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खुलासा : पीएम मोदी को दलित विरोधी ठहराने के पीछे मुस्लिम लीग की साजिश

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वर्ष 2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली। दलित नहीं होते हुए भी उसे दलित आईकॉन बना दिया गया। वामपंथी दलों के साथ तमाम विरोधी दलों ने इस मुद्दे पर जमकर राजनीति की। मोदी सरकार को दलित विरोधी ठहराने की तमाम कोशिशें हुईं। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मायावती, अरविंद केजरीवाल जैसे तमाम राजनीतिज्ञों ने इस बहती गंगा में हाथ धोए और नकारात्मक राजनीतिक की। हालांकि अब यह खुलासा हो गया है कि इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने के पीछे एक गहरी साजिश रची गई थी। रोहित वेमुला के नाम पर हिन्दुओं को तोड़ने की जो साजिश रची गई थी इसमें मुस्लिम लीग का कनेक्शन सामने आया है। आरोप है कि मुस्लिम लीग ने इस देश के कई दलित नेताओं को पैसे खिलाए ताकि मोदी सरकार के विरुद्ध दलित विरोधी माहौल बनाया जा सके। 

मुस्लिम लीग ने रची थी पीएम मोदी को बदनाम करने की साजिश
इस पूरे मामले का ‘मुस्लिम’ कनेक्शन का खुलासा किसी और ने नहीं रोहित वेमुला कि मां राधिका वेमुला ने किया है। रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला ने कहा है कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने उन्हें भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ बोलने के लिए, रैलियां करने के लिए 20 लाख रूपये देने का वादा किया था, लेकिन वह रुपये अभी तक नहीं दिए गए हैं। साफ है कि केरल के कट्टर इस्लामिक मुस्लिम लीग ने रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला को 20 लाख का चेक देने का वादा किया और कहा कि पूरे देश में घूम-घूम कर चिल्लाए कि मोदी सरकार इसके लिये सीधा जिम्मेदार है। हालांकि वकील प्रशांत पटेल ने अपने इस ट्वीट के जरिये इस बात का खुलासा किया। 

मोदी सरकार के विरुद्ध राधिका वेमुला का राजनीतिक इस्तेमाल
इस प्रकरण से साफ है कि मुस्लिम लीग ने राधिका वेमुला का राजनीतिक दुरुपयोग किया। रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला के ने कहा अम्बेडकर स्टूडेंट फेडरेशन के कार्यकर्ता उनसे मिलने आते थे और उन्होंने उनसे पैसे देने का वादा किया था। गौरतलब है कि राधिका को उसकी गरीबी का हवाला देते हुए घर बनाने के लिए रुपये देने का वादा किया गया था। इस आश्वासन के बाद मुस्लिम लीग के नेता उनका राजनीतिक फायदा उठाने लगे। 

मोदी सरकार को दलित विरोधी बताने की रची गई साजिश
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी को दलितों ने खुलकर समर्थन दिया था। इसी कारण देश में एक राष्ट्रवादी सरकार बन पाई जो हिंदू हितों को मुस्लिम परस्ती की बलि नहीं चढ़ने दे रही है। कहा जा रहा है कि इसी खुन्नस में मुस्लिम लीग ने दलितों को मोदी से हटाने की साजिश रची। मुस्लिम लीग ने पैसे के एवज में केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आयोजित रैलियों के मंच पर राधिका वेमुला का इस्तेमाल किया। उनसे राजनीतिक बयान दिलवाए जाने लगे। बकौल राधिका वेमुला बेटे की मौत के बाद वह टूट चुकी थी। इसके बाद जब मुस्लिम लीग वालों ने ऑफर दिया तो वह लालच में आ गई। भाजपा और उनकी सरकार के खिलाफ इनके कहने पर राजनीतिक बयान देने लगी, लेकिन उन्हें पैसे तो मिले नहीं बल्कि उनकी छवि सरकार विरोधी भी बन गई।

मुस्लिम लीग ने दलितों का हितैषी होने की नौटंकी की
यह कितनी बड़ी साजिश है इसका अंदाजा इस बात से भी लगता है कि राधिका वेमुला को 2 लाख रुपये दे दिया गया था, लेकिन वह चेक बाउंस हो गया था। राधिका वेमुला के अनुसार 20 लाख के वादे के बाद लीग के नेता उन्हें केरल में एक राजनीतिक रैली को संबोधित करने के लिए ले गए। वहां मंच पर 15 लाख का चेक देने का वादा किया था, लेकिन रैली में राधिका के भाषण के खत्म होने से पहले ही चेक देने का वादा करने वाला लीग का नेता मंच से फरार हो गया। इसके बाद एक बार इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के कई नेता केरल से उनसे मिलने उनके घर आए और एक बड़े चेक के साथ फोटो खिंचवाई और चेक लेकर चला गया। सूत्रों की मानें तो बीते 2 ्अप्रैल को दलितों के नाम पर देश में हुई हिंसा में भी मुस्लिम लीग का कनेक्शन सामने आ रहा है। 

रोहित वेमुला के नाम पर विपक्ष ने ‘गिद्ध राजनीति’ की
वामपंथी दलों के साथ समूचे विपक्ष ने जिस प्रकार ‘गिद्ध राजनीति’ की, और रोहित वेमुला के शव को अपनी कुटिल राजनीति के नाखूनों से नोंच डाला। 17 जनवरी, 2016 के बाद हैदराबाद तो जैसे राष्ट्रीय राजनीति का अखाड़ा बन गया था। राज्य सरकार की रिपोर्ट को धता बताकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के विवादास्पद सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस सियासी आग में अपनी रोटी सेंकनी चाही। दौरे किये, रोहित के परिवार से मिले, धरने दिये और मीडिया में खूब बोले। लेकिन सच छिपा ले गए। वामपंथी छात्र संगठनों ने तो देश के सभी शहरों में हंगामा मचा दिया। जाहिर है रोहित वेमुला का सच सामने आने के साथ ही यह साफ हो गया है कि कई दल मोदी विरोध की राजनीति में किसी मुद्दे को किसी गिद्ध की तरह झपट पड़ते हैं और देश को गुमराह करते हैं।

अफवाहों पर क्यों उड़ता है मीडिया?
खबर सच हो तो उसे दिखाने में कोई हर्ज नहीं, लेकिन कई बार जो खबरें छाई होती हैं वो सच नहीं होती हैं। आश्चर्य की बात यह है कि गंटूर जिला प्रशासन ने जब घटना के एक महीने बाद ही साफ कर दिया था कि रोहित दलित नहीं है तो मीडिया बार-बार उसे दलित क्यों कहता रहा? राधिका वेमुला का जिस तरह से मुस्लिम लीग और अम्बेडकर फेडरेशन ने राजनीतिक इस्तेमाल किया, क्या इससी सच्चाई मीडिया को दिखानी नहीं चाहिए थी? लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलाने वाला मीडिया आखिर ऐसी गलत रिपोर्टिंग से देश को कब तक गुमराह करता रहेगा? आखिर सच जानने और उसे बाहर लाने की कोशिश क्यों नहीं किया गया? सवाल उठता है कि क्या मीडिया भी पार्टी बनकर कार्य करता है? क्या मीडिया का एक तबका भी मोदी विरोध की राजनीति से प्रेरित होकर कार्य करता है?

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