Home विचार सरकार-सेना की पहल से कश्मीर में नयी सुबह की दस्तक

सरकार-सेना की पहल से कश्मीर में नयी सुबह की दस्तक

अमन की राह में रोड़ा डालने वालों को कश्मीरी युवाओं के जवाब पर रिपोर्ट

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कितनी खूबसूरत ये तस्वीर है… मौसम बेमिसाल, बेनजीर है… ये कश्मीर है… ये कश्मीर है…। 1982 में रिलीज हुई फिल्म बेमिसाल के इस गाने को तब आरडी बर्मन ने संगीतबद्ध किया था और स्वरबद्ध किया था किशोर कुमार, लता मंगेशकर और सुरेश वाडेकर ने। आज इसी गाने की सुर और ताल से तारतम्य बिठाते हुए ‘धरती के स्वर्ग’ में वक्त बदल रहा है, कश्मीर की फिजां भी बदल रही है।…पर्वतों के दरम्यां से… जन्नतों के दरम्यां से… अमन की नयी सुबह दस्तक दे रही है।… आतंकवाद और कट्टरपंथ को करारा जवाब मिल रहा है… हर रोज राज्य के असली ‘हीरो’ सामने आ रहे हैं और हर दिन कश्मीर की प्रतिभा के नये सूरज का उदय हो रहा है।

भारतीय सेना के बारे में भले ही जो भी छवि गढ़ने की कुत्सित कोशिश की जाती रही हो… लेकिन जमीन पर हालात अलग है। कश्मीर के ज्यादातर लोगों को सेना पसंद है… उनके काम पसंद हैं… स्थानीय लोगों से उनका जुड़ाव पसंद है। सेना भी कश्मीरियों का भला करने में पीछे नहीं रहती है। आर्मी गुडविल स्कूल के तहत जरूरतमंदों को शिक्षा मुहैया करना हो या फिर सुपर-40 के जरिये प्रतिभाओं को नई धार देने की कोशिश, सब में सेना बढ़-चढ़ कर शामिल रहती है। सेना द्वारा चलाए जा रहे सुपर-40 के नतीजे भी ये साबित करते हैं कि सेना पर लोगों को कितना भरोसा है और सरकार और सेना किस कदर कश्मीर के लोगों की प्रतिभा को आगे लाना चाहती है। सुपर-40 में कश्मीर के वे 9 छात्र जिन्होंने जेईई अडवांस्ड में सफलता पाई है वे आज कश्मीर की मिसाल बन कर उभरे हैं।

सुपर-40 की शानदार कामयाबी
सेना की पहल पर चलाए जा रहे इस कोचिंग में स्‍थानीय युवाओं को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए आवश्‍यक प्रशिक्षण दिया जाता है। सेना की ‘सुपर-40’ कोचिंग पहल को आईआईटी-जेईई मेन्‍स एग्‍जाम 2017 में शानदार कामयाबी मिली है। राज्‍य के 26 लड़कों और दो लड़कियों ने यह परीक्षा पास कर ली है और इसके साथ ही इस पहल ने अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इनमें से 9 विद्यार्थियों ने सफलतापूर्वक आईआईटी एडवांस परीक्षा उत्‍तीर्ण कर ली है।

कश्मीर की सेवा करें छात्र-आर्मी चीफ
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को सेना की ‘सुपर-40’ में सफल हुए छात्रों से मुलाकात की और उनकी हौसला अफजाई की। नई दिल्ली में मुलाकात के दौरान आर्मी चीफ ने उन्हें सम्मानित किया। इन छात्र-छात्राओं से सेना प्रमुख ने कहा, ”कश्मीर जन्नत है और हम सबको फिर से उसे वैसा ही बनाना है।” सेना प्रमुख ने इन छात्रों से यह भी कहा कि जब वे कुछ बन जाएं तो कहीं बाहर न जाएं, वापस कश्मीर जाएं और उसे बेहतर बनाने में अपना योगदान दें।

सुपर-40 की सफलता दर 80 प्रतिशत
इस साल सुपर-40 बैच के 26 छात्र और 2 छात्राओं ने जेईई मेंस क्लियर किया था। पांच छात्र किसी निजी कारण से परीक्षा में नहीं बैठे थे। 35 में से 28 छात्रों ने जेईई-मेंस क्लियर किया यानी सुपर-40 की सफलता दर 80 प्रतिशत रही। इस साल पहली बार घाटी की पांच लड़कियों ने भी सेना के सुपर-40 बैच में दाखिला लिया था। उनमें से दो ने जेईई मेंस क्लियर किया है जो अब दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी और जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने की पात्र हैं।

दक्षिण कश्मीर में ‘नया सवेरा’
इस साल कश्मीर से सेलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स में से 9 दक्षिण कश्मीर से हैं। गौरतलब है कि साउथ कश्मीर में ही आतंकवाद का सबसे ज्यादा असर है। कुपवाड़ा, अनंतनाग और बारामूला जैसे जिलों में आए दिन आतंकी हमला करने की साजिश रचते हैं। 10 छात्र उत्तरी कश्मीर के चयनित हुए हैं। 7 करगिल और लद्दाख इलाके से जबकि जम्मू से 2 स्टूडेंट सिलेक्ट हुए हैं। इस बार बैच में कुल 5 लड़कियां भी हैं।

सेना की पहल पर सुपर-40
भारतीय सेना कश्मीरी युवाओं के कल्याण और उनके सुनहरे भविष्य के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। उनमें से ही एक सुपर-40 कोचिंग है, जो बिहार के सुपर-30 की तर्ज पर है। यहां कश्मीर के 40 प्रतिभाशाली और वंचित छात्रों को मुफ्त पढ़ाई की सुविधा मुहैया कराई जाती है। सेना के इस नेक काम में सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड लर्निंग (सीएसआरएल) और पेट्रोनेट एलएनजी ट्रेनिंग पार्टनर हैं।

तीन सालों से चल रहा है सुपर-40
सुपर-40 के बैच पिछले तीन सालों से चल रहे हैं। पहले साल एक भी छात्र जेईई क्रैक नहीं कर पाए थे। लेकिन पिछले साल बैच के 30 छात्रों ने जेईई मेंस दिया। उनमें से 25 छात्रों ने जेईई मेंस क्लियर किया और सात ने जेईई अडवांस्ड क्लियर किया था। दरअसल कड़े इम्तिहान के बाद सेना पूरे जम्मू-कश्मीर के करीब दो हजार बच्चों में से 40 चुनिंदा बच्चों का चयन करती है और इन बच्चों को 11 महीने आवास, भोजन और कोचिंग सेना द्वारा मुहैया कराई जाती है।

आतंकियों-पत्थरबाजों को करारा जवाब
सुपर 40 के कश्मीरी बच्चे। आईआईटी पास कर इन्होंने न सिर्फ अपने राज्य जम्मू-कश्मीर का मान बढ़ाया है, बल्कि उन आतंकवादियों और पत्थरबाजों को भी करारा जवाब दिया है, जिन्होंने राज्य का विकास रोक रखा है। इन प्रतिभाशाली युवाओं की सफलता ‘धरती का स्वर्ग’ जम्मू कश्मीर में अमन की बयार बहने की एक नई आस जगी है। कई ऐसे अवसर आए हैं जहां कश्मीरी युवाओं ने इन आंतकियों-पत्थरबाजों को न सिर्फ करारा जवाब दिया है बल्कि सुधर जाने का सबक भी दिया है।

कश्मीर में बदल रहा माहौल
कुछ भटके युवा आज भी आतंक की राह पर हैं। लेकिन ऐसे लोगों को ये जरूर समझना होगा कि आतंकी बुरहान वानी और सब्जार अहमद जैसे आतंकियों ने आखिर कश्मीर को खूनखराबा और अशांति के अलावा क्या दिया? बुरहान और सब्जार की सोच से अलग उन युवाओं की सफलता भी देख लें जहां युवक-युवतियों का एक ऐसा दस्ता तैयार हो रहा है जिनके नक्शेकदम पर कश्मीर का भविष्य सजेगा संवरेगा।

सिविल सर्विसेज परीक्षा में बिलाल को 10वां स्थान
उत्तरी कश्मीर के दूरदराज के इलाके हंदवाड़ा के बिलाल ने संघ लोकसेवा आयोग-UPSC की 2016 की परीक्षा में दसवां स्थान हसिल किया है। पुंछ के जफर इकबाल 39वें और राजोरी के अनायत अली इसी परीक्षा में 808वें नंबर पर रहे हैं। अपनी इस सफलता के साथ बिलाल ने जम्मू कश्मीर से जुड़ी आतंक और दहशत की धारणा को धोने की कोशिश की है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से बताया है कि घाटी को पत्थरबाजों की नहीं उन जैसों की चाहत है। बिलाल के कमाल ने एक बार फिर साबित किया है कि कश्मीरी युवा दुनिया भर में अपनी प्रतिभा और हुनर का जलवा दिखाने को बेताब हैं।

UPSC में जम्मू-कश्मीर के 14 छात्र सफल
संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के परिणामों में जम्मू कश्मीर के परिणाम इस बार सबसे बेहतरीन रहे हैं। पहली बार इस परीक्षा में राज्य के 14 छात्रों ने सफलता पाई है। 2015 में सिविल सर्विस के लिए 10 युवाओं का चयन हुआ जिसमें सादिक भट ऑल इंडिया रैंकिंग में 27वें स्थान पर रहे थे। साल 2016 में भी 10 युवाओं का चयन हुआ जिसमें अथर आमिर ऑल इंडिया रैंकिंग में दूसरे स्थान पर रहे थे। 2017 में हाल ही में आए सिविल सर्विस के नतीजे में 14 युवाओं का चयन हुआ जिसमें बिलाल मोहिउद्दीन भट ने ऑल इंडिया रैंकिंग में दसवां स्थान हासिल किया।

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भारतीय फौज के 11 नये ‘फैयाज’
शहीद लेफ्टिनेंट उमर फयाज की तर्ज पर चलते हुए जम्मू-कश्मीर के 11 युवक इंडियन मिलिटरी अकेडमी से स्नातक कर इसी साल जून में भारतीय सेना के अधिकारी बन गए हैं।

भारतीय सेना में शामिल होने वाले 479 युवकों के साथ जम्मू-कश्मीर के इन 11 युवाओं को भारतीय सेना में शामिल होते देख हर भारतीय को गर्व हो रहा है। सबसे खास ये सेना में शामिल होने वाले ये सभी 11 युवक फयाज को जानते थे और उन्हें अपना रोल मॉडल मानते थे।

इन्हें चाहिए बेरोजगारी से ‘आजादी’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू से कोशिश की है कि जम्मू-कश्मीर के लिए विकास के रास्ते खुले रहें और उसमें कोई रुकावट न आए। विकास कार्यों के साथ सेना और सुरक्षा बलों में भर्ती के लिए विशेष अभियान चलाये जा रहे हैं। कश्मीर के युवक हजारों की संख्या में इन कैंपों में भर्ती के लिए आ रहे हैं। अप्रैल 2017 का लाल चौक से एक किलोमीटर दूर बख्शी स्टेडियम का दृश्य तो कुछ खास ही था। पांच हजार पदों के लिए 1.21 लाख आवेदन आए थे। इनमें कई ऐसे भी थे जो पत्थरबाज भी रह चुके हैं, लेकिन इनका साफ कहना है कि इन्हें बेरोजगारी से आजादी चाहिए न कि भारत से।

सेना के लिए आए 19 हजार आवेदन
बीते अप्रैल महीने में कश्मीर के युवाओं ने सेना में भर्ती अभियान में हजारों आवेदन भेजे हैं। रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया के अनुसार उत्तर कश्मीर के बारामुला जिला स्थित हैदरबेग पत्तन इलाके में एक भर्ती अभियान चलाया गया और घाटी के 10 जिलों से 18,931 पंजीकरण ऑनलाइन किए गए।

कश्मीर की आयशा युवा पायलट बनीं
कश्मीर की आयशा अजीज आयशा 21 साल की हैं और अप्रैल 2017 में पायलट बन गई हैं। वह मिग 29 लड़ाकू विमान उड़ाने की योजना बना रही हैं। अगर वो इसे उड़ाने में सफल हो जाती हैं तो वह मिग 29 उड़ाने वाली भारत की पहली सबसे युवा पायलट बना जाएगी। आयशा ने बताया कि वह अंतरिक्ष की सैर पर भी जाना चाहती हैं। साल 2012 में उसने दो महीने की एडवांस ट्रेनिंग नासा में पूरी कर ली थी। आयशा ऐसा करने वाली तीन भारतीयों में से एक हैं।

क्रिकेट में भारत की शान परवेज रसूल
कश्मीर के रहने वाले परवेज रसूल क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। परवेज पहले कश्मीरी खिलाड़ी हैं, जो आईपीएल में खेल चुके हैं। परवेज ने अपना करियर 2014 में बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर में शुरू किया, जबकि आईपीएल में वह पुणे वॉरियर्स, सनराइज़र्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिये खेल चुके हैं।

क्रिकेट जगत की सनसनी ‘सुपर गर्ल’
कश्मीर की इकरा रसूल क्रिकेट जगत की नई सनसनी है। बारामुला स्थित डांगीवाचा में रहने वाली 17 साल की ये लड़की लड़कों की टीम में खेलती है। वह उनके साथ ही प्रैक्टिस करती है और ब्वॉयज टीम में खेलकर मेडल्स जीतती है। इस दौरान वह अपने शानदार खेल से लड़कों के छक्के छुड़ा देती है। इकरा ऑलराउंडर खिलाड़ी है। सीधे हाथ से बल्लेबाजी तो करती है ही साथ में तेज गेंदबाजी भी करती है। इसके चलते उसे ‘सुपर गर्ल’ भी कहा जाने लगा है।

क्रिकेट के ‘गुर’ के लिए विशेष कोचिंग
कश्मीर घाटी के युवाओं को क्रिकेट के गुर सिखाने के लिए, बक्शी स्टेडियम में पहली बार इस साल मई माह में किसी कैंप की शुरुआत हुई । यह पहला मौका है, जब कश्मीर में अंडर-16 क्रिकेट के लिए किसी कोचिंग कैंप का आयोजन हुआ। जम्मू और कश्मीर स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल ने इस कैंप का आयोजन किया, यह आयोजन 21 दिनों तक चला। इस कैंप में उभरते हुए युवा खिलाड़ियों को क्रिकेट कोचिंग देने के साथ-साथ उन्हें फिटनेस के गुर भी सिखाए गए।

फुटबॉल में भी कश्मीर के युवा कर रहे नाम
सिर्फ क्रिकेट ही नहीं फुटबॉल में भी कश्मीर के युवा पीछे नहीं है। केरला ब्लास्टर्स के लिए खेलने वाले इश्फाक अहमद भी श्रीनगर के रहने वाले हैं। संतोष ट्रॉफी में खेल चुके मेहराजुद्दीन वदू भी कश्मीर के हैं। जम्‍मू कश्‍मीर के दो युवकों बासित अहमद और मोहम्‍मद असरार का चयन, जनवरी 2017 में स्‍पेन के फुटबॉल क्‍लब सोशियाड डेपोर्टिवा लेनेंस प्रोइनास्‍तुर के लिए हुआ। यह सब सीआरपीएफ की वजह से संभव हो पाया। सीआरपीएफ का इस क्‍लब से करार है ताकि जमीनी स्‍तर पर प्रतिभा की तलाश की जाए।

भारत के लिए फुटबॉल खेलाना चाहती हैं कश्मीरी लड़कियां
सीआरपीएफ ने युवाओं के लिए दिसम्बर 2016 में ‘खेलो कश्मीर’ के नाम से फुटबाल कप का आयोजन लड़कियों और लड़कों के लिए किया जिसमें लड़कों की 30 और लड़कियों की नौ टीमों ने भाग लिया। श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में आयोजित क्लोजिंग समारोह में लड़कों और लड़कियों के फाइनल मैच देखने मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती आयी थी। 21 वर्षीय अफशां आशिक कहती हैं, ‘मैं देश के लिए फुटबॉल खेलना चाहती हूं।’ आपको बता दें कि अफशां कश्मीर की पहली महिला फुटबॉल कोच हैं। अफशां गवर्नमेंट वीमेंस कॉलेज में बीए सेकंड इयर की स्टूडेंट हैं। उनकी टीम में कोठी बाग के गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल की 20 लड़कियां हैं।

इन प्रतिभाओं को देखते हुए और इनके देश प्रेम को देखते हुए भला कोई कैसे कह सकता है कि कश्मीर के युवा आजादी मांग रहे है। हां कुछ युवा जरूर राह भटक गए हैं, लेकिन उन्हें भी सेना और सरकार मुख्यधारा में लाना चाहती है। आतंकी बने स्थानीय युवकों को वापस लाने के लिए ‘मौज छय नाद दिवान’ यानि मां बुला रही है… जैसा अभियान भी चलाया जा रहा है। अमन की राह में रोड़ा बने अलगाववादियों पर नकेल और आतंकवादियों पर सख्त कार्रवाई से भी इन युवाओं के हौसले को एक नई ऊंचाई मिली है।

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