थ्योरी को हजम नहीं कर पाते। वो मानते हैं कि लालू बातें भले ही सामाजिक न्याय या धर्मनिर्पेक्षता की क्यों न करें। जब सत्ता की बात आएगी तो वो अपने परिवार को छोड़कर किसी पर भरोसा नहीं करेंगे। इसके बाद लालू के पास बाकी बची पांच बेटियों का विकल्प बच जाता है। जानकार मानते हैं कि अगर कभी नौबत आ ही गई तो लालू किसी बेटी का ही नाम आगे करेंगे। क्योंकि लालू को इस बात की आशंका है कि अगर अबकी बार सत्ता हाथ से गई तो उनका राजनीतिक खेल हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो सकता है।

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