Home चुनावी हलचल ‘मोदी सुनामी’ में सभी समीकरण ध्वस्त

‘मोदी सुनामी’ में सभी समीकरण ध्वस्त

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पूरा यूपी भगवा रंग से सराबोर है। मोदी की अपील पर केसरिया होली के लिए जनता खुलकर मैदान में आ चुकी है। 2019 का सेमीफाइनल यूपी की जनता ने पीएम मोदी की झोली में डाल दिया है। दरअसल ये जीत इसलिए ही बड़ी नहीं है कि इसने 1991 में जीती गयी सीट के रिकॉर्ड तोड़ दिए। ये जीत इसलिए ऐतिहासिक है कि इसने लोकसभा चुनाव में मिले वोट शेयर को भी मैच कर लिया है। यानी यूपी में 1991 के राम लहर से भी तेज मोदी लहर चली। 

बीजेपी ने रचा इतिहास
1991 में मंदिर आंदोलन के वक्त जनता के जबरदस्त समर्थन के सहारे यूपी में सरकार बनाने वाली बीजेपी को उस वक्त 221 सीटें मिली थीं। उस समय कांग्रेस को महज 46 सीटें ही मिली थीं और बीजेपी को 31.76% वोट मिले थे। जबकि 1991 के चुनाव 419 सीटों पर हुए थे। लेकिन इस बार 403 सीटों पर ये आंकड़ा तीन सौ तेइस हो गया है।

चल रही है ‘मोदी सुनामी’ 
लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 80 में से 73 सीटें जीती थीं। अगर इसे विधानसभा सीटों के लिहाज से देखा जाए तो 43 प्रतिशत वोट के साथ सीटों की संख्या 337 होती। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी 43 प्रतिशत वोटों के साथ बीजेपी और सहयोगियों ने 325 सीटें जीत ली हैं। यानी ये कह सकते हैं कि न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कायम है बल्कि मोदी सुनामी चल रही है।

मुस्लिम बहुल इलाकों में भी लहराया भगवा
राज्य के उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम चारों दिशाओं में बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की है। खास तौर पश्चिमी यूपी के वे इलाके जिसे मुस्लिम बहुल माने जाते हैं, वहां प्रचंड जीत मिली है। मुस्लिम बहुल कुल 134 सीटों में से बीजेपी ने करीब 104 सीटों पर जीत दर्ज की है। यहां ये उल्लेख करना जरूरी है कि देवबंद सीट जहां 73 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है वहां भी बीजेपी के कुंवर ब्रिजेश सिंह ने जीत दर्ज की है। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी को देवबंद में आखिरी बार जीत 1996 में मिली थी जब पार्टी के सुखबीर सिंह पुंडीर ने जीत दर्ज की थी।

31 जिलों में बीजेपी ने जीतीं सभी सीटें
यूपी के 75 में से 31 जिलों में बीजेपी ने सभी सीटें जीत लीं हैं। गाजियाबाद पांच में पांच, कानपुर देहात चार में चार, जालौन तीन में तीन, ललितपुर दो में दो, हमीरपुर दो में दो, फतेहपुर छह में छह, फैजाबाद पांच में पांच, बलरामपुर चार में चार, गोंडा सात में सात, देवरिया सात में सात, सोनभद्र चार में चार, नोएडा तीन में तीन, बुलंदशहर सात में सात, अलीगढ़ सात में सात, मुजफ्फरनगर छह में छह, लखीमपुर खीरी आठ में आठ, पीलीभीत चार में चार, झांसी चार में चार, आगरा नौ में नौ, मिर्जापुर पांच में पांच, ओरैया तीन में तीन, कासगंज तीन में तीन, एटा चार में चार, महोबा दो में दो, चित्रकूट दो में दो, बांदा चार में चार, कौशांबी तीन में तीन, बस्ती पांच में पांच, संत कबीरनगर तीन में तीन, सिद्धार्थनगर पांच में पांच, कुशीनगर सात में सात सीटें बीजेपी ने जीतीं हैं।


मोदी और शाह की जोड़ी का कमाल
यूपी चुनाव की जीत मोदी-शाह की जोड़ी की जीत मानी जा रही है। मोदी की लीडरशिप और अमित शाह के माइक्रो मैनेजमेंट ने इतनी बड़ी जीत दिलाई है। जाहिर है ये जीत दोनों के लिए मनोबल और ज्यादा बढ़ाने वाली साबित होगी। इन चुनावों में भी प्रचार का केंद्र बिंदु खुद पीएम मोदी ही रहे हैं। जाहिर है कि उसका क्रेडिट उन्हें ही मिलेगा। इसी तरह से शाह को भी पार्टी के अब तक के सबसे सफल अध्यक्ष का खिताब मिल गया है।

तिनके की तरह उड़ गए विरोधी
चुनाव के बाद जो प्रचंड मोदी लहर दिख रही है, वो पीएम मोदी की हर सभा में भी दिख रहा था, लेकिन विरोधी मानने को तैयार नहीं थे। समाजवादी-और कांग्रेस पार्टी से तकरीबन 12 फीसदी वोट बीजेपी ने छीन लिए। बीएसपी से भी करीब 5 फीसदी वोट बीजेपी ने छीना है।

वोट प्रतिशत में भी धोबी पछाड़
2012 में पार्टी ने 398 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 47 को जीत और 229 की जमानत जब्त हो गयी थी। यानी पार्टी के करीब 57 प्रतिशत उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके थे। भाजपा को कुल मतदान के 15 प्रतिशत वोट मिले थे। अगर वोट प्रतिशत को देखें तो बीजेपी को 1991 में 37 प्रतिशत, 1996 में 32.51 प्रतिशत और 2002 में 20.12 प्रतिशत मिले थे। जबकि 2007 में सिर्फ 16.97 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं इस बार 2012 के 15 प्रतिशत वोट से बढ़कर ये 43 प्रतिशत तक जा पहुंचा है।

विकास और विश्वास की जीत

प्रधानमंत्री मोदी ने विकास के हर पायदान पर पिछड़े यूपी में विकास के मुद्दे को मुद्दा बनाया। इस पर यूपी के लोगों ने खुलकर मतदान किया और बीजेपी की जीत सुनिश्चित कर दी। जाति-जमात की राजनीति को ठेंगा दिखाते हुए लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास जताया। मोदी की लीडरशिप के साथ अमित शाह के माइक्रो मैनेजमेंट की भी इस जीत में बड़ी भूमिका मानी जा रही है ।

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