Home विशेष ‘स्वस्थ भारत’ मिशन के लिए मोदी सरकार की बड़ी पहल

‘स्वस्थ भारत’ मिशन के लिए मोदी सरकार की बड़ी पहल

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‘किसानों को सिंचाई, बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई और बुजुर्गों को दवाई’ के मिशन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार लगातार आगे बढ़ रही है। इसी लक्ष्य के तहत केंद्र सरकार ‘स्वस्थ भारत’ का सपना साकार करने के लिए प्रयासरत है। सरकार का लक्ष्य है कि समाज के अंतिम व्यक्ति को भी इलाज की सुविधा मुहैया हो सके। सरकार की कोशिश देश की बड़ी आबादी को सरकारी अस्पताल के जरिए नि:शुल्क इलाज की सुविधा देना है। इसी के तहत मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को मंजूरी दे दी।

इस नेशनल हेल्थ पॉलिसी के तहत हर किसी को इलाज की सुविधा दी जाएगी। यानी अब पैसा न होने पर किसी मरीज का इलाज करने से मना नहीं किया जा सकेगा। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और जांच की सुविधा होगी। सरकार का टारगेट है कि देश के 80% लोगों का इलाज पूरी तरह सरकारी अस्पताल में मुफ्त हो, जिसमें दवा, जांच और इलाज शामिल हों। नई हेल्थ पॉलिसी में मरीजों के लिए बीमा का भी प्रावधान है।

नई स्वास्थ्य नीति के कुछ अहम बिंदु निम्न हैं-

  • अब मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज करवाने की छूट मिलेगी।
  • विशेषज्ञों से इलाज के लिए लोगों को सरकारी या निजी अस्पताल में जाने की छूट होगी।
  • स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों को ऐसे इलाज के लिए तय रकम दी जाएगी।
  • इसके तहत वैसे रोगों की जांच भी शामिल होगी जो छूआछूत से पैदा नहीं होती।
  • नए अस्पताल बनाने में लगने वाली रकम को सीधे इलाज पर खर्च किया जा सकेगा।
  • देशभर के सरकारी अस्पतालों में दवाइयां और रोगों की जांच के सभी साधन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
  • प्रमुख बीमारियों को खत्म करने के लिए खास टारगेट तय किया गया है।

व्यापक स्वास्थ्य सुविधाएं देने की योजना
इसके तहत मातृ और शिशु मृत्यु दर घटाने के साथ-साथ देशभर के सरकारी अस्पतालों में दवाइयां और रोगों की जांच के सभी साधन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

पीपीपी मॉडल पर होगा काम
जिला अस्पताल और इससे ऊपर के अस्पतालों को पूरी तरह सरकारी नियंत्रण से अलग किया जाएगा और इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) प्रोजेक्ट में प्राइवेट पार्टी को भी शामिल किया जाएगा।

जीडीपी का 2.5 फीसदी हो जाएगा खर्च
इस पॉलिसी के पूरी तरह लागू होने के साथ ही स्वास्थ्य का जीडीपी 1.04% से बढ़कर 2.5% हो जाएगा। यानी खर्च तीन लाख करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।

मोदी सरकार को है गरीबों की फिक्र
खर्च का अतिरिक्त भार बढ़ने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों के स्वास्थ्य की चिंता की है। दरअसल मोदी सरकार की कामना है कि ”सभी लोगों का स्वास्थ्य उत्तम रहे और वे अन्य लोगों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करें।” प्रधानमंत्री ने एक अवसर पर कहा भी था, ”वर्तमान में हमारे देश में स्वास्थ्य की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं और विशेषकर बच्चों को तत्काल चिकित्सा सेवाओं-सुविधाओं की आवश्यकता होती है। देश में जितने लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाता है, उसके समानांतर और अधिक लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की जरूरत उत्पन्न हो जाती है।”

गरीबों की जेब पर न पड़े भार
इस समय देश में डॉक्टर से दिखाने में 80% और अस्पताल में भर्ती होने के मामले में 60% हिस्सा प्राइवेट सेक्टर का है। प्राइवेट सेक्टर में जाने वाले लोगों में अधिकतर को अपनी जेब से ही इसका भुगतान करना होता है। केंद्र की मोदी सरकार इसी को लेकर चिंतित हैं। इसलिए 2002 के बाद पहली बार देश में हेल्थ पॉलिसी को नए सिरे से पेश की है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत कुछ लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं-

जीवन प्रत्‍याशा और स्‍वस्‍थ जीवन

  • जन्‍म के समय आजीवन प्रत्‍याशा को 5 से बढ़ाकर 2025 तक 70 करना।
  • 2022 तक प्रमुख वर्गों में रोगों की व्‍याप्‍तता तथा इसके रुझान को मापने के लिए विकलांगता समायोजित आयु वर्ष (डीएएलवाई) सूचकांक की नियमित निगरानी करना।
  • 2025 तक राष्‍ट्रीय और उप-राष्‍ट्रीय स्‍तर पर टीएफआर को घटाकर 1 तक लाना।

मृत्‍युदर को कम करना

  • 2025 तक पांच वर्ष से कम आयु के बच्‍चों में मृत्‍यु दर को कम करके 23 करना।
  • एमएमआर के वर्तमान स्‍तर को 2020 तक घटाकर 100 करना।
    नवजात शिशु मृत्‍यु दर को घटाकर 16 करना।
  • मृत जन्‍म लेने वाले बच्‍चों की दर को 2025 तक घटाकर ‘एक अंक’ में लाना।

रोगों की व्‍याप्‍तता में कमी लाना

  • 2020 के वैश्‍विक लक्ष्‍य को प्राप्‍त करना।
  • 2018 तक कुष्‍ठ रोग की व्याप्तता में कमी। 
  • 2017 तक कालाजार तथा 2017 तक लिम्‍फेटिक फिलारिएसिस का उन्‍मूलन करना या यथास्थिति बनाए रखना।
  • क्षयरोग के नए स्‍पुटम पाजिटिव रोगियों में 85% से अधिक की इलाज दर को प्राप्‍त करना। 
  • नए क्षय रोग के मामलों की व्‍याप्‍तता में कमी लाना ताकि 2025 तक इसके उन्‍मूलन की स्‍थिति प्राप्‍त की जा सके।

हर स्तर पर चौकस सरकार
दरअसल देशवासियों की सेहत को लेकर मोदी सरकार हर स्तर पर चौकस है। बीते वर्ष भारत के लिए यह उपलब्धि रही कि लंबे प्रयास के बाद देश नवजात बच्चों में होने वाले टिटनेस से मुक्त हो गया है। इसी तरह बच्चों में होने वाली उल्टी-दस्त की समस्या से बचाव के लिए सरकारी कार्यक्रम में रोटावायरस का टीका शुरू कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सरकार गठन के बाद ही टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए इंद्रधनुष कार्यक्रम शुरू किया था। अबतक 2.6 करोड़ बच्चों का टीकाकरण हो चुका है। प्रधानमंत्री डायलिसिस कार्यक्रम के तहत गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को निःशुल्क डायलिसिस सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस पहल के तहत 1,069 डायलिसिस इकाइयां, 2,319 डायलिसिस मशीनें संचालित की गई हैं।
भ्रष्टाचार पर नकेल
प्रधानमंत्री ने मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में जारी भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए खुद दिलचस्पी लेते हुए एक समिति गठित की।

सुरक्षित मातृत्व अभियान
साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राइवेट डॉक्टरों को महीने में एक दिन गर्भवती महिलाओं की जांच और इलाज के कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की। इसके कुछ दिन बाद ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान शुरू किया। इसके तहत तीन-चार हजार प्राइवेट डॉक्टरों ने महीने के एक दिन अपनी मुफ्त सेवा देने की सहमति दी। केंद्र सरकार गर्भवती महिलाओं को 6000 रुपये दे रही है।

स्टेंट के दाम में भारी कमी
हृदय रोग में काम आने वाले स्टेंट की कीमत 7,260 रुपए और ड्रग इल्यूटिंग स्टेंट (डीईएस) की कीमत 29,600 रुपए तय कर दी गई है। इससे स्टेंट के दाम में 85 प्रतिशत की कमी आई है।

इसके अलावा युवाओं को नशे की समस्या से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसी तरह दिव्यांगों के लिए सरकारी इमारतों और स्टेशनों आदि को सुगम और सुरक्षित बनाने का कार्यक्रम शुरू किया गया है।

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