Home गुजरात विशेष सूखे सौराष्ट्र के लिए मोदी मंत्र: सौनी यानी सबकी परियोजना

सूखे सौराष्ट्र के लिए मोदी मंत्र: सौनी यानी सबकी परियोजना

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सूत्र वाक्य ‘सबका साथ, सबका विकास’ आज पूरी दुनिया के अनुसरण की मिसाल बन गया है। ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक के राजनीतिज्ञ और सांसद इस सूत्र वाक्य को हिंदी में ही इस्तेमाल कर लोगों के बीच अपनी पहचान बना रहे हैं। कुछ लोगों के लिए ये महज एक चुनावी सूत्र वाक्य हो सकता है जो पहली बार शायद 2014 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान सुना गया। लेकिन हकीकत ये नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी इस सूत्र वाक्य को तब से मानते हैं और इस पर अमल करते हैं जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उनके इस सूत्र वाक्य का ही कमाल था जिससे गुजरात के वह इलाके हरे-भरे हो गये जिनपर सूखे का ठप्पा लगा हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात ने जो प्रगति की वो बेमिसाल है। गुजरात के विकास को आमतौर पर लोग चमचमाती और चिकनी सड़कों, अनवरत बिजली आपूर्ति, बीआरटी और दूसरे ग्रोथ इंडिकेटर से जोड़कर देखते हैं। लेकिन एक ऐसी योजना और है जिसके बारे में ज्यादा चर्चा नहीं होती। वह है सौनी यानी SAUNI. सौनी एक सिंचाई परियोजना का संक्षिप्त रूप है और इसका पूरा नाम है “Saurashtra Narmada Avtaran Irrigation” Project यानी सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई परियोजना।

इस परियोजना की परिकल्पना 2012 में की गयी थी और पिछले साल प्रधानमंत्री ने इस के पहले चरण का लोकार्पण भी कर दिया। यानी ये परियोजना शुरु हो चुकी है और इससे कच्छ और सौराष्ट्र के तमाम इलाकों को लाभ हो रहा है। सवाल उठता है कि सौनी में ऐसी क्या विशेषता है जो दूसरी सिंचाई परियोजनाओँ से अलग है।

इस परियोजना का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही सौनी रखा है। सौनी या साउनी गुजराती भाषा का शब्द है और इसका अर्थ होता है सबकी या सबका। ये कोई सरल या सहज परियोजना नहीं है। सवाल था कि अंकलेश्वर, भरुच और वडोदरा से होकर बहती हुई खम्बाट खाड़ी में समाहित होने वाली नर्मदा के पानी को जामनगर, राजकोट और मोरबी के नजदीक सौराष्ट्र के बांधों में कैसे पहुंचाया जाए? यहां ध्यान रहे कि वडोदरा और राजकोट के बीच कम से कम 290 किलोमीटर की दूरी है। परियोजना के पहले चरण में इन्हीं इलाकों के दस बांधों को पानी पहुंचाया जा रहा है। ये प्रधानमंत्री और तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी की सोच का ही नतीजा है कि कैसे एक सूखा ग्रस्त क्षेत्र को हरा भरा किया जा रहा है।

तो क्या है पूरी सौनी या साउनी (SAUNI) यानी सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई योजना:

  • इस योजना के तहत बांधों को पाइपलाइनों के जरिए एक दूसरे से जोड़ा जाना है.
  • इस योजना का प्रमुख लक्ष्य नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के अतिरिक्त पानी से बाकी बांधों तक पानी पहुंचाना है.
  • नर्मदा का जो पानी पाइपलाइन के जरिए पहुंचाया जाएगा, उसे पेयजल और सिंचाई, दोनों के लिए लोगों को मुहैया कराया जाएगा.
  • पहले चरण में 10 बांधों को जोड़कर एक पाइपलाइन नेटवर्क बनाया जाएगा.
  • बाद में बांधों की संख्या बढ़ाकर 115 की जाएगी.
  • 2019 तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की उम्मीद है.
  • 2012 में मोदी के गुजरात सीएम रहते 1,200 करोड़ रुपये की लागत से इस योजना को शुरू किया गया था.
  • इस योजना पर कुल खर्च होंगे 10,861 करोड़ रुपये.
  • अनुमान है कि इस योजना के पूरा होने पर करीब सवा 10 लाख एकड़ जमीन पर सिंचाई सुविधा दी जा सकेगी

कैसे अलग है यह परियोजना दूसरी परियोजनाओं से –
आम तौर पर नहरें बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण करना पड़ता है जिसमें तमाम तरह की दिक्कतें आती हैं। इसके तोड़ के लिए करीब 1125 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई जा रही है। इन्हीं पाइपों के जरिए नर्मदा का पानी बांधों तक पहुंचेगा। बांधों को पहले ही खुली नहरों से जोड़ दिया गया जिससे पानी सीधे खेतों तक पहुंच जाएगा।

इस परियोजना में चार ट्रंक पाइपलाइन हैं, जिनके नाम लिंक-1, लिंक-2, लिंक-3 और लिंक-4 है।

लिंक-1 180 किलोमीटर लंबा है और ये मोरबी जिले में माछू -2 बांध से जुड़ेगा। इस रास्ते में ये मोरबी, जामनगर और देवभूमि द्वारका को छुएगा और 30 बांधों तक पानी ले जाएगा।

लिंक-2 253 किलोमीटर लंबा है और सुरेंद्रनगर के लिंबदी भोगावो-2 बांध से शुरु होकर अमरेली जिले के खंभा तालुका में पहुंचकर 17 बांधों को पानी देगा।

लिंक-3 245 किलोमीटर लंबा है और सुरेंद्रनगर के ही धोली धाजा बांध से शुरु होकर राजकोट जिले के उपलेता तालुका में वेणु-1 बांध पर पहुंचेगा। और,

लिंक-4 लिंबदी भोगावो-2 बांध से शुरु होकर सोमनाथ जिले के तलाला तालुका में हिरण-2 बांध पर पहुंचेगा।

इस तरह SAUNI यानी गुजराती शब्द का अर्थ निकाले तो सबकी परियोजना से सौराष्ट्र जैसे सूखे इलाके को हरा-भरा करने का जो बीड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2012 में उठाया था उसके नतीजे अब सामने आने लगे हैं।

 

-तलसीम खान

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