कई लोगों के पास हुनर तो है, लेकिन पूंजी की कमी की वजह से अपने हुनर का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देने और उनके हाथों को काम देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अप्रैल 2015 में मुद्रा योजना की शुरूआत की थी। इस योजना ने अल्प समय में ही कई लोगों की जिंदगी बदल दी है। उनमें नारनौल के राजाराम भी शामिल हो गए है।
मुद्रा योजना ने बदली जिंदगी
राजाराम एमए-बीएड तक पढ़े हुए हैं, लेकिन न तो उनके पास कोई रोजगार था, और न ही पूंजी थी। जिसके कारण उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने इस योजना के तहत नारनौल के पंजाब नेशनल बैंक से 7 लाख रुपये का कर्ज लिया। राजाराम ने इस कर्ज से लोहे की चौखट बनाने का अपना कारोबार शुरू किया। आज राजाराम अपने कारोबार को इतना आगे बढ़ा चुके है कि रोजगार मांगने की जगह अब रोजगार देने वाला बन गए है। राजाराम न सिर्फ चार-पांच दूसरे लोगों को रोजगार दे रहे हैं, बल्कि अपने साथ-साथ दूसरे के सपने को भी साकार कर रहे हैं।
छोटे कारोबारियों को साहूकारों से मिली मुक्ति
मुद्रा योजना शुरू होने से पहले ऊंची पहुंच वालों को तो लोन आसानी से मिल जाया करते थे, लेकिन छोटे कारोबारियों को साहूकारों के चक्कर लगाने पड़ते थे। साहूकारों का ब्याज देने के चक्कर में उनकी पूरी जिंदगी ब्याज के कर्ज में डूब जाती थी। मुद्रा योजना ने ब्याजखोर लोगों से राजाराम जैसे कई लोगों को बचाया है।
मुद्रा योजना के तहत कर्ज मिलना हुआ आसान
मुद्रा योजना से पहले तक छोटे कारोबार शुरू करने के लिए बैंक से कर्ज लेने में काफी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती थीं। कर्ज लेने के लिए गारंटी भी देनी पड़ती थी। इस वजह से कई लोग कारोबार तो शुरू करना चाहते थे, लेकिन बैंक से कर्ज लेने से कतराते थे। अब मुद्रा योजना के तहत बिना गारंटी का कर्ज मिलता है। इसके अलावा कर्ज के लिए कोई प्रोसेसिंग चार्ज भी नहीं लिया जाता है। मुद्रा योजना में कर्ज चुकाने की अवधि को 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
कारोबार के लिए 10 लाख रुपये तक कर्ज
कोई भी व्यक्ति जो अपना व्यवसाय शुरू करना चाहता है, वह इस योजना के तहत 10 लाख रुपये तक का कर्ज ले सकता है। इस योजना के तहत कोई निश्चित ब्याज दर नहीं हैं। कर्ज लेने वाले के कारोबार की प्रकृति और उससे जुड़े जोखिम के आधार पर भी ब्याज दर निर्भर करती है। आम तौर पर न्यूनतम ब्याज दर 12% है।
मुद्रा योजना की सफलता छोटे कारोबारियों को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है। इसका रोजगार-सृजन पर विविध और बेहद प्रभावपूर्ण असर पड़ा है। अब, सभी को इसका सीधा फायदा दिखाई दे रहा है। यह बात स्पष्ट है कि सरकार देश में सभी को नौकरियां नहीं दे सकती, लेकिन रोजगार के अवसर और धन उपलब्ध करवा करके सभी के विकास में योगदान सुनिश्चित कर सकती है।
मुद्रा योजना के तहत बांटे गए 13 करोड़ से अधिक लोन
मुद्रा योजना अप्रैल 2015 को लॉन्च हुई थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तीन वर्षों में अब तक 13 करोड़ से अधिक लोगों को मुद्रा लोन दिया जा चुका है। चालू वित्तीय वर्ष में 24 अगस्त, 2018 तक में मुद्रा योजना के तहत 75,954 करोड़ रुपए कर्ज की मंजूरी दी गई जिसमें 70,765 करोड़ रुपए कर्ज बांटे जा चुके हैं। वैसे ही वित्तीय वर्ष 2017-18 में 2,46,437 करोड़ रुपए जबकि 2016-17 में 1,75,312 करोड़ और 2015-16 में 1,32,954 करोड़ रुपए मुद्रा योजना के तहत कर्ज बांटे गए हैं।