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मोदी सरकार ने आतंक फंडिंग पर कसी नकेल, शब्बीर शाह के खिलाफ चार्जशीट दायर 

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प्रवर्तन निदेशालय ने आतंकी संगठन जमात-उल दावा के हाफिज सईद के साथ सांठगांठ के कारण जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता शब्बीर शाह के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है। चार्जशीट के अनुसार अलगाववादी नेता शब्बीर शाह पाकिस्तान के आतंकी संगठन से पैसे लेकर कश्मीर और देश में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता था। जांच में पाया गया कि इसके लिए वह हाफिज सईद के साथ लगातार संपर्क में था और उसके निर्देशों का पालन करता था। प्रवर्तन निदेशालय की यह कार्रवाई आतंक फंडिंग पर नकेल कसने की नीति की एक बड़ी सफलता है।

अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को आतंक की फंडिंग और हवाला कारोबारी मोहम्मद असलम वानी से रिश्तों की वजह से आरोपी बनाया गया है। शब्बीर शाह को कोर्ट में पेशी के बाद 7 दिन के लिए रिमांड पर भेज दिया गया है। हवाला डीलर असलम वानी भी न्यायिक हिरासत में है। अब इस मामले में दोनों से पूछताछ हो रही है। पूछताछ के बाद आतंक की फंडिंग से जुड़े कई और बड़े नाम सामने आने की उम्मीद है। 

अलगाववादियों की खैर नहीं
आतंक फंडिंग पर कसी नकेल कसने की नीति के तहत ही एनआईए (राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी) अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार करके उनसे पूछताछ करने में जुटी हुई है। शब्बीर शाह के खिलाफ चार्जशीट से इस बात की पुष्टि हो गई है कि अलगाववादी नेता पाकिस्तान में बैठे आतंकियों से पैसे लेकर देश में आतंक फैलाने का काम करते हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के एक पुराने मामले में 25 जुलाई को शब्बीर शाह और 6 अगस्त को असलम वानी की गिरफ्तारी की गई थी। शब्बीर शाह के पास से दो करोड़ रुपये और आतंकी सगंठनों के लेटर हेड बरामद हुए है। प्रवर्तन निदेशालय ने दोनों पर प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (अर्थशोधन निवारण अधिनियम) के अंतर्गत केस दर्ज किया। 

कुछ दिन पहले ही आतंक फंडिंग के संबंध में एनआईए ने हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद समेत 7 अलगाववादी नेताओं को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। एनआईए ने आतंकी फंडिंग के मामले में 30 मई को अलगाववादी नेताओं और हुर्रियत नेताओं पर केस दर्ज किया था।

मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति
मोदी सरकार आतंक की फंडिंग के जरिए कश्मीर में पत्‍थरबाजी और देशभर में आतंक फैलाने के गुनहगारों को उनके अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेगी। इसके लिए सरकार ने एनआईए, प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश और पर्याप्त स्वतंत्रता दे रखी है। एनआईए को शक है वैश्विक आतंकी हाफिज सईद के अलावा भी अलगाववादी पाकिस्तान के कई अन्य आतंकी संगठनों से पैसे लेकर जम्मु-कश्मीर और देश में आतंक फैलाने का काम करते हैं। इसलिए एनआईए जम्मु-कश्मीर में आतंक फंडिंग के अन्य सूत्रों को भी खंगाल रही है। सरकार आतंक की फंडिंग को लेकर निर्णायक कार्रवाई कर रही है। अलगाववादी नेताओं और आतंक की फंडिंग पर नकेल कस दी गई है। कश्मीरी लोगों के सामने अलगाववादियों के चेहरा बेनकाब हो गया है। इस संबंध में मोदी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के अनुसार काम कर रही है।

कांग्रेस की लचड़ नीति
अब यह बात साफ हो चुकी है कि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की आतंक पर लचड़ नीति के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंक की फंडिंग और पत्थरबाजी का सिलसिला शुरू हुआ था। कांग्रेस के शासनकाल के दौरान अलगाववादी नेताओं को जो ढील दी गई, कश्मीर को उसी का खामियाजा भुगतना पड़ा। इसके विपरित मोदी सरकार के आतंकवाद और आतंक की फंडिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। मोदी सरकार की कार्रवाई से कश्मीर में आतंकियों की जमीन खिसकने लगी है।

पत्थरबाजों और देश विरोधी नारेबाजी पर नकेल
अलगाववादियों पर सख्त कार्रवाई के जरिए मोदी सरकार कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी पर रोक लगाने में कामयाब रही है। आतंक की फंडिंग पर रोक से कश्मीर में नौजवानों की पत्थरबाजी और देश विरोधी नारेबाजी पर भी विराम लगा है। अलगाववादियों नेताओं के साथ-साथ सरकार देशविरोधी तत्वों ओर पत्थरबाजों से भी सख्ती के साथ निपट रही है।

आतंक पर वैश्विक सहयोग
भारत सरकार आतंकवाद की समस्या पर वैश्विक सहयोग नीति अपना रही है। अमेरिका और अन्य देशों के साथ आतंकवादी जानकारियां साझा कर रहा है। भारत और अमेरिका आतंक से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। इससे सरकार को आतंकियों की रियल टाइम जानकारी मिलती रहेगी। आतंकवाद पर वैश्विक सहयोग नीति के अंतर्गत बडे़ आतंकी संगठनों के अलावा मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की लिस्ट का भी आदान-प्रदान किया जा रहा है। मोदी सरकार की सफल विदेश नीति भी आतंकवादियों पर नकेल कसने मददगार साबित हो रही है।

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