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लोकतंत्र को पेड़ पर लटकाने पर भी मीडिया की हैरतअंगेज चुप्पी के मायने!

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18 साल का ही था त्रिलोचन महतो… दलित बिरादरी से आने वाले त्रिलोचन में राष्ट्रवाद की भावना उसमें कूट-कूट कर भरी थी। उसकी महत्वाकांक्षा राजनीति में अपना भविष्य बनाने की थी। दरअसल उसके पिता हरिराम महतो उर्फ पानो महतो भी भाजपा से जुड़े हैं इसलिए उसने पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में जी-तोड़ मेहनत की और बलरामपुर ब्लॉक की सभी सातों सीटों पर भाजपा को जीत दिलाने में भूमिका निभाई थी। यही सक्रियता उनके लिए जानलेवा साबित हुई और उन्हें सरेआम फांसी पर लटका दिया गया।

18 साल के लड़के को फांसी पर टांग दिया गया। उसका कत्ल सिर्फ इसलिए किया गया कि वह बीजेपी समर्थक था। त्रिलोचन की टी-शर्ट पर लिखा मिला कि ”तुम इतने कम उम्र में भाजपा के लिए काम कर रहे थे, भाजपा के लिए काम करने का यही हश्र होगा।”

त्रिलोचन के शव के पास एक पत्र भी मिला है, जिसमें बांग्ला में लिखा है, ”तुम इस उम्र में भाजपा के लिए काम कर रहे हो। हम पंचायत चुनाव के समय से ही तुम्हें मारने की कोशिश कर रहे थे और आज हमने तुम्हें मार दिया।”

दरअसल त्रिलोचन में ममता बनर्जी की त्रिणमूल कांग्रेस के विरुद्ध बोलने की हिम्मत थी। मामले की पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन पुलिस ने इस मामले को भी यहीं दफन करने की कोशिश की गई है।

जाहिर है अपराधियों को किसी भी प्रकार का अपराध करने का भय नहीं है, क्योंकि हत्यारा ममता बनर्जी की पार्टी त्रिणमूल कांग्रेस से जुड़ा हुआ है। त्रिलोचन के पिता जो एफआईआर दर्ज करवाई है उसमें सभी 6 आरोपी टीएमसी के कार्यकर्ता हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

त्रिलोचन महतो दलित था और गरीब परिवार से भी था। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वह भाजपा से जुड़ा था। तभी तो पूरे देश की मीडिया और दलित एक्टिविस्ट तक खामोश रह गए। सवाल राहुल गांधी और जिग्नेश मेवाणी जैसों से तो जरूर पूछा जाना चाहिए कि आखिर इस दलित की हत्या पर वे आवाज कब उठाएंगे? सवाल ये भी क्या उनका समर्थक मुसलमान और दलित ही असली मुसलमान और दलित होता है?

इसे ममता बनर्जी का खौफ भी कह सकते हैं, तभी तो कोई इस घटना पर मुंह खोलने को तैयार नहीं है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अपना वजूद खोती जा रही है, लेकिन सोनिया गांधी चुप हैं। हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने घटना की निंदा की है।

The present TMC govt in West Bengal has surpassed the violent legacy of Communist rule. Entire BJP mourns this tragic loss & stands firmly with Trilochan Mahato’s family in this hour of grief. His sacrifice for organisation & ideology will not go in vain. Om Shanti Shanti Shanti.

— Amit Shah (@AmitShah) 30 May 2018

आरोप है कि महीने भर के भीतर सत्तारूढ़ टीएमसी द्वारा की गयी यह 18वीं हत्या है। भाजपा का सदस्य होने के कारण कई कार्यकर्ताओं को मारा जा रहा है। टीएमसी इसे लोकतंत्र कहती है, लेकिन यह खूनी लोकतंत्र है। दरअसल एक महीने के भीतर जिन 18 लोगों की हत्या की गई वे सभी हिंदू हैं।

देश में बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था है, ऐसे में ममता बनर्जी के राज में सिर्फ भाजपा कार्यकर्ता होने पर कत्ल कर दिया गया और सेक्यूलर मीडिया खामोश रहा। जाहिर है यह भारतीय लोकतंत्र ही नहीं मीडिया की नैतिकता की भी हत्या है।

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