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मोदी राज में अच्छे दिन: इस साल 31 मार्च तक गांवों में बनेंगे 51 लाख मकान

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 2022 तक देश के हर नागरिक के सिर पर छत होने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी एक विजन के साथ काम कर रहे हैं। इसी के तहत प्रधानमंत्री ने 20 नवंबर, 2016 को आगरा से प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत अगले साल 31 मार्च तक एक करोड़ नये घरों का निर्माण किया जाना है। इनमें से 51 लाख मकान इस साल 31 मार्च तक बनाए जाने हैं। इसके लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ मिलकर कई कदम उठा रहा है और उम्मीद है कि तय समय से पहले ही लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा।

31 मार्च, 2018 तक 51 लाख आवासों के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 56.90 लाख लाभार्थियों को मकानों की स्वीकृति दी गई है। 51.39 लाख लाभार्थियों को पहली किस्त मिल चुकी है। 31.03 लाख लाभार्थियों ने अपने आवासों की छत बना ली है और 16.05 लाख लाभार्थियों का गृह निर्माण लगभग समाप्ति की ओर है। छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के लाभार्थियों की संख्या सर्वाधिक है। इन राज्यों के लोगों ने निर्धारित समयसीमा के भीतर अपने आवासों का निर्माण किया है।

शहरी आवास योजना में भी तेजी से काम जारी
2022 तक सभी के लिए मकान सुनिश्चित करने के लक्ष्य को लेकर जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में करीब 1.2 करोड़ आवास मंजूर किया जाना है। अब तक महज दो साल में ही 24 लाख किफायती घरों के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है और इसके लिए 11 हजार 412 करोड़ रुपये जारी भी कर दिये गए हैं। इतना ही नहीं पिछले दो सालों में ही करीब 2.99 लाख घरों बन कर भी तैयार हो गए हैं।

शहरी आवास निर्माण की दोगुनी रफ्तार
प्रधानमंत्री आवास योजना(शहरी) की खास बात इसकी तेजी है। दरअसल पूर्ववर्ती सरकारों के तहत इसी तरह की योजना JNNURM-Jawaharlal Nehru National Urban Renewal Mission थी, लेकिन इसकी जटिल प्रक्रियाओं और सरकारों की लापरवाही के कारण इसकी धीमी गति से लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा था। JNNURM के तहत दस सालों में महज 12.4 घरों की मंजूरी दी गई थी। इतना ही नहीं 2005-14 के दौरान इसके लिए महज 17, 400 करोड़ रुपये ही रिलीज किये जा सके थे। जाहिर है PMAY(U)लगभग JNNURM के दोगुनी से भी तेज गति से चल रही है।

37 हजार करोड़ खर्च करेगा केंद्र
शहरी क्षेत्र के लिए लागू प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र सरकार 37, 232 करोड़ रुपये सहायता देगी। आंध्र के 13.77 घरों के मंजूरी दी गई है और 4.20 लाख घरों के बनाने के प्रस्ताव को जमा भी कर दिया गया है। वहीं तमिलनाडु ने 3.32 लाख और गुजरात के 1.38 लाख मध्य प्रदेश के 2.83 लाख घरों को मंजूरी दी है। त्रिपुरा ने 50 हजार का प्रस्ताव भेजा था और 45,901 घरों को मंजूरी दे दी गई है। महाराष्ट्र, यूपी जैसे प्रदेशों में रफ्तार कम है लेकिन वहां भी तेजी लाने के प्रयास जारी है।

इस वित्त वर्ष में बनेंगे 12 लाख मकान
केंद्र सरकार ने वित्‍त वर्ष 2017-18 में शहरों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 12 लाख मकान बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। पीएमएवाई के तहत केंद्र का 2018-19 में 26 लाख, 2019-20 में 26 लाख, 2020-21 में 30 लाख और 2021-22 में 29.80 लाख मकान बनाने का लक्ष्य है। जमीन अधिग्रण की अड़चनों की वजह से योजना रफ्तार नहीं पकड़ सकी थी, लेकिन अब 18.76 लाख मकानों के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है और 13.06 लाख मकानों के निर्माण के लिए धन भी जारी किया गया है।

सस्ते मकान क्षेत्र में जबरदस्त तेजी
प्रधानमंत्री आवास योजना पीपीपी मोड के आधार पर चल रही है। ऐसा अनुमान है कि इस कारण सस्ते आवासीय क्षेत्र में जबरदस्त तेजी आने वाली है। कई हाउसिंग कंपनियों के अनुसार ग्राहकों का जबरदस्त आकर्षण दिख रहा है। पीएमएवाई के तहत केंद्र सरकार ने मध्यम आयवर्ग के लोगों के लिए दो नई योजनाएं शुरू की। इन योजनाओं के तहत 9 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज में 4 फीसदी और 12 लाख रुपये के आवास ऋण पर ब्याज में 3 फीसदी छूट दी गई है।

पहले लक्जरी पर था जोर अब सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट ज्यादा
यूपीए सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का बोलबाला था। भ्रष्टाचारियों के पास अफरात में कालाधन था, और उसे खपाने का सबसे आसान जरिया प्रॉपर्टी बाजार था। यही वजह है कि उस वक्त बिल्डर्स और डेवलपर्स का जोर लक्जरी मकानों के प्रोजेक्ट लांच करने पर होता था। प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी, जीएसटी जैसे कई कदम उठाए। मोदी सरकार ने रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) भी लागू किया। इन्हीं कदमों का असर है कि देश में अब सस्ते मकानों के प्रोजेक्ट ज्यादा बन रहे हैं।

भ्रष्टाचार पर लगाम से सस्ते हुए घर
नोटबंदी और जीएसटी के बाद प्रॉपर्टी बाजार में कालाधन लगना बंद हो गया है। इसके साथ ही रियल इस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) लागू होने के बाद बिल्डरों की मनमानी पर भी रोक लगी है। अब बिल्डर एक प्रोजेक्ट का पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगा सकते हैं, साथ ही खरीददारों से किए गए वादों और समयसीमा से भी नहीं मुकर सकते। इससे जहां नए प्रोजेक्ट के लांच होने का सिलसिला थमा है, वहीं वर्तमाम में बगैर बिके फ्लैटों की कीमतें भी धीर-धीरे कम हो रही है।

मोदी राज में कम हुई होम लोन की दरें
मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान प्रॉपर्टी तो महंगी थी ही, होम लोन की दरें भी बेहद ज्यादा थीं। मोदी सरकार के कार्यकाल में आर्थिक मोर्चे पर लगातार काम हो रहा है, बैंकों की स्थिति सुधर रही है, यही वजह है कि होमलोन की दरें भी कम हुई हैं। यूपीए सरकार के दौरान होम लोन की दरें 10 प्रतिशत के आसपास थीं, वहीं अब होम लोन की ब्याज दर 8.5 प्रतिशत से भी कम है।

PMAY ने बढ़ाए रोजगार के अवसर
दो साल पहले शुरू की गयी प्रधानमंत्री आवास योजना ने अब तक 1.2 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में निवेश किये गए हर 1 लाख रुपये पर 2.69 रोजगार लोगों को मिलते हैं। लगातार प्रयासों से यह आंकड़ा 4.06 तक पंहुचा जा सकता है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक 1,10,753 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। अनुमान है कि इस पूरी योजना के तहत लगभग 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है।

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