Home विचार मुसलमानों के मसीहा हैं महंत योगी आदित्यनाथ– पढ़िए तसलीम खान की रिपोर्ट

मुसलमानों के मसीहा हैं महंत योगी आदित्यनाथ– पढ़िए तसलीम खान की रिपोर्ट

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होशियार…खबरदार…तैयार हो जाओ…आपके साथ अब कुछ भी हो सकता है…अरे भइया…योगी सीएम बन गया है…ये तो बहुत कट्टर है… मुसलमानों से नफरत करता है… सारे कमेले (बूचड़खानों को यूपी में आम बोलचाल में कमेला भी कहा जाता है) बंद हो जाएंगे… गोश्त को मोहताज कर देगा ये आदमी… ये सारी वह बातें हैं जो मुस्लिम बहुत इलाकों में चबूतरों (घरों के बाहर बने बैठने के छोटे-छोटे स्थान) पर बैठकर अमेरिका-रूस-चीन से लेकर बाजार-व्यापार, सियासत, समाज पर अधकचरी जानकारी के साथ ज्ञान बघारने वाले इन दिनों कर रहे हैं। इस बहस-मुबाहिसे में फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया और व्हाट्सएप जैसे टूल पर आने वाली अप्रामाणिक सूचनाओं और विश्लेषण का तड़का भी रहता है।

ये सब बिना वजह है भी नहीं…क्योंकि यूपी पर पिछले 15 साल से राज करने वाली पार्टियां मुसलमानों को यही सब तो सिखाती रहीं। उन्हें बताती रहीं कि तुम भैंस का गोश्त खाओ, बढ़ई, कारचोबी (जरी का काम करने दिहाड़ी मजदूर) बनो, राजगीरी (इमारत बनाने वाला मिस्त्री) करो, मोटर मेकेनिक बनो… पढ़ाई लिखाई से दूर रहो, सरकारी योजनाओं की घोषणा से खुश हो जाओ और उस पर अपना अधिकार न जमाओ, केंद्र से आने वाली तमाम योजनाओं के बारे में जानकारी तक हासिल न करो, अपने-अपने मुहल्ले गंदे रखो, बेरोजगारी और कम आमदनी की समस्या से इतने हताश हो जाओ कि बिना सोचे समझे जरा सी बात पर भड़क जाओ, पहले आपस में ही भिड़कर लड़ो-मरो और किसी भी अफवाह पर अनियंत्रित भीड़ बन जाओ। इतना ही नहीं यूपी में 15 साल और केंद्र में लगातार 10 साल सत्ता पर काबिज रही पार्टियों ने ये भी समझाया कि भले ही तुम 17-18 प्रतिशत हो लेकिन तुम बाकी के 80-82 फीसदी से ज्यादा महत्वपूर्ण और ताकतवर हो। तुम्हारे बिना किसी भी पार्टी की दाल नहीं गलने वाली। ये ही पार्टियां अब ये समझा रही हैं कि अब तुम्हारी खैर नहीं…योगी तो बहुत बड़ा मुस्लिम विरोधी है…लेकिन आज हमको वो रूप दिखाएंगें जिससे आप अनभिज्ञ हैं। वो मुसलमानों के विरोधी नहीं बल्कि हमदर्द हैं।


योगी मुस्लिम विरोधी नहीं मुसलमानों के मसीहा हैं। इसकी कुछ मिसालें देखिए…

1. मस्जिद के बाहर योगी जिंदाबाद
पुराना गोरखनाथ निवासी जुनैद अहमद अंसारी बताते हैं कि 2014 में मोहल्ले की बड़ी जामा मस्जिद के पास कुछ लोगों ने रास्ता बंद कर दिया था। उस मुहल्ले में अंसारी बिरादरी के लोग ज्यादा तादाद में रहते हैं। जब अंसारी लोगों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। उस समय सपा की सरकार थी और सत्ता पक्ष के लोग अंसारियों का विरोध कर रहे थे। रास्ता बंद करने वाले व्यक्ति का कोई रिश्तेदार न्याय विभाग में काम करता था और स्थानीय प्रशासन उसके दबाव में था। लोग योगी आदित्यनाथ से मिले। उन्होंने प्रशासन के लोगों से कहा कि अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने खुद जाकर रास्ता देखा और उनकी मौजूदगी में ही वहां लगे ईंटों को उखाड़ कर फेंक दिया गया। जिसके बाद वहां योगी जिंदाबाद के नारे लगे।

2. मौलाना फेल-योगी पास
महानगर के मिर्जापुर मुहल्ले में रहने वाली एक महिला की बेटी की शादी बहराइच में हुई है। दामाद सऊदी अरब में रहता था और बिना बताए उसने दूसरी शादी कर ली। जब इसने विरोध किया तो तलाक देने की धमकी देने लगा। महिला ने कई मौलाना से फरियाद की पर किसी ने नहीं सुनी। फिर बेटी को वह योगी से मिली। उन्होंने तुरंत एसपी बहराइच को फोन लगाया। तत्कालीन आईजी से कहा कि बेटी की एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। दामाद जब जेल गया तो उसके परिवार वाले समझौते के लिए दौड़ लगाने लगे।

 

3. मदरसे की जमीन से हटवाया योगी ने कब्जा
रसूलपुर मुहल्ले में एक मदरसे की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया। मदरसे के मौलवी थक कर मंदिर पहुंचे। सांसद योगी के सामने पूरी बात रखी। उन्होंने तुरंत एसएसपी को फोन मिलाया कहा कि एक घंटे के अंदर मदरसे की जमीन खाली नहीं हुई तो तुम जानोगे तुम्हारा काम जानेगा। आनन-फानन में रास्ता खाली हो गया।

4. हज कोटा में नाम के लिए योगी ने की सिफारिश
चौधरी कैफुल वर्क इन तमाम लोगों में शामिल हैं जो योगी के जनता दरबार में अपनी समस्या लेकर आते हैं। चौधरी साहब की समस्या कुछ और है। उन्हें सरकारी हज कोटे में नाम शामिल कराना था। इस्लाम के पांच सबसे अहम सुतून (स्तंभ) में से एक हज के लिए उन्होंने एक मंदिर के महंत से आस लगायी और उन्हें मायूसी नहीं हुई। उनका नाम सूची में आ गया। इसी तरह चौधरी साहब के मुहल्ले की मस्जिद की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया था, तब भी योगी ने ही वो कब्जा हटवाया था।

5. मठ की जमीनों के रिकॉर्ड संभालते हैं जाकिर अली वारसी
गोरखनाथ मठ की संपत्तियां बहुत सारी हैं। इन सभी संपत्तियों और जमीनों के रिकॉर्ड को संभालकर रखने की जिम्मेदारी जाकिर अली वारसी के पास है। उन्हें योगी ने 2004 में ये जिम्मेदारी दी थी। मठ की संपत्तियों के कुछ बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज और रिकॉर्ड भी वारसी साहब के पास ही रहते हैं।

6. यासीन करते हैं मठ की देखरेख
मठ में होने वाले तमाम कंस्ट्रक्शन के काम और मठ के बाहर मठ की तमाम संपत्तियों की देखरेख का जिम्मा मोहम्मद यासीन के पास है।

7. बरेली के शकील अहमद लगाते हैं खिचड़ी पर्व पर दुकान
मठ में हर साल खिचड़ी पर्व होता है। इसमें मंदिर के परिसर का माहौल मेले जैसा होता है। यहां हर धर्म के लोग आते हैं। बड़ी तादाद में मुसलमान भी इस पर्व में हिस्सा लेते हैं। बरेली के शकील अहमद, लखनऊ के अब्दुल गनी, गोरखपुर के मिराज अहमद कुछ ऐसे दुकानदार हैं जो दशकों से इस पर्व पर यहां दुकाने लगाते हैं और करीब ढाई-तीन महीने यहीं रहते हैं। उन्हें कभी किसी किस्म की कोई दिक्कत नहीं हुई।

अब आप खुद फैसला करिए। योगी आदित्यनाथ विरोधी हैं या मुसलमानों के मसीहा।

 

-तसलीम खान

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