Home विचार कालेधन पर रोक और क्लीन मनी के लिए सरकार के कदम

कालेधन पर रोक और क्लीन मनी के लिए सरकार के कदम

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सरकार कालेधन पर रोक लगाने के लिए कई मोर्चों पर एक साथ काम करने में जुटी है। आयकर विभाग दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहा है। कालेधन पर रोक लगाने के लिए ही सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी जैसे साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय लिए। इसके बाद भी सरकार लगातार कालेधन को खंगालने में जुटी हुई है। सरकार ने 2 लाख 9 हजार फर्जी कंपनियों का पता लगाकर उन पर कार्रवाई की है। सरकार देश के भीतर और बाहर कालेधन के मामले पर पूरी तरह से सक्रिय है। कालेधन पर सरकार स्विटजरलैंड के सहयोग के साथ आगे बढ़ रही है। इस सिलसिले में ताजा हमला बेनामी संपत्ति पर किया गया है।

क्लीन मनी अभियान
आयकर विभाग क्लीन मनी अभियान के अंतर्गत नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में जमा बेनामी संपत्ति को खंगालने में जुटा हुआ है। इसके साथ ही आयकर विभाग अब 8 नवंबर के पहले और वित्त वर्ष 2010-11 के बाद के संदिग्ध कैश डिपॉजिट और लेनदेन की जानकारी जुटाने में लगा हुआ है। जिन लोगों ने नोटबंदी के पहले भी बड़ी मात्रा में बैंक खातों में नकदी जमा की थी सरकार उन खातों की भी छानबीन कर रही है। साथ ही इस अवधि के दौरान मकान खरीदने वालों को नोटिस भेजकर उनसे इस बारे में जवाब मांगा जा रहा है। आयकर विभाग उन लोगों को नोटिस भेज रहा है, जिनकी खरीदी गई संपत्ति के लेनदेन में खामी पायी गई है। नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में विभाग इन संपत्तियों के रिअसेस्मेंट के आदेश देगा।

नोटबंदी के बाद क्लीन मनी अभियान के पहले चरण में आयकर विभाग 18 लाख लोगों और दूसरे चरण में 5.5 लाख लोगों की पहचान कर चुका है। सीबीडीटी डाटा एनालिटिक्स के सहारे कर चोरी करने वाले लोगों और इकाइयों पर अपना शिकंजा कस रहा है। इससे टैक्स बेस बढ़ाने में मदद मिलेगी।

कालेधन के खिलाफ लड़ाई में स्विटजरलैंड का मिला साथ
सरकार कालेधन के खिलाफ लड़ाई में स्विटजरलैंड से भरपूर सहयोग हासिल करने में कामयाब रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन के मुद्दे पर स्विटजरलैंड के राष्ट्रपति डोरिस ल्यूथर्ड के साथ वार्ता की। दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस वार्ता में बताया कि भारत और स्विटजरलैंड कालेधन की लड़ाई में एक साथ मिलकर काम करते रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने वित्तीय लेनदेन पारदर्शिता और कालेधन को दुनियाभर के लिए अहम मुद्दा बताया। दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर आपसी सहयोग पर बल दिया।

पीएमजीकेवाई के अंतर्गत कालेधन की घोषणा
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) दिसंबर 2016 में लॉन्च की गई, जिसमें कालाधन रखने वालों को टैक्स और 50 प्रतिशत जुर्माना देकर पाक-साफ होने का मौका दिया गया। साथ ही कुल अघोषित आय का 25 प्रतिशत ऐसे खाते में चार साल तक रखना होता है, जिसमें कोई ब्याज नहीं मिलता। नोटबंदी के बाद अघोषित आय के खुलासे मे तेजी आयी है। अभी तक 21,000 लोगों ने 4900 करोड़ रुपये के कालेधन की घोषणा की है।

नोटबंदी से पहले सरकार के कदम
सरकार ने कालेधन पर नियंत्रण करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। मोदी सरकार ने नोटबंदी से पहले ही सभी कारोबारियों और उद्योगपतियों को अपना काला धन घोषित करने का ऑफर दिया था। जिसमें वे अपना सारा कालाधन सार्वजनिक करके 25 प्रतिशत टैक्स और जुर्माने का भुगतान करके कार्रवाई से बच सकते थे। इसके तहत 65,000 करोड़ रुपये का कालाधन उजागर हुआ था।

विमुद्रीकरण से कालेधन पर प्रहार
8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विमुद्रीकरण की घोषणा की। इस क्रांतिकारी फैसले से कालेधन, नकली नोटों के कारोबार और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में बड़ी मदद मिली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देश को बताया कि 99 प्रतिशत पुरानी मुद्रा बैंकों में वापस आ गई। नोटबंदी के निर्णय को देंखे तो इसका स्पष्ट उद्देश्य कालेधन, नकली नोटों और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना था। इससे बाजार में घूम रही आवारा पूंजी यानि काला धन बैंकिंग प्रणाली में लाना संभव हो सका है।

बेनामी लेनदेन संशोधन अधिनियम 2016
बेनामी लेनदेन अधिनियम 1988 को संशोधित करके मोदी सरकार ने इसे नया स्वरूप प्रदान किया। संशोधित अधिनियम को पिछले साल 1 नवंबर से लागू कर दिया गया है। इस अधिनियम में दोषियों पर जुर्माना लगाने और अधिकतम 7 साल की कैद जैसे प्रावधान हैं। इस कानून के अनुसार जमाकर्ता और अपने खातों में दूसरों के काले धन को जमा करने देने वाले दोनों पर मुकदमा चलाया जा सकता है। आयकर विभाग ने दूसरों के बैंक खाते में कालाधन जमा करने वालों को कई बार चेतावनी दी थी। अब दोषियों के खिलाफ बेनामी लेनदेन अधिनियम के तहत मुकदमा चलेगा। 

डबल टैक्स अवोइडेन्स एग्रीमेंट 
‘डबल टैक्स अवोइडेन्स एग्रीमेंट’, की व्यवस्था देश या देश से बाहर निवेश करने वाले व्यापारियों और निवेशकों को प्रभावित करती है। सरकार ने सिंगापुर, मॉरीशस और पनामा देशों के साथ डबल टैक्स अवोइडेन्स एग्रीमेंट की शुरुआत कर टैक्स चोरी पर कड़े कदम उठाए हैं।

आधार को पैनकार्ड और बैंक खातों से जोड़ना
कर चोरी को रोकने के लिए सरकार ने सभी बैंक खातों को आधार कार्ड और पैन से जोड़ना अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ ही आयकर रिटर्न्स भरने के लिए भी आधार को जरूरी बना दिया गया है। इसके चलते सभी लेन-देन पर नज़र रखने में भारी सफलता मिली है।

डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा
सरकार ने देश में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है। सरकार ने डिजिटल क्रांति और डिजिटल भुगतान के स्वाइप मशीनें, पीओसी मशीनें, पेटीएम और भीम ऐप जैसे सरल उपायों को अपनाया है। जनता भी सहजता के साथ इसे अपना रही है। इससे देश मे डिजिटल और इलेक्ट्रानिक लेनदेन बढ़ा है। डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के फलस्वरूप इससे शासन-प्रशासन, नौकरशाही में पारदर्शिता आयी और नागरिकों में भी जागरुकता बढ़ी है।

करदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी
नोटबंदी के बाद से करदाताओं की संख्या में 25.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष 5 अगस्त तक भरे गए 2.22 करोड़ ई-रिटर्न की तुलना में इस साल यह संख्या बढ़कर 2.79 करोड़ हो गयी है। यानी इस अवधि के दौरान कुल 57 लाख रिटर्न ज्यादा भरे गये। इसका सीधा अर्थ है कि कर की चोरी पर लगाम लगी है।

 

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