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कश्मीर में अंतिम सांसें गिनने लगा है आतंकवाद – मोदी सरकार की आक्रामक नीति है असरदार

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जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन परेशान हैं। वो धीरे-धीरे बिखरते जा रहे हैं। अपने को बचाने के लिए वो तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने में जुट गए हैं। आतंकी सरगना जाकिर मूसा की बातों को उनकी इसी बौखलाहट का नतीजा माना जा रहा है। उसने भारतीय मुसलमानों को जी भर कर कोसा है। उन्हें जिहाद के लिए खड़े होने को कहा है। इस्लाम का वास्ता देकर उकसाने की कोशिश की है।लेकिन फिर भी उनकी दाल नहीं गल पा रही है। ये सब संभव हुआ है तीन साल में मोदी सरकार के द्वारा अपनाई गई नीतियों की वजह से। कश्मीर में आज हालात ऐसे बन गए हैं जहां सुरक्षा बलों के हौंसले काफी बुलंद हैं। लेकिन पाकिस्तान परस्त आतंकवादी एक-एक कर घुटने टेकने को मजबूर हो चुके हैं।

कश्मीर में लुटिया डूबने से बौखलाए आतंकी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हिजबुल मुजाहिदीन का पूर्व कमांडर और अलकायदा का मौजूदा आतंकी जाकिर मूसा भारतीय मुसलमानों पर बहुत ज्यादा भड़का हुआ है। उसकी बातों से साफ है कि कश्मीर में अपने साथियों की दुर्गति देखकर ही वो बिलबिलाया हुआ है। अपनी कुंठा मिटाने के लिए वो भारतीय मुसलमानों पर गुस्सा निकाल रहा है।

एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से उस आतंकी ने भारतीय मुसलमानों के बारे में कहा है,

“ये (भारतीय मुसलमान) दुनिया के सबसे रीढ़विहीन मुसलमान हैं, ये लोग दुनिया के सबसे बेशर्म मुस्लिम हैं। उनको खुद को मुस्लिम कहने में शर्म आनी चाहिए। भारतीय मुस्लिम चीख-चीखकर कह रहे हैं कि इस्लाम शांतिप्रिय धर्म है।”

यही नहीं उसकी हेकड़ी देखिए कि उसने चेतावनी भरे अंदाज में भारतीय मुस्लिमों से कहा है,

“आप लोगों के पास अब भी खड़े होने और हमारे साथ आने का समय है। आगे बढ़ो या फिर बहुत देर हो चुकेगी। मुस्लिम समुदाय की ताकत दिखाओ।”

यूं ही नहीं कहा जाता है कि बुझता हुआ दीया आखिरी वक्त में बहुत अधिक टिमटिमाने लगता है। आतंकी मूसा तो एक प्रतीक भर है, पाकिस्तान की सरपरस्ती में भारत में दहशत मचाने का इरादा रखने वाले हर आतंकी की इस समय ऐसी ही स्थिति है।

सीजफायर तोड़ा तो अंजाम भी भुगतेगा पाकिस्तान
कश्मीरी आतंकियों की बौखलाहट यूं ही नहीं है। भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान को दो टूक कह दिया गया है कि कश्मीर में घुसपैठ कराने के लिए सीजफायर का उल्लंघन करना फौरन बंद कर दे। अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार पाकिस्तानी डीजीएमओ जनरल साहिर शमशद मिर्जा की आग्रह पर बातचीत के दौरान भारत के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट ने ये चेतावनी दी है। उन्होंने पाकिस्तानी सेना के अफसरों से स्पष्ट कह दिया है कि क्षेत्र की शांति अब पाकिस्तानी हरकतों पर निर्भर करेगी। अगर उसने घुसपैठ कराने के लिए बेवजह फायरिंग की तो फिर अंजाम भुगतने के लिए भी उसे तैयार रहना होगा।

कश्मीर में आक्रामक नीति का नतीजा

कश्मीर की स्थिति रातों-रात नहीं बदली है। तीन साल में पीएम मोदी की सरकार ने जो कदम उठाए हैं उसका परिणाम अब सामने दिख रहा है। जैसे सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से घुसपैठ कमी हुई है, तो हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडरों को एक-एक कर ढेर करने से भी आतंकियों के होश गुम हैं। वहीं, अब पत्थरबाजों को मिल रही फंडिंग के स्रोत पर भी कार्रवाई शुरू है। अलगाववादियों को फंडिंग की जांच चल रही है। इन सब कार्रवाईयों के बीच विकास की गाड़ी को भी मोदी सरकार स्थानीय महबूबा सरकार की मदद से आगे बढ़ा रही है। अब खुद पाकिस्तान भी कश्मीर के राग अलापने के मामले में अलग-थलग पड़ चुका है। आतंकवाद को विश्वस्तर पर जवाब दिया जा रहा है।

बॉर्डर पर सेना को मिली खुली छूट
भारतीय सेना ने कुछ दिन पहले ही जानकारी दी कि नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ में मददगार नौगाम और नौशेरा में पाकिस्तानी सैन्य चौकियों को ध्वस्त कर दिया गया। पहली बार सेना ने कार्रवाई का वीडियो भी जारी किया। जाहिर है ये भारत की सैन्य कूटनीति के बदलाव की कहानी कहती है। पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइक का खुला ऐलान और अब पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त करने का वीडियो जारी कर भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की चोरी छिपे युद्ध वाली नीति अब नहीं चलने वाली।

पत्थरबाजों पर नकेल कसने की छूट
कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की साजिश की सच्चाई दुनिया के सामने पहले ही आ चुकी है। ये साफ है कि पत्थरबाजों को अलगावादी नेताओं द्वारा फंडिंग की जाती है और बेरोजगार नौजवानों को गुमराह कर पत्थरबाजी करवाई जाती है। पाकिस्तान इसके लिए बाकायदा फंडिंग भी करता है। लेकिन अब अलगाववादियों पर एक्शन के साथ पत्थरबाजों के खिलाफ एक्शन की भी छूट है। पत्थरबाज को जीप के बोनट पर बांधने वाले मेजर गोगोई को सम्मान देने जैसे कदम मोदी सरकार की नीति को साफ बता रहे हैं।

15 साल बाद कश्मीर में ‘कासो’ अभियान
कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को घेरने के लिए फिर से कार्डन एंड सर्च ऑपरेशन यानि ‘कासो’ अभियान शुरू किया गया है। 15 साल बाद शुरू किए गए इस अभियान के तहत शोपियां, त्राल समेत आतंकवादियों की सक्रियता वाले इलाकों में घेरकर बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। कुलगाम के जंगलों में आतंकी ठिकानों को नष्ट कर सेना ने साफ कर दिया है कि अब आतंकवाद को टिकने नहीं दिया जाएगा।

आतंकियों के खिलाफ एक्शन में गोलियों की गिनती नहीं
मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि आतंक को चाहे देश के भीतर से समर्थन हो या फिर बाहर से सख्त एक्शन होते रहेंगे। बीते एक महीने में एक के बाद एक 20 से अधिक आतंकियों को मारा जा चुका है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की हिंसात्मक कार्रवाई का जवाब भी भारत की तरफ से उसी अंदाज में दिया जा रहा है। सेना को इस नीति पर चलने की छूट दी गई है कि देश के दुश्मनों को मारने के समय वो गोलियों की चिंता न करें। 

अब अलगाववादियों की भी खैर नहीं
पाकिस्तान की फंडिंग से घाटी में पत्थरबाजी कराने की अलगाववादियों की रणनीति का एक निजी चैनल पर खुलासा होने के बाद कई अलगाववादी नेता एनआईए की जांच के दायरे में आ गए हैं। एनआईए अलगाववादियों से पूछताछ कर रही है। उनके कनेक्शन खंगाले जा रहे हैं, हवाला के खुलासे किए जा रहे हैं।

अलगाववादियों से बात नहीं की नीति
मोदी सरकार ने पहले साल ही साफ कर दिया था कि देश विरोधी तत्वों से वो कोई बात नहीं करेगी। ये संदेश कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के लिए भी था। पाकिस्तानी उच्चायुक्त के डिनर में अलगाववादी नेताओं को न्योता देने के मामले पर भी मोदी सरकार ने साफ विरोध जता कर पाकिस्तान को कश्मीर मामले से दूर रहने के लिए आगाह कर दिया था। पाकिस्तान परस्तों को साफ संदेश है कि पहले मुख्यधारा में शामिल हों, फिर अपनी बात रखें, क्योंकि अब उनकी हेकड़ी के दिन लद चुके हैं। उन्हें भारतीय संविधान के दायरे में रहकर ही कोई भी मांग सरकार के सामने रखनी पड़ेगी, अन्यथा कानून के दायरे में ही अंजाम भुगतने को भी तैयार रहें।

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