Home विपक्ष विशेष मोदी विरोधियों को देश का ‘खलनायक’ मानने लगी है जनता!

मोदी विरोधियों को देश का ‘खलनायक’ मानने लगी है जनता!

मोदी विरोध की राजनीति से दूर हटते विपक्ष को किस बात का डर? रिपोर्ट

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विरोधी दल हर चुनाव में मोदी सरकार के काम-काज को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही कठघरे में खड़ा करते रहे हैं। लेकिन बीते कुछ महीनों में मोदी विरोधी कई नेताओं ने अपनी रणनीति बदली है। क्या कारण है कि मोदी विरोध में सबसे ज्यादा मुखर रहने वाले अरविंद केजरीवाल खामोश हैं? कांग्रेस पार्टी ने आखिर क्यों मोदी विरोध की रणनीति बदली है? क्या वजह है जो ममता बनर्जी पीएम मोदी को फेवर करती हैं? सवाल ये है कि मोदी के कट्टर विरोधी भी अब उन पर सीधे हमले से क्यों बच रहे हैं? क्या कारण है कि मोदी विरोधी अब एक-एक कर उनका नाम तक लेने से कतरा रहे हैं?

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राहुल गांधी: मोदी पर हमले से बचना है!
‘सूट-बूट की सरकार’, ‘फेयर एंड लवली सरकार’, ‘खून की दलाली’… जैसी बातें राहुल गांधी के शब्दकोश से निकली हैं। प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करने में राहुल गांधी ने कभी भी परहेज नहीं किया है। लेकिन अंग्रेजी अखबार मेल टुडे की रिपोर्ट के अनुसार राहुल गांधी अब अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार राहुल गांधी अब प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ सीधे हमले से बचेंगे। रिपोर्ट में बताया गया है कि वो अब बीजेपी को भी सीधे सीधे टारगेट नहीं करने वाले बल्कि अब उनके निशाने पर सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ होगा।

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इसलिए राहुल गांधी ने बदली रणनीति!
पीएम मोदी पर हमला नहीं करने की राहुल गांधी की रणनीति तो बीते मार्च में यूपी चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही देखने को मिल गई थी। उस समय उन्होंने त्रिस्तरीय रणनीति के तहत हर बात पर मोदी विरोध बंद करने, सकारात्मक विपक्ष के तौर पर दिखने और किसी एक धर्म के बजाय सर्वसमावेशी दिखने की प्राथमिकता पर बल देने की नीति बनाई थी। एक बार फिर गुजरात चुनाव से पहले पार्टी ने ये रणनीति बनाई है कि पीएम मोदी पर सीधा हमला न किया जाए वरना लेने के देने न पड़ जाएं। दरअसल कांग्रेस को भी यह भान हो चला है कि मोदी विरोध की राजनीति को देश ने चुनाव दर चुनाव नकार दिया है और कांग्रेस पार्टी अपना अस्तित्व बचाने को संघर्षरत है।

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केजरीवाल : खामोश रहना ही अच्छा है!
पिछले कई महीनों से सोशल मीडिया पर चर्चा है कि आखिर केजरीवाल को हो क्या गया है? बहुत दिनों से केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध कुछ नहीं कहा है? लोग सवाल पूछ रहे हैं कि – सब ठीक तो है ना? दरअसल अरविंद केजरीवाल ने पंजाब और गोवा चुनावों में मिली हार के बाद से ही पीएम मोदी के विरुद्ध बोलना कुछ कम कर दिया था। लेकिन एमसीडी चुनावों में मिली हार ने तो जैसे उनकी बोलती ही बंद कर दी।

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अस्तित्व खोने से बेहतर है जुबान ताला!
याद रखना जरूरी है कि ये वही केजरीवाल हैं जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक पर पीएम मोदी से सबूत मांगा था। ये वही विवादित मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री को ‘मनोरोगी’ से लेकर ‘कायर’ तक कहा है। इतना ही नहीं पीएम मोदी से इनकी अदावत इतनी थी कि मोदी समर्थकों को भी पागल कहते रहे हैं। लेकिन अब शायद केजरीवाल ने ये समझ लिया है कि मोदी विरोध में कहीं उनका राजनीतिक अस्तित्व ही खत्म न हो जाए… इसलिए खामोश रहने में ही उन्होंने अपनी भलाई समझी है।

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ममता बनर्जी: पीएम मोदी अच्छे हैं!
नोटबंदी से लेकर जीएसटी जैसे मसलों पर अगर किसी ने मोदी विरोध का सबसे बड़ा झंडा उठाया है तो वो पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी हैं। नोटबंदी पर तो केजरीवाल के साथ उन्होंने दिल्ली में भी विरोध जताया। उन्होंने लालू और नीतीश कुमार के समर्थन से पटना में रैली भी की। विपक्षी एकता में नयी जान फूंकने के लिए वो हमेशा तैयार भी रही हैं। ममता ने कांग्रेस और केजरीवाल को एक मंच पर लाने की भी कोशिश की है। लेकिन अब ममता के सुर बदल गए हैं। वे कहती हैं, “मैं प्रधानमंत्री मोदी का तो फेवर करती हूं, शाह का नहीं। मैं प्रधानमंत्री को दोष नहीं देती। मैं उन्हें दोष क्यों दूं? उनकी पार्टी को इसका ध्यान रखना चाहिए।” ममता के इस बयान के स्पष्ट मायने हैं कि वे भी राहुल की रणनीति को फॉलो कर रही हैं। मोदी के प्रति ममता के रुख से लोग हैरत में पड़ गए हैं।

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ममता को नंबर दो होने का खतरा !
दरअसल पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी नंबर वन तो है, लेकिन धीरे-धीरे ही सही बीजेपी अब दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है। शायद ममता बनर्जी को लगने लगा है कि मोदी विरोध की राजनीति से वह वर्ग उनसे दूर भी हो सकता है जो भावनात्मक तौर पर अपना मत देने का निर्णय करता है। यह भी एक तथ्य है कि पीएम मोदी ने गरीब कल्याणकारी कई नीतियां बनाईं हैं और उसे लागू भी किया है। लेकिन ममता ने अपनी अकड़ में अपने राज्य में लागू नहीं किया है। इसके अतिरिक्त मोदी विरोध में कई बार उनकी छवि हिंदू विरोधी और गरीब विरोधी बनती है। जाहिर है ममता को इस बात का अहसास है कि अगर जल्दी ही मोदी विरोध का अलाप नहीं छोड़ा तो बंगाल में नंबर वन से नंबर टू आते देर नहीं लगेगी।

पीएम मोदी बन गए हैं इंडिया के ब्रांड!
ये सवाल पूछा जा सकता है कि आखिर क्या बात है जो एक-एक करके सारे विरोधी धड़ाधड़ पीएम मोदी के फैन होते जा रहे हैं। दरअसल पीएम मोदी ने जिस तरह से राजनीति शुरू की वो परम्परागत राजनीति से अलग है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ की अवधारणा के साथ तीन साल बीत गए और भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा। मेरा देश बदल रहा है… के नारे के साथ देश की जनता पीएम मोदी के साथ कदमताल करने को तैयार है। अब वे देश के सवा सौ करोड़ लोगों की उम्मीद और भरोसे का प्रतीक हैं। जाहिर तौर पर विरोधियों को भी अब ये भी समझ आने लगा है कि उन सभी के मुकाबले नरेंद्र मोदी का संदेश लोगों तक सीधा पहुंच रहा है। ऐसे में क्या विपक्षी नेताओं को अब ये भी समझ आने लगा है कि मोदी को टारगेट करना जनता की नजर में खलनायक बन जाना होगा!

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