Home गुजरात विशेष नयी सोच, नये विचार से शहरी विकास को मिली रफ्तार

नयी सोच, नये विचार से शहरी विकास को मिली रफ्तार

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कुछ नया सा, कुछ अलग सा… की बात हो तो गुजरात का नाम जेहन में आ ही जाता है। देश में कई ऐसे कार्य हुए हैं जिसकी शुरुआत गुजरात ने की है और वे अन्य राज्यों के लिए नजीर हैं। नरेंद्र मोदी के सीएम रहते गुजरात के शहरों का समन्वित विकास हुआ। चाहे रूर्बनाइजेशन के जरिए कस्बाई शहरों का विकास हो या फिर ट्वीन सिटीज से जरिये जुड़वां शहरों में विकास की प्रतिस्पर्धा की बात हो। शहरी आवास को प्रोत्साहन हो या ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए नये फ्लाईओवर्स का निर्माण हो। सबमें गुजरात एक मॉडल बनकर देश के सामने है।

रुर्बनाइजेशन (rurbanisation) : आत्मा गांवों की, सुविधाएं शहरों की
सुविधाएं पाने की होड़ में शहरों की तरफ ताबड़तोड़ पलायन आज चिंता का विषय है। लेकिन अगर गांवों में ही ये सविधाएं मिल जाएं तो काफी हद तक ऐसे पलायन को रोका जा सकता है। गुजरात ने इस मामले में भी एक नजीर पेश की है। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने ‘प्रोवाडिंग अर्बन ऐमिनिटीज टू रूरल एरियाज’ यानी रूर्बन सोसाइटी की थ्योरी दी थी। इस थ्योरी को अपनाने की पहल सबसे पहले गुजरात ने की। 2011 में गुजरात में अपने मुख्यमंत्रित्व काल में नरेंद्र मोदी ने रूर्बनाईजेशन के कंसेप्ट को जमीन पर उतारने की योजना बनाई और ‘रूर्बनाईजेशन’ के संकल्प में पचास गांवों का चयन किया। आज ये गांव न्यूनतम शहरी सुविधाओं से लैस हैं। अब तो केंद्र सरकार पूरे देश में इस योजना आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रही है।

ट्वीन सिटीज में विकास की होड़
हम अहमदाबाद को चमकता देखना चाहते हैं परंतु अहमदाबाद के साथ ही गांधीनगर भी चमके यह भी हमारी इच्छा है। एक दूजे के नजदीक स्थित दो शहरों को विकास का समान अवसर क्यों ना मिले ? इसलिए हमने ट्वीन सिटी मॉडल पेश किया है।
-नरेंद्र मोदी

सकारात्मक सोच और नये विचार, नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का हिस्सा हैं। गुजरात के कई शहरों को ट्वीन सिटीज के तौर पर विकसित करने का प्रयास भी इसी सोच का नतीजा है।

अहमदाबाद-गांधीनगर, सुरेन्द्रनगर-वढवाण, सूरत-नवसारी, वडोदरा-हालोल, भरूच-अंकलेश्वर और मोरबी-वांकानेर को ट्वीन सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है। इसके पीछे की सोच ये है कि जुड़वां शहरों के बीच विकास की प्रतिस्पर्धा बढ़े और विकास की रफ्तार बढ़े। जाहिर है भारत के श्रेष्ठ शहरों का निर्माण करने की दिशा में गुजरात की ट्वीन सिटीज की पहल से नई दिशा मिली है।

फ्लाईओवर्स से यातायात हुआ सुगम
गुजरात के तमाम शहरों में कई फ्लाईओवर्स का निर्माण किया है, जिनके कारण हमारे शहरों के भीड़ भरे क्षेत्रों में यातायात आसान हुआ है। अहमदाबाद में पचास लाख की आबादी और पचास से ज्यादा फ्लाईओवर और करीब इतने ही अंडर पास बनाए गए हैं। 101 फ्लाईओवर के साथ सूरत ने तो फ्लाईओवर सिटी ऑफ गुजरात के तौर पर पहचान बना ली है। शहरी परिवहन ढांचे को मजबूत बनाने के लिए मल्टी मॉडल अफोर्डेबल ट्रांसपोर्ट अथोरिटी (एमएटीए) का गठन किया है। इसका उद्देश्य सुरक्षित, मितव्ययी, सुविधापूर्ण और विश्वसनीय शहरी परिवहन को प्रोत्साहन देने के लिए रोडमेप तैयार करना है।

जी ऑटो सेवा का अद्भुत अंदाज
ये अनोखी ऑटो रिक्शा सेवा है जो अहमदाबाद, वडोदरा और गांधीनगर में उपलब्ध है। जब आप रिक्शा में बैठेंगे तब ड्राइवर आपको पानी का बोतल और समाचार पत्र ऑफर करते हैं। गुजरात में एक फाउंडेशन की पहल पर रिक्शा ड्राइवर्स का एक समूह एक छत के नीचे आया और जी-ऑटो का गठन किया गया। 24 घंटे सेवा उपलब्ध कराने वाले इस रिक्शा सेवा का अन्य राज्यों में भी विस्तार किए जाने की योजना है।


झोपड़पट्टी मुक्त करने को शहरी आवास
गुजरात में बेघरों को पक्का मकान उपलब्ध करवाने के मामले में गुजरात देश के सभी राज्यों से आगे है। 2002-2012 के बीच में 22 लाख आवास का निर्माण किया गया है। जो पिछली सरकारों के चालीस साल में 10 लाख घरों के निर्माण के मुकाबले काफी आगे है। 2015 के सरकार के आंकड़े के मुताबिक राज्य में 25873 मकानों का निर्माण किया था जो पीएमएवाई के तहत 30 राज्‍यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में अब तक निर्मित किए गए इस तरह के कुल 82048 मकानों का 32 फीसदी है।

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