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आधी आबादी के साथ खड़े हैं प्रधानमंत्री मोदी, योजनाओं ने संवारा महिलाओं का भविष्य

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार महिला सशक्तीकरण, महिला अधिकारों की रक्षा और महिला सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। देश की आधी आबादी यानी महिला शक्ति के साथ खड़ी मोदी सरकार लगातार उनके सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान में लगी है। इसकी बानगी सरकार की योजनाओं और उसके निर्णयों में देखने को मिलती है। सरकार संसद से सड़क तक महिलाओें के साथ खड़ी नजर आती है। चाहे बात मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के मुद्दे पर सदियों से चली आ रही कुप्रथा से मुक्ति दिलाने की हो, या फिर हज जाने के लिए बगैर ‘महरम’ के मुस्लिम महिलाओं के जाने का मामला, सभी फैसलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई पड़ती है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार बगैर किसी भेदभाव के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान से लेकर सुकन्या समृद्धि योजना, मातृत्व लाभ, मातृत्व अवकाश योजनाओं के जरिए महिलाओं को उनका हक दिलाने का काम कर रही है।

अकेली महिला की हज यात्रा के लिए ‘महरम’ (पुरुष अभिभावक) की अनिवार्यता खत्म

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं से जुड़ी ऐसी सभी समस्याओं को खत्म करने में लगे हैं, जिससे उनके अस्तित्व को चुनौती मिलती है या फिर जो उनके मौलिक अधिकारों का हनन करती हैं। 31 दिसंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल के आखिरी ‘मन की बात’ में मुस्लिम महिलाओं को बहुत ही बड़ी खुशखबरी दी। प्रधानमंत्री ने बताया है कि अब भारतीय मुस्लिम महिलाएं बिना ‘महरम’ के हज यात्रा पर जा सकती हैं। गौरतलब है कि आजादी के 70 वर्षों बाद प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर भारत की मुस्लिम महिलाओं को अकेले भी हज यात्रा पर जाने का हक मिला है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि उनकी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के इस हक पर ध्यान दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि, “70 साल से चली आ रही परंपरा को नष्ट कर के इस रेस्ट्रिक्शन को हमने हटा दिया। आज मुस्लिम महिलाएं, ‘महरम’ के बिना हज के लिए जा सकती हैं और मुझे खुशी है कि इस बार लगभग 1300 मुस्लिम महिलाएं ‘महरम’ के बिना हज जाने के लिए अप्लाई कर चुकी हैं और देश के अलग-अलग भागों से; केरल से ले करके उत्तर तक महिलाओं ने बढ़-चढ़ करके हज-यात्रा करने की इच्छा जाहिर की है।” इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि भारत की विकास यात्रा, नारी-शक्ति के बल पर, उनकी प्रतिभा के भरोसे आगे बढ़ी है और आगे बढ़ती रहेगी। इसलिए हमारा निरंतर प्रयास होना चाहिए कि महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर और समान अधिकार मिले।

तीन तलाक की ‘पापी प्रथा’ से मुक्ति दिलाने का बिल लोकसभा में पास

मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से 28 दिसंबर को विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकार सुरक्षित करने से संबंधित ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा से ध्वनिमत से पारित हो गया। अब इसे कानून का स्वरूप लेने में सिर्फ दो कदम की दूरी बची है, पहला कदम राज्यसभा में पारित होना और दूसरा कदम राष्ट्रपति से मंजूरी। प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आने के बाद से ही सदियों से चली आ रही इस कुप्रथा से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलाने के प्रयास में लगे हुए थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी मोदी सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ जोरदार पैरवी की थी, और उसी का नतीजा था कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने बहुमत के साथ इस प्रथा को गैरकानूनी और इस्लाम विरोधी घोषित किया था। उसके बाद से ही केंद्र सरकार इसे कानूनी जामा पहनाने की कोशिश कर रही थी। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल ने उन्हें देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं का शुभचिंतक बना दिया है। प्रधानमंत्री ने बगैर किसी भेदभाव के, मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को उनका हक दिलाने का काम किया है। इस बिल के पास होने के बाद मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का हक मिलेगा और तलाक की स्थित में वो अपने पति पर अपने तथा नाबालिग बच्चों के गुजारा भत्ता का दावा ठोक सकेंगी। इतना ही नहीं इस गैरकानूनीकृत्य पर पति को तीन वर्ष की जेल का भी प्रावधान है।

इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार में ऐसी तमाम योजनाएं बना चुके हैं, जिनके बल पर आज देश की महिलाओं खुद का आत्मनिर्भर और सुरक्षित महसूस कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल ने महिलाओं में विश्वास भरने के साथ ही भरोसा भी उत्पन्न किया है। प्रधानमंत्री महिलाओं को यह यकीन दिलाने में भी सफल रहे हैं कि सम्मान और विकास के बारे में सोचने और कुछ कर गुजरने वाला एक व्यक्ति सरकारी तंत्र के उच्च शिखर पर बैठा है जो नारी शक्ति के साथ खड़ा है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
सरकार ने पूरे देश में महिला भ्रूण हत्या, लिंग भेद की रोकथाम और महिला शिक्षा के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय के समन्वित प्रयासों से चलाए गए इस अभियान के बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए। योजना को पहले वर्ष में एक सौ जिलों में शुरू की गई थी और पहले ही साल के अंत तक ही 58 जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात में वृद्धि दर्ज की गई। दूसरे वर्ष में योजना 161 जिलों में शुरू की गई, जिसमें से 104 जिलों में जन्म के समय लिंगानुपात में बढ़ोत्तरी हुई।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
भारत सरकार की इस महत्त्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य पांच करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों की महिलाओं को प्रदूषण युक्त चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाना और स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना है। केवल गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को एलपीजी गैस कनेक्शन और चूल्हा मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा। महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के स्वास्थ्य के संदर्भ में इस योजना को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मातृत्व अवकाश, मातृत्व लाभ
वर्तमान सरकार ने नया मातृत्व लाभ संशोधित कानून एक अप्रैल 2017 से लागू कर दिया है। संशोधित कानून के तहत सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए वैतनिक मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह कर दी है। इसके तहत 50 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाले संस्थान में एक तय दूरी पर क्रेच सुविधा मुहैया कराना अनिवार्य है। महिलाओं को मातृत्व अवकाश के समय घर से भी काम करने की छूट है। मातृत्‍व लाभ कार्यक्रम के 1 जनवरी 2017 से लागू है। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्‍म के लिए तीन किस्‍तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्‍साहन दिया जाता है।

महिला उद्यमिता और महिला कौशल को बढ़ावा
स्टैंड-अप इंडिया के अंतर्गत महिलाओं को अपना व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए हर बैंक शाखा को 10 लाख से लेकर 1 करोड़ तक के ऋण कम से कम एक महिला को उपलब्ध कराने का नियम बनाया गया है। वहीं प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत महिलाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए 11 लाख से अधिक महिलाओं को अलग-अलग तरह के हुनर में प्रशिक्षित किया गया है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना महिला सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा जरिया बन चुकी है। इस योजना के लाभार्थियों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। 

सुकन्या समृद्धि योजना
केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से देश की बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने का कार्य किया है। योजना के अंतर्गत 0-10 साल की कन्याओं के खाते डाकघर में खोले जाएंगे। इन खातों में जमा राशि पर 8.1 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज दिया जाएगा। सुकन्या समृद्धि योजना अभिभावकों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। इस योजना के तहत अभिभावकों को एक हजार रुपया प्रतिमाह 14 वर्ष तक जमा करना होगा।21 वर्ष के बाद खाता परिपक्व होने पर उन्हें 6,41,092 की धनराशि वापस मिलेगी। आकलन के अनुसार 14 वर्ष में खाते में जमा होंगे 1.68 लाख रुपये और 21 वर्ष बाद 6,41,092 रुपये की वापसी होगी। योजना के माध्यम से सरकार ने बेटियों की शिक्षा और समृद्धि दोनों को सुनिश्चित किया है।

मुद्रा योजना में महिलाओं की भागीदारी

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना महिला सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा जरिया बन चुकी है। इस योजना के तहत 29 दिसंबर, 2017 तक 10,17,24,494 लोग लाभ ले चुके हैं, इनमें 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। यानि सात करोड़ से अधिक महिलाओं ने इसका लाभ उठाया है।

महिलाओं के पासपोर्ट बनाना आसान

विदेश मंत्रालय ने महिलाओं को विदेश जाने के लिए पासपोर्ट बनाने के काम को आसान कर दिया गया, इसके लिए शादी या तलाक के सर्टिफिकेट की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई अब वे अपने पिता या मां का नाम लिख सकती हैं। पहले महिलाओं को पासपोर्ट बनवाने में खासी दिक्कत आती थी, लेकिन इस बदलाव के बाद महिलाओं के लिए पासपोर्ट बनवाना आसान हो गया है।

महिला जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षण
इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंचायतों की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की क्षमता, शासन संचालन और उनका कौशल बढ़ाना है, ताकि वो गांवों का प्रशासन बेहतर तरीके से चला सकें। पंचायती संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को कई बार काम में मुश्किलें पेश आती हैं। इसलिए महिला सरपंचों तथा निचले स्तर पर महिला प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने के लिए देशव्यापी कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। इसका सीधा लाभ शासन-प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी के रूप में मिल रहा है। 

यौन उत्पीड़न से निवारण के लिए ई-प्लेटफॉर्म
कार्यालयों में महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाएं रोकने के लिए ई-प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया है। इस ई-प्लेटफॉर्म की सुविधा के माध्यम से केंद्र सरकार की महिला कर्मचारी ऐसे मामलों में ऑनलाइन ही शिकायत दर्ज करा सकेंगी। केंद्र सरकार में करीब 30 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं। 2011 के जनगणना के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों में महिलाओं का प्रतिशत 10.93 है।

मोबाइल में पैनिक बटन और GPS
किसी भी आपात स्थिति से बचने के लिए मोबाइल में जीपीएस सिस्टम के साथ-साथ पैनिक बटन शुरू किया गया है। ताकि ऐसी स्थिति में महिला अपने परिजनों या पुलिस तक अपना संदेश पहुंचा सके। दूरसंचार विभाग ने ‘मोबाइल फोन हैंडसेट में पैनिक बटन और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम नियम 2016’ को 22 अप्रैल, 2016 को भारतीय वायरलेस टेलीग्राफ एक्ट 1933 की धारा 10 के तहत जारी कर दिया।

इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश का महत्वपूर्ण संसाधन मानते हैं। ज्ञान-विज्ञान, खेलकूद, सूचना-प्रौद्योगिकी, कला-संगीत से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिलाओं को प्रधानमंत्री अपनी कई महत्वपूर्ण योजना से जोड़ चुके हैं। कामकाजी से लेकर ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं के कल्याण और उनके हितों की रक्षा के लिए सरकार ने सतत प्रयास किये हैं। प्रधानमंत्री स्वयं किसी भी क्षेत्र में कुशल नेतृत्व या उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली महिलाओं की सराहना करके महिलाओं को प्रोत्साहित करने का कार्य करते हैं।

देश को मिला महिला नेतृत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में महिला नेताओं को महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी देकर महिला सशक्तीकरण को एक नया मुकाम प्रदान किया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी, पेयजल स्वच्छता मंत्री उमा भारती, महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल को महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी देकर देश के नेतृत्व में महिलाओं को महत्वपूर्ण साझीदार बनाया है। पहली बार कैबिनेट सीएसएस में दो महिला मंत्री शामिल हुईं हैं। दरअसल सीसीएस में प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री होते हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बाद अब रक्षा मंत्री के रूप में निर्मला सीतारमण इस महत्वपूर्ण समिति का हिस्सा बन गई हैं। वैसे भी देश को पहली बार पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री मिली है। जिससे महिला सशक्तीकरण को नई दिशा मिलेगी। 

 

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