Home तीन साल बेमिसाल समग्र विकास को गति दे रहा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय

समग्र विकास को गति दे रहा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय

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संपन्नता से सड़कें नहीं बनाईं जातीं, बल्कि सड़कों से संपन्नता आती है।

सड़कें देश के सभी हिस्सों और समाज के सभी वर्गों को स्पर्श करती हैं। कृषि हो या व्यापार, उद्योग हो या सामाजिक सरोकार, सड़कें सबके लिए विकास का मार्ग हैं। सड़कें किसी भी इलाके के विकास की बुनियाद होती हैं। इसी जरूरत को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने पहले दिन से ही बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया। पिछले तीन साल में चाहे रेलवे हो, सड़क हो या शिपिंग, सरकार संपर्क बढ़ाने के लिए बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने में लगी है।

राजमार्ग एवं परिवहन मंत्रालय सबसे तेज
भारत में लगभग 47 लाख किमी लंबी सड़कों का जाल है। इस नेटवर्क में राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेसवे, स्टेट हाइवे, जिला सड़क, पीडब्लूडी सड़कें, परियोजना सड़कें, ग्रामीण सडकें हैं। देश के कुल सामानों की 60 प्रतिशत ढुलाई और कुल यात्रियों का 85 प्रतिशत यातायात इन्हीं सड़कों से होता है। इनमें राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई लगभग 58 हजार किलोमीटर है।

चुनौतियों के बीच निकाला रास्ता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 26 मई, 2014 को सत्ता संभालने के वक्त सड़क एवं परिवहन क्षेत्र में बड़ी चुनौतियां थीं। निवेश कम था, भ्रष्टाचार का बोलबाला था और राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की रफ्तार बहुत ही सुस्त थी। देश में सड़कों की हालात में सुधार और सभी गांव और शहर को सड़कों के नेटवर्क से जोड़ने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने जो कदम उठाये थे उसके परिणाम सामने आने लगे हैं।

केंद्र सरकार ने दूर कीं बाधाएं
सड़क क्षेत्र में रुकी हुई सड़क परियोजनाओं की बाधाएं दूर की गईं, वहीं लंबे समय से लंबित ठेके के विवादों का समाधान किया गया और अव्यावहारिक परियोजनाओं को वापस ले लिया गया। इसके साथ ही नई योजनाओं में उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों के हल की पहल की। ठेकों की ऑनलाइन व्यवस्था कर दी गई और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था पर बल दिया गया। यात्रियों की सुविधा के लिए 62 टोल प्लाजा पर टोल लेना बंद कर दिया गया। जबकि बीते साल के दौरान हाईवे परियोजनाएं देने में 120% की वृद्धि हुई।

सड़क निर्माण को दी तेज रफ्तार
सरकार ने 2016-17 के दौरान प्रतिदिन अब तक की सबसे तेज गति से राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया। प्रति दिन 22 किमी राजमार्गों का निर्माण हुआ जो 2015-16 में 16 किमी प्रति दिन था, वहीं यूपीए सरकार के दौरान साल 2014-15 में 12 किमी और 2013-14 में 11 किमी रहा। 2016-17 के दौरान जहां देश में प्रतिदिन रिकार्ड रफ्तार से राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ वहीं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत भी रिकार्ड 47,350 किमी सड़कों का निर्माण हुआ, जबकि यूपीए सरकार के दौरान 2013-14 में यह मात्र 25,316 किमी था। देश भर में सड़कों और रेलवे का विस्तार करने की दिशा में तेज रफ़्तार से काम हो रहा है।

निवेश बढ़ा, निर्माण की गति बढ़ी
नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जब 26 मई 2014 को सत्ता की जिम्मेदारी ली थी, तब इस क्षेत्र में निवेश का अभाव था। सरकार ने निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नये तरीकों से ठेके देने का निर्णय लिया। इसके तहत इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण (ईपीसी) आधार पर अधिक ठेके देने का निर्णय लिए जाने के बाद से बुनियादी ढांचा गतिविधियों में तेजी आई।

धन की कोई कमी नहीं
ईपीसी यानी (Engineering Procurement Construction) परियोजनाओं में सरकार धन की व्यवस्था करती है और निजी कंपनियों को इन परियोजनाओं का निश्चित समयावधि में क्रियान्वयन करना होता है। इस व्यवस्था के लागू होने का परिणाम सामने है। सरकार के लिए अब धन की व्यवस्था को लेकर कोई समस्या नहीं है। 31 दिसंबर 2016 तक आवंटित 46 राजमार्ग ठेकों में से 24 को ईपीसी, 18 को हाइब्रिड-एन्युटी और 4 को बीओटी (बनाओ, चलाओ और सौंपो) के आधार पर आवंटित किया गया।

सड़कों की गुणवत्ता में हुआ सुधार
2017-18 के दौरान सरकार सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग पर 64,900 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जो 2016-17 से 24 प्रतिशत अधिक है। इसका 63 प्रतिशत धन राजमार्गों और पुलों के निर्माण के लिए खर्च होंगे। शेष 37 प्रतिशत धनराशि राष्ट्रीय राजमार्ग प्रधिकरण को दिया गया है। 64,900 करोड़ रुपये में10,723 करोड़ रुपये रखरखाव और मरम्मत पर खर्च होगें जबकि 54,177 करोड़ रुपये नये राजमार्गों और पुलों के निर्माण पर खर्च होगें। इस प्रकार नरेंद्र मोदी सरकार ने नये राजमार्गों के निर्माण कार्यो पर मरम्मत से अधिक खर्च कर रही है, और साल दर साल यह अनुपात भी कम हुआ है जो गुणवत्ता की उच्चता को दर्शाता है।

सागरमाला से तेज होगा विकास
भारत सरकार द्वारा सागरमाला परियोजना की परिकल्पना की गई है। समुद्र तटीय राज्यों के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिससे न केवल बंदरगाह का विकास होगा बल्कि बंदरगाहों के द्वारा समग्र विकास सुनिश्चित होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार के मेक इन इंडिया के तहत सागरमाला परियोजना की शुरुआत 2014 में की गई थी। इसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में से 7500 किलोमीटर लंबे तटीय सागर माला परियोजना क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है।

इसलिए शुरू की गई सागरमाला परियोजना
विदेशों से होने वाला भारत का व्यापार का 90 प्रतिशत बंदरगाहों के जरिये होता है। देश के करीब साढे सात हजार लंबी तटीय सीमा पर 13 बड़े बंदरगाह हैं और कुछ और का निर्माण हो रहा है। एक लीटर डीजल से सड़क पर 24 टन के कार्गो को एक किलोमीटर तक ढोया जा सकता है, वहीं रेल में 85 टन तो जल परिवहन के मामले में 105 टन तक पहुंच जाता है। इसलिए केंद्र सरकार सागर माला परियोजना के जरिये जल परिवहन को बेहतर बनाने की कोशिश में है।

सागरमाला पर खर्च होंगे 70 हजार करोड़
केंद्र सरकार इस परियोजना पर 70 हजार करोड़ खर्च करने जा रही है। बंदरगाहों को जोड़ने की योजना के तहत रेल मंत्रालय भी 20 हजार करोड़ की लागत से 21 बंदरगाह रेल संपर्क परियोजनाओं का काम शुरू करेगा। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल और राष्ट्रीय राजमार्गों के जरिये उनके गंतव्य सागरमाला तक पहुंचाना है। इस परियोजना में बंदरगाहों के विकास के नए ट्रांसशिपिंग पोर्ट का भी निर्माण शामिल है, ताकि बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाई जा सके। जाहिर सी बात है कि इससे देश के घरेलू उत्पाद को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं इसके तहत 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से करीब एक करोड़ रोजगार भी सृजित होंगे। सागरमाला देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की तस्वीर बदल देगी।

परियोजना के उद्देश्य
भारत के शिपिंग क्षेत्र की तस्वीर बदलना
देश के बंदरगाहों को आधुनिक बनाना
बंदरगाहों के निकट विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाना

परियोजना से लाभ
हर साल औसतन 40 हजार करोड़ की बचत होगी
देश के भीतरी भागों में भी जलमार्ग विकसित किया जा सकेगा
नदियों और नहरों से बने ये जलमार्ग सीधे बंदगाहों से जुड़े होंगे
तटीय आर्थिक क्षेत्रों का निर्माण किया जाएगा
रोजगार के अवसर पैदा होंगे और पलायन रूकेगा


‘भारतमाला’ से एक सूत्र में बंध जाएगा भारत
सागर माला की तर्ज पर गुजरात से हिमाचल प्रदेश कश्मीर होते हुए मिजोरम तक भारत माला परियोजना का विकास किया जा रहा है जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय सीमा वाले प्रदेशों में सीमा पर अच्छे रेल एवं सड़क नेटवर्क स्थापित किए जा सकें जो उत्तर भारत के व्यापारिक हितों के साथ -साथ भारत के सामरिक हितों का भी लक्ष्य साध सकें। इसके तहत लगभग 5 हजार किलोमीटर सड़कें बननी हैं।

39 अरब डॉलर होंगे खर्च
इस परियोना में भारत की सीमाओं पर सड़कों, तटीय क्षेत्रों, बंदरगाहों, धार्मिक पर्यटक स्थलों में से 25 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाएगा और साथ ही 100 से अधिक जिला मुख्यालयों को इससे जोड़ा जाएगा।

भारतमाला परियोजना पर होने वाले खर्च
2015-16 के बजट के मुताबिक इसपर 2,67,000 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है।
तटवर्ती और सीमाववर्ती क्षेत्रों से लगे 7000 किलोमीटर राज्य सड़कों का विकास पर 80, 520 करोड़ रुपये खर्च करेगी। पिछड़े क्षेत्रों, धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों को जोड़ने वाली 7 000 किलोमीटर सड़कों के निर्माण पर 85,200 करोड़ रुपये खर्च का प्रस्ताव है।

उन्नत सड़कों से जुड़ेंगे चार धाम 
उत्तराखंड के चार धाम जिसमें केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री भी भारतमाला परियोजना के तहत उन्नत सड़क मार्गों से जुड़ेंगे। इस तरह से उत्तर भारत में धार्मिक यात्रा और परिवहन में वृद्धि होगी।

सेफ्टी पर सतर्क मंत्रालय
2005 से 2015 के बीच सड़क हादसों की संख्या में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं इनमें होने वाली मौतों में 54 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई। भारत में हर साल लगभग 1.4 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। इन दुर्घटनओं में होने वाली मौतों में 33 प्रतिशत 15 से 24 साल के आयु वर्ग के युवा हैं। भारत ब्रैसिलिया कन्वेशन से जुड़ा हुआ है, इसलिए 2022 तक सड़क हादसों में होने वाली मौतों को आधा करने का भी लक्ष्य है।
सरकार सड़कों की इंजीनियरिंग में सुधार करके और नागरिकों के लिए जागरूकता अभियान के द्वारा राष्‍ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के कार्यान्‍वयन हेतु सक्रिय कदम उठा रही है।

हादसा हुआ तो ठेकेदार भरेगा जुर्माना
एक तरफ जहां जागरूकता अभियान के जरिये लोगों को सतर्क करने की कोशिश हो रही है वहीं सड़क बनाने वालों पर भी नकेल कसने की कवायद हो रही है। दरअसल नेशनल ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट पालिसी रिपोर्ट के अनुसार सड़क हादसों के लिए चालक से अधिक सडकों के निर्माण की खामियां जिम्मेदार हैं। मोदी सरकार ने सुरक्षित यात्रा के लिए लोकसभा में 11 अप्रैल 2017 को संशोधन विधेयक पारित करवाया है अब इसे राज्यसभा को पारित करना है। इस विधेयक में वाहन निर्माताओं को गाड़ियों की डिजाइन की खामियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है साथ ही सड़क के निर्माण मे होने वाली खामियों के लिए ठेकेदार और रखरखाव करने वाली एजेंजी को भी जिम्मेदार बनाया गया है। ऐसी किसी गलती की वजह से मौत या शारीरिक क्षति होने पर 1 लाख रुपये तक जुर्माना भरना पड़ेगा।

सेतु भारतम से रेलवे क्रॉसिंग फ्री होंगे हाई-वे
सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को रेलवे क्रासिंग से फ्री कर दिया जाएगा। इसके लिए 208 जगहों की पहचान की गई है जहां रेलवे फाटक पर पुल बनाया जाएगा। इस परियोजना पर 10 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च होंगे। साथ ही 150 से ज्यादा पुलों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। सड़क परिवहन मंत्रालय ने राज्यों से जर्जर पुलों की लिस्ट मांगी थी। सरकार को करीब 1000 से ज्यादा पुलों की लिस्ट मिली है। जिसमें पहले फेज के लिए 150 पुलों का चयन किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले चार साल में ये परियोजना पूरी कर ली जाए।

बुर्ज खलीफा से ऊंची बनेगी इमारत !
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्रालय आर्थिक राजधानी मुंबई में पूरब बंदरगाह इलाके की तरफ बंजर जमीन पर पर्यटन की दृष्टि से मनोरम तट विकसित करना चाहता है। इसके लिए मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की बेकार पड़ी औद्योगिक जमीन का इस्तेमाल किये जाने की योजना पर मंत्रालय आगे बढ़ रहा है। अगर ये योजना साकार हुई तो वहां दुबई के 163 मंजिला बुर्ज खलीफा से बड़ी एक इमारत होगी और मुंबई के मरीन ड्राइव से बड़ा हरा भरा विशाल मुख्य—मार्ग होगा। इंतजार बस कैबिनेट की मंजूरी का है। 

 

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