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‘निगेटिव इकोनॉमी’ में मनमोहन सरकार बनाया था ऑल टाइम रिकॉर्ड

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पूरी दुनिया में सबसे तेज गति से भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है। फ्रांस को पछाड़कर भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गई है। हालांकि कांग्रेस लगातार दुष्प्रचार कर रही है और इसे फेल बता रही है। इस बीच भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद वीरमानी ने कहा है कि वर्तमान वित्त वर्ष में देश की विकास दर 7.5 की विकास दर से आगे बढ़ेगी। उनका आकलन है कि अमेरिका चीन के बीच शुल्कों को लेकर छिड़े युद्ध से भारत के पास अमेरिका को अपना निर्यात बढ़ाने का मौका है। दरअसल पिछले 12 वर्षों से ऊपर नीचे होने के बाद आर्थिक वृद्धि दर पटरी पर लौट रही है यानि अर्थव्यवस्था में स्थिरता के साथ रफ्तार भी है।

हालांकि यूपीए सरकार के 10 वर्षों के दौरान किसी भी प्रकार के रिफॉर्म नहीं होने के कारण अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता होती चली गई। जब यूपीए अपना 10 वर्षों का कार्यकाल पूरा कर 2014 में सत्ता से बाहर हो गई,  तो उसके आखिरी तीन साल में अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता हो गई थी। इसके बाद विकास को बढ़ावा देने के लिए यूपीए की नीतियों ने macro instability  को जन्म दिया, जिससे और भी नुकसान होता चला गया और विकास की गति रुक गई। Current Account Balance  एनडीए-1 के तहत सकारात्मक थी,  जो यूपीए-1 के तहत नकारात्मक हो गई और रिकॉर्ड स्तर पर नीचे चला गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक आलेख के जरिये इस पर रोशनी भी डाली है। 

करेंट एकाउंट बैलेंस का हाल भी निगेटिव हो गया था जिसे मोदी सरकार संभालने में लगी हुई है। इन आंकड़ों पर नजर डालें – 

    करंट अकाउंट बैलेंस, चार लोकसभा का कार्यकाल
         1999-2004          +0.5 प्रतिशत
         2004-2009          -1.2 प्रतिशत
         2009-2014          -3.3 प्रतिशत
         2014 to अब तक          -1.2 प्रतिशत

उपर्युक्त आंकड़े बताते हैं कि जिस तरह से मनमोहन सिंह सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत बदतर कर दी थी, उसे मोदी सरकार संभालने में लगी है और +2.1 तक सुधार कर चुकी है, लेकिन सकारात्मक स्तर तक जाने में अभी और वक्त लगेगा।

आपको बता दें कि 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुआई वाली एनडीए सरकार जब सत्ता से बाहर हुई तो अपने पीछे 8 प्रतिशत से अधिक ग्रोथ रेट छोड़ कर गई थी। इसके अतिरिक्त, 2004 में, सरकार को 1991 से 2004 तक निरंतर सुधारों का लाभ मिला। वैश्विक माहौल ने भी विकास को आगे बढ़ाने में मदद की। चूंकि मांग अधिक थी, इसलिए निर्यात बढ़ रहा था, और इसलिए, भारत जैसे उभरती अर्थव्यवस्था के लिए यह एक शानदार अवसर था, लेकिन यूपीए सरकार ने अपने दूसरे टर्म में इसे गंवा दिया।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की कमिटी की रिपोर्ट के के अनुसार यूपीए-2 के आखिरी चार साल यानि 2010-11 से लेकर 2013-14 के बीच औसत विकास दर 6.985 रही। जबकि वर्तमान मोदी सरकार के चार वर्षों में विकास दर की औसत 7.225 रही।

यूपीए-2 के दौरान अर्थव्यवस्था की खस्ताहाली का अंदाजा इस बात से भी लग जाता है कि आखिरी दो सालों में ग्रोथ रेट 5.42 और 6.05 रहा, जिसका औसत 5.735 रहा। विशेष बात यह भी है कि मोदी सरकार के दौरान यह ग्रोथ रेट जीएसटी और नोटबंदी जैसे सुधारवादी कदम उठाने के बावजूद है।

अब आते हैं महंगाई पर। यूपीए सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने की कोई कवायद नहीं की। इसके उलट आप आंकड़ों में देख सकते हैं कि कैसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने और अब वर्तमान मोदी सरकार ने महंगाई दर को काबू में रखा है।

औसत CPI inflation आंकड़े निम्नलिखित के रूप में हैं:-

                    महंगाई दर का वर्षवार ब्योरा
          1999-2004          04.1 प्रतिशत
          2004-2009          05.8 प्रतिशत
          2009-2014          10.4 प्रतिशत
          2014 अब तक          04.7 प्रतिशत

जाहिर है अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रचार कर कांग्रेस यह जताने की कोशिश कर रही है कि यूपीए की सरकार बेहतर थी, लेकिन हकीकत आपके सामने है और तय भी आपको ही करना है।

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