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मोदी सरकार ने दी अल्पसंख्यक छात्रों को बड़ी सौगात

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नरेन्द्र मोदी सरकार की तमाम नीतियों में मुस्लिम एवं अल्पसंख्यक वर्ग के हितों का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर काम कर रही है। इसी सोच के साथ मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और प्रतिभा के आधार पर दी जाने वाली छात्रवृत्तियों की अवधि दो साल के लिए बढ़ा दी है। अब इन छात्रवृत्तियों की अवधि 2017-18 से बढ़ाकर 2019-20 कर दी गयी है। इससे हर साल 70 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति मिलने की उम्मीद है और इसपर 5,338.32 करोड़ रुपये खर्च होगा।

मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल में एक करोड़ 66 लाख अल्पसंख्यक बच्चों को छात्रवृत्तियां दी जा चुकी हैं। इनमें ज्यादातर बच्चे मुस्लिम समुदायों से हैं जबकि छात्रवृत्ति प्राप्त करने वालों में आधी लड़कियां हैं। ये योजनाएं राष्‍ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) के माध्‍यम से लागू की जाएंगी और छात्रवृतियों का वितरण प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण (डीबीपी) के रूप में किया जाएगा। छात्रवृत्तियां उन छात्रों को दी जाएंगी, जिन्‍हें पहले की अंतिम परीक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक प्राप्‍त नहीं हुए हैं। इसका लाभ पाने के लिए विद्यार्थी सरकारी स्‍कूलों/संस्‍थानों या मान्‍यता प्राप्‍त निजी स्‍कूलों/संस्‍थानों में अध्‍ययनरत होना चाहिए।

आइए एक नजर डालते हैं मोदी सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के विकास के लिए उठाए गए 10 कदमों पर-

1. सीखो और कमाओ योजना
अल्पसंख्यक समुदाय के रोजगार के लिए सरकार ‘सीखो और कमाओ’ योजना लेकर आई। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं की योग्यता, बाजार में संभावना को देखते हुए उनकी कौशल क्षमता को और बढ़ाना है। ताकि अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं को बेहतर रोजगार प्राप्त हो सके। इस योजना के तहत कम से कम 75 प्रतिशत प्रशिक्षुओं का रोजगार सुनिश्चित किया गया है और इसमें से कम से कम 50 प्रतिशत नियोजन संगठित क्षेत्र में होगा। योजना का कार्यान्वयन केरल सहित पूरे देश में चुनिंदा परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों (पीआईएज) के माध्यम से किया जाता है। पिछले तीन वर्षों के दौरान अकेले केरल से 1700 अल्पसंख्यक युवाओं को पीआईएज ने प्रशिक्षित किया है।

2. प्रोग्रेस पंचायत योजना
साल 2016 को हरियाणा के मेवात जिले से ‘प्रोग्रेस पंचायत’ की शुरुआत हुई। हरियाणा के अलावा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य कई राज्यों में यह आयोजित हुई। प्रोगेस पंचायत के माध्यम से केंद्र सरकार की योजनाओं की जानकारी पंचायत के लोगों तक पहुंचाई जाती है।

3. उस्ताद योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अल्पसंख्यकों की पारंपरिक कला और समुदाय से संबंधित हस्तकला को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास तथा प्रशिक्षण योजना ‘उस्ताद’[अपग्रेडिंग द स्किल्स एंड ट्रेनिंग ट्रेडिशनल आर्टस/क्राफ्ट्स फॉर डेवलपमेंट] शुरू की गई। इस योजना उद्देश्य अल्पसंख्यक कामगारों को बड़े बाजार नेटवर्क का हिस्सा बनाना है। सरकार ने हस्तशिल्पियों, पारंपरिक दस्तकारों के हितों की रक्षा के लिए एवं उनकी समस्याओं को समझते हुए व्यावहारिक धरातल पर कई कदम उठाए। इस योजना के लक्ष्यों में एक उद्देश्‍य यह भी रहा कि विभिन्‍न पारंपरिक कलाओं में संलग्‍न अल्‍पसंख्‍यक युवाओं को इस कला में दक्ष-प्रवीण दस्‍तकारों और हस्‍तशिल्पियों द्वारा अतिरिक्त प्रशिक्षण दिलाया जा सके। डिजाइन हस्‍तक्षेप, उत्‍पाद श्रेणी विकास, पैकेजिंग, प्रदर्शनी जैसी गतिविधियों के लिए राष्‍ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनआईएफटी), राष्‍ट्रीय डिजाइन संस्‍थान (एनआईडी) और भारतीय पैकेजिंग संस्‍थान (आईआईपी) की सहायता लेना भी इस योजना का हिस्सा रहा। इसके अलावा बिक्री बढ़ाने के लिए इ-बाजार पोर्टल और ब्रांड निर्माण के लिए इन संस्‍थानों का सहयोग आपेक्षित रहा। राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार के साथ सम्‍पर्क स्‍थापित करने के लिए इ-वाणिज्‍य पोर्टल के साथ समन्वय स्थापित किया गया।

4. यूएसटीटीएडी – परंपरागत कलाओं के विकास और प्रशिक्षण का उन्नयन
अल्पसंख्यकों की परंपरागत कलाओं के संरक्षण के लिए 14 मई, 2015 को यूएसटीटीएडी योजना शुरू की गई। इसके तहत मास्टर शिल्पियों और कर्मकारों के परंपरागत कौशल को state of the art बनाना तथा क्षमता निर्माण करना, अल्पसंख्यकों की चिन्हित परंपरागत कलाओं\शिल्पों का प्रलेखन, परंपरागत कौशलों के मानक निर्धारित करना, मास्टर शिल्पियों के माध्यम से पहचान की गयी विभिन्न परंपरागत कलाओं/शिल्पों में अल्पसंख्यक युवाओं को प्रशिक्षण देना तथा राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय बाजार संपर्क बढ़ाना है।

5. उड़ान योजना
अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग उपलब्ध कराने के लिए ‘नई उड़ान’ योजना लागू की गई। इस योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार के ग्रुप ‘A’, ‘B’, ‘C’ सहित बाकी सभी समकक्ष पदों के लिए तैयारी भी इस योजना में शामिल है। स्कीम के अंतर्गत लोकल छात्रों को 1,500 रुपये और घर से बाहर रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को 3,000 रुपये दिए जाते हैं।

6. नए शिक्षा और कौशल विकास केंद्रों की स्थापना
देशभर में 100 गरीब नवाज कौशल विकास केंद्र खोले गए जहां अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं के लिए विभिन्न रोजगार आधारित पाठ्यक्रम कराए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक आबादी बहुल इलाकों में गुरुकुल की तरह 39 आवासीय विद्यालय खोले गए हैं। साथ ही, सद्भाव मंडप बनवाए गए हैं, जिसके तहत 809 विद्यालय भवन, 10 डिग्री कॉलेज, 371 छात्रावास, 1392 शौचालयों व पेयजल सुविधाओं के अलावा 53 आईटीआई और बहुउद्देशीय समुदाय केंद्रों का निर्माण कराया गया है।

7. थ्री ई – एजुकेशन, इम्पलायमेंट एवे इम्पावरमेंट
मोदी सरकार का नारा है सबका साथ, सबका विकास। इसी मंत्र को साकार करने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने समावेशी विकास की कई नीतियां और योजनाएं धरातल पर उतारी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों की बुनियादी विकास की नीतियों को ‘3ई’ के जरिये गति प्रदान की है। एजुकेशन, इम्पलायमेंट एवं इमपावरमेंट- को आधार बनाकर विकास की मुख्यधारा में अल्पसंख्यक समुदायों के गरीबों, पिछड़ों तथा निर्बल वर्गों को शामिल करने की सोच के साथ कई योजनाएं आगे बढ़ रहीं हैं।

8. नई रोशनी योजना
अल्‍पसंख्‍यक महिलाओं की नेतृत्‍व क्षमता को विकसित करने हेतु एक विशेष योजना नई रोशनी को क्रियान्वित किया गया, जिससे कि सरकारी प्रणाली, बैंकों और अन्‍य माध्‍यमों के साथ समन्वयन स्थापित करने के लिए आवश्यक जानकारी उनके पास उपलब्ध हो। यह प्रयास उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी कारगर साबित होता। वर्ष 2014-15 और 2015-16 के दौरान अल्‍पसंख्‍यक मामलों के अंतर्गत मंत्रालय ने 28.98 करोड़ रुपए खर्च करके 24 राज्‍यों की 1.30 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया। अभी हाल में नीति आयोग ने स्‍वतंत्र रूप से योजना के कार्यान्‍वयन का मूल्‍यांकन किया है। सरकार के इस प्रयास को बड़े स्तर पर सहारना प्राप्त हुई।

9. मुस्लिम लड़कियों के लिए शादी शगुन योजना
अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को उच्च शिक्षा के मकसद से प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार उन अल्पसंख्यक लड़कियों को 51,000 रुपये की राशि बतौर ‘शादी शगुन’ देगी जो स्नातक की पढ़ाई पूरी करेंगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था ‘मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन’ (एमएईएफ) ने मुस्लिम लड़कियों की मदद के लिए यह कदम उठाने का फैसला किया। एमएईएफ का कहना है कि इस योजना का मकसद सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम लड़कियों और उनके अभिभावकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना है कि लड़कियां विश्वविद्यालय या कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी कर सकें। इस कदम को अभी आरंभिक तौर पर ‘शादी शगुन’ नाम दिया गया है।

10. टॉयलेट, टिफिन और टीचर
मुख्यधारा की शिक्षा देने वाले मदरसों की मदद करने और पारंपरिक शिक्षा केंद्र को आधुनिक बनाने के लिए सरकार थ्री टी योजना लागू की है। थ्री टी यानी टॉयलेट, टिफिन और टीचर। इस वित्तीय वर्ष में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने देशभर के मदरसों में एक लाख से ज्यादा शौचालय बनवाने का लक्ष्य रखा है। मुख्यधारा की शिक्षा देने वाले मदरसों में बच्चों को ‘मिड डे मील’ या ‘मध्याह्न भोजन योजना’ शुरू कर दिया है। इसके अलावा मंत्रालय ने मदरसा टीचरों के लिए ‘अपग्रेड कौशल योजना’ भी शुरू करने का फैसला किया है, इससे शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्हें समय की जरूरतों के हिसाब से प्रशिक्षित भी किया जा सके।

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