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न्यू इंडिया के समृद्ध स्वास्थ्य को समर्पित है मोदी सरकार: वर्ल्ड हेल्थ डे पर एक आकलन

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7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे पर देश-विदेश में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं। हमारे लिए यह अवसर स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा उठाए गए उन कदमों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का है जो न्यू इंडिया के समृद्ध् स्वास्थ्य को समर्पित हैं।

जन भागीदारी कार्यक्रम की सफलता का मंत्र

देश के स्वास्थ्य सेक्टर में कैसे और किन प्रयासों से नई जान आ रही है इसका पता पिछले महीने नेटवर्क 18 के Rising India कार्यक्रम में खुद प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से चल जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कॉरपोरेट जगत में एक कहावत प्रचलित है कि You can’t Manage what You can’t Measure. यानि जब तक आप चीजों को ठीक से समझेंगे नहीं, उसका सही प्रबंधन नहीं कर पाएंगे। प्रधानमंत्री के मुताबिक उनकी सरकार ने इस मंत्र को ना सिर्फ अपनी कार्यपद्धति में अपनाया, बल्कि एक नया मंत्र जोड़कर इसे और आगे ले गई – Measure to Manage and Manage to Create Mass Movement. प्रधानमंत्री का विश्वास है कि कोई भी कार्यक्रम जब जन आंदोलन बनता है, जब व्यापक स्तर पर सरकार और जनता की भागीदारी होती है तो उसके नतीजे भी बेहतरीन और दूरगामी होते हैं।

हेल्थ सेक्टर की मजबूती के लिए 4 pillar पर फोकस

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि उनकी सरकार हेल्थ सेक्टर को Multi Sectoral तरीके से आगे बढ़ाते हुए इसमें चार Pillars पर ध्यान दे रही है:  

  1. Preventive Health
  2. Affordable Healthcare
  3. Supplyside interventions
  4. Mission mode intervention

इससे पहले ऐसा होता था कि देश में स्वास्थ्य से जुड़े सभी मामलों को Health Ministry के मत्थे कर दिया जाता था। शुरू से एक धारणा रही है कि हेल्थ सेक्टर के लिए सब कुछ स्वास्थ्य मंत्रालय ही करेगा। प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक ऐसी स्थिति में सिर्फ silos बनते हैं, solutions नहीं निकलते। इसलिए उनकी सरकार का प्रयास रहा है – No Silos, Only Solutions. इसलिए स्वास्थ्य सेक्टर से जुड़े अभियानों में Health Ministry के साथ-साथ इन विषयों से जुड़े अन्य मंत्रालयों जैसे स्वच्छता मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, Ministry of Chemicals and Fertilizers, उपभोक्ता मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी साथ-साथ रखा। यानि पहले चार Pillars पर Focus किया गया और फिर उसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए इन मंत्रालयों को भी उससे जोड़ा गया। 

Preventive Health: इलाज से परहेज बेहतर

स्वच्छता स्वस्थ जीवन के लिए सबसे पहली आवश्यकता है और इसी पर बल देते हुए मोदी सरकार ने पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय को सक्रिय किया। इसके स्वच्छ परिणाम सामने आए हैं।

-2014 तक पूरे भारत में 6.5 करोड़ घरों में शौचालय थे लेकिन अब 13 करोड़ घरों में शौचालय हैं यानि दोगुनी बढ़ोतरी।

-आज देश में सैनिटेशन कवरेज 38 प्रतिशत से बढ़कर करीब 80 प्रतिशत हो चुकी है। यह बढ़ोतरी भी दोगुना से ज्यादा है। 

-स्वच्छता अभियान के साथ घर-घर ये संदेश भी पहुंचा है कि गंदगी अपने साथ बीमारियां लेकर आती है, जबकि स्वच्छता रोगों को दूर भगाती है।

-योग को बढ़ावा भी Preventive Health Care का ही एक रूप है। आयुष मंत्रालय के activate होने की वजह से योग आज दुनिया भर में एक Mass Movement बन रहा है।

-इस साल के बजट में सरकार ने Wellness Centre को मंजूरी दी है। इसके लिए 1200 करोड़ रुपये के फंड का प्रावधान किया गया है। सरकार का प्रयास है कि देश की हर बड़ी पंचायत में हेल्थ वेलनेस सेंटर बने।

-मोदी सरकार ने इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम पर विशेष जोर दिया।  इस सरकार के आने से पहले देश में टीकाकरण की वृद्धि दर सिर्फ 1 प्रतिशत थी, जो आज बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो चुकी है।

Affordable Healthcare: सस्ती और सुलभ सुविधाएं

प्रधानमंत्री मोदी का स्पष्ट रूप से मानना है कि Preventive Health Care के साथ हेल्थ केयर का लोगों की पहुंच में होना और अफोर्डेबल होना दोनों जरूरी है। इसलिए जन सामान्य के लिए सस्ता और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए भी मौजूदा सरकार ने कई कदम उठाए हैं।

-जन औषधि केंद्र इसी दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है जिसको लेकर Ministry of Chemicals and Fertilizers सक्रिय है। देश भर में 3,000 से अधिक जन-औषधि केंद्र खोले गए हैं जहां 800 से ज्यादा दवाइयां कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हैं।

-समय था जब घुटनों के ट्रांसप्लांट की लाख-दो लाख की कीमत सुनने के बाद लोग ट्रांसप्लांट को टाले रखने में ही अपनी भलाई समझते थे। लेकिन मोदी सरकार में वह बात गए जमाने की बात हो चुकी है। हृदय रोगियों को स्टेंट कम कीमत पर मिले, इसके लिए  उपभोक्ता मंत्रालय को सक्रिय किया गया।

-उपभोक्ता मंत्रालय की विशेष पहल का परिणाम है कि आज हार्ट स्टेंट की कीमत 85 प्रतिशत तक कम हो गई है। इसके साथ ही Knee implants की कीमतों को भी नियंत्रित किया गया है, जिससे इसके दाम में 50 से 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।

Affordable Healthcare के क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी कदम है आयुष्मान भारत योजना जिसे इस साल के बजट का हिस्सा बनया गया।  इस योजना से देश के गरीब से गरीब व्यक्ति को भी अब अपने इलाज की चिंता नहीं होगी। देश के लगभग 10 करोड़ परिवार यानी करीब 45 से 50 करोड़ नागरिक इलाज की चिंता से मुक्त हो जाएंगे। अगर उनके परिवार में कोई बीमार पड़ा तो एक साल में 5 लाख रुपये का खर्च भारत सरकार और इंश्योरेंस कंपनी मिलकर देगी।

Supplyside interventions: जरूरत होते ही आपूर्ति

सप्लाई स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का एक आवश्यक हिस्सा है। इस सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा सरकार के प्रयास निरंतर जारी हैं।

-देश के कई हिस्सों में विशेषकर गांवों में जो डॉक्टरों की कमी महसूस की जा रही है उसे दूर करने के लिए सरकार ने मेडिकल की सीटें बढ़ाई हैं।

-2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तो मेडिकल में 52 हजार अंडरग्रैजुएट और 30 हजार पोस्ट ग्रैजुएट  सीटें थीं। अब देश में 85 हजार से ज्यादा अंडरग्रैजुएट और 46 हजार से ज्यादा पोस्ट ग्रैजुएट सीटें हैं।

-इसके अलावा देश भर में  नए एम्स और आयुर्वेद विज्ञान संस्थान की स्थापना की जा रही है।  सरकार की तीन संसदीय सीटों के बीच में एक मेडिकल कॉलेज के निर्माण की भी योजना है। जाहिर है सरकार के इन प्रयासों का सीधा लाभ युवाओं के साथ ही देश की गरीब जनता को भी मिलेगा।

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Mission mode intervention: माता-शिशु की समुचित देखभाल

प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि सरकार के सामने कुछ चुनौतियां ऐसी होती हैं जिनके लिए मिशन मोड में काम करते रहने की जरूरत होती है। माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य की समुचित देखभाल को सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार ने कई योजनाओं पर काम किया जिसके आज अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इस दिशा में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सक्रिय किया गया।

-मां और शिशु का उचित पोषण हो, इसे प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सुनिश्चित किया गया है।

-प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत अब तक 1 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं की मुफ्त प्रसवपूर्व जांच की जा चुकी है।

-प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।

-पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय पोषण मिशन की शुरुआत की गई। करीब 9 हजार करोड़ रुपये की राशि के साथ इसे शुरू किया गया है। देश को स्वस्थ बनाने की दिशा में यह मोदी सरकार का सबसे बड़ा और नया कदम है।

-जब बच्चों और माताओं को सही पोषण मिलेगा तो उनका बेहतर स्वास्थ्य भी सुनिश्चित होगा। गौर किया जाए, तो इस एक योजना से भी पता चलता है कि न्यू इंडिया के स्वास्थ्य की मजबूत नींव पड़े, इसको लेकर देश की मौजूदा सरकार ना सिर्फ गंभीर है, बल्कि पूरी तरह से सक्रिय भी है।

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