Home पश्चिम बंगाल विशेष ममता के मुस्लिम तुष्टीकरण से प.बंगाल ‘राममय’ हुआ।

ममता के मुस्लिम तुष्टीकरण से प.बंगाल ‘राममय’ हुआ।

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रामनवमी को बीते दस दिन हो गए हैं लेकिन पश्चिम बंगाल में आज भी रामनवमी का जश्न जारी है। दुर्गा पूजा के लिए जाने जाना वाला पश्चिम बंगाल आज जय श्री राम के उद्घोष से गूंज रहा है। बार-बार हिंदुओं के त्यौहारों मनाने पर ममता के अड़ंगे ने हिंदुओं को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है।

श्रीराम के नारों से गूंज रहा है पश्चिम बंगाल
तलवारे लेकर रामनवमी का जुलूस निकाल रही ये लड़कियां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कड़ा संदेश दे रही है कि राम के नाम से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ममता बनर्जी के रामनवमी पर पाबंदी के बाद पूरे पश्चिम बंगाल में जय श्रीराम के नारे गूंज रहे है। ममता बनर्जी के मुस्लिम तुष्टिकरण ने हिंदुओं को एकत्र होने के लिए विवश कर दिया है और अब जनता खुलेआम ममता बनर्जी की खिलाफत में उतर आई है।

भगवान राम के बाद हनुमान से ममता का बैर
रामनवमी पर प्रतिबंध लगाने से जब ममता का जी नहीं भरा तो ममता बनर्जी ने हनुमान जयंती का शांतिपूर्ण जुलूस निकाल रहे लोगों पर लाठीचार्ज कर अपना गुस्सा निकाला। मुस्लिमों को खुश करने में लगी ममता बनर्जी शायद यह भूल गई कि पश्चिम बंगाल में दूसरे धर्म के मानने वाले लोग भी रहते है और उन्हें संविधान द्वारा अपने धार्मिक रीति-रिवाज मनाने का अधिकार प्राप्त है।

जब हाईकोर्ट ने हटाई रामनवमी से रोक और लगाई ममता को फटकार
हाइकोर्ट के न्यायाधीश हरीश टंडन की अदालत ने इसके लिए नगरपालिका को फटकार भी लगायी। अदालत ने कहा है कि नगरपालिका का आचरण लापरवाह, अकर्मण्य और दुर्भाग्यपूर्ण है। पूजा कमेटी के आवेदन को विलंबित करने का कोई औचित्य नहीं बनते। नगरपालिका के आचरण का कोई स्पष्टीकरण नहीं है। इस पूजा के खिलाफ यह रुख आखिर क्यों है? अन्य पूजा आयोजन के साथ नगरपालिका क्या करती है? कई स्थानों पर स्टेज आदि बनाये जाते हैं। नगरपालिका कितनों को अनुमति देती है? गत वर्ष तक रामनवमी के आयोजन को अनुमति दी गयी तो फिर इस वर्ष क्यों नहीं?

मुहर्रम के चलते दुर्गा विसर्जन पर भी लगाई थी रोक
इससे पहले कलकता हाईकोर्ट से भी ममता बनर्जी को पहले भी फटकार मिल चुकी है। पिछले साल दुर्गा पूजा पर विसर्जन पर रोक लगाने के ममता के फैसले पर जस्टिस दीपांकर दत्‍ता की सिंगल बेंच ने अपने आदेश में कहा था, “राज्‍य सरकार का यह फैसला, साफ दिख रहा है कि बहुसंख्‍यकों की कीमत पर अल्‍पसंख्‍यक वर्ग को खुश करने और पुचकारने वाला है।” कोर्ट ने यहां तक कहा कि, “प्रशासन यह ध्‍यान रख पाने में नाकाम रहा कि इस्‍लाम को मानने वालों के लिए भी मुहर्रम सबसे महत्‍वपूर्ण त्‍योहार नहीं है। राज्‍य सरकार ने लापरवाही से एक समुदाय के प्रति भेदभाव किया है ऐसा करके उन्‍होंने मां दुर्गा की पूजा करने वाले लोगों के संवैधानिक अधिकारों पर अतिक्रमण किया।”

मकर संक्रांति में सभा पर रोक के बाद, इजाजत हाईकोर्ट ने दी थी
इसी साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने एक रैली आयोजित की थी। लेकिन सारे नियमों और औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद भी राज्य की सरकार के दबाव में कोलकाता पुलिस इस रैली के लिए अनुमति नहीं दे रही थी। इस रैली को स्वयं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन जी भागवत को संबोधित करना था। लेकिन ममता सरकार को लग रहा था कि अगर रैली के लिए अनुमति दे दी तो उनका मुस्लिम वोट बैंक बिदक जाएगा। यही वजह है कि उसने सारी कानूनी और संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर रैली की अनुमति देने से साफ मना कर दिया। ममता बनर्जी सरकार के इस तानाशाही रवैए के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में अपील दायर की गई और वहां से आदेश मिलने के बाद ही रैली संपन्न हो सकी।

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