Home समाचार रोजवैली मामले में मनमोहन-चिदंबरम की गिरफ्तारी चाहती हैं ममता?

रोजवैली मामले में मनमोहन-चिदंबरम की गिरफ्तारी चाहती हैं ममता?

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रोजवैली चिटफंड घोटाले में दागदार हुई तृणमूल सरकार की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चाहती हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को भी इस मामले में गिरफ्तार किया जाए। इसका मतलब ये हुआ कि रोजवैली चिटफंड घोटाले में मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम को भी उसी तरह जेल में ठूंस दिया जाना चाहिए जिस तरह ममता के दो सांसदों को जेल भेजा गया है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर अपने ही राजनीतिक मित्र के खिलाफ ममता ऐसा तेवर क्यों अख्तियार कर रही है? लेकिन इस सवाल का मतलब इससे दूसरा कतई नहीं है कि मनमोहन और चिंदबरम भी इस घोटाले में हैं।

दरअसल रोजवैली चिटफंड घोटाले में अपने सांसदों की गिरफ्तारी के बाद से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बौखलाई हुई हैं। ममता इस मामले में केंद्र सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है। ममता सवाल उठा रही हैं कि रोजवैली चिटफंड कंपनी के संबंध एलआईसी से थे, और इसलिए तत्कालीन प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को क्यों नहीं गिरफ्तार किया जाना चाहिए? नोटबंदी के खिलाफ अभियान में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मंच शेयर कर रही ममता का ये रुख ‘हम तो डूबे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे’ जैसा है।

रोज वैली घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने तृणमूल कांग्रेस के दो सांसदों सुदीप बंदोपाध्याय और तापस पाल को भुवनेश्वर में दर्ज शिकायतों के आधार पर गिरफ्तार किया है। फिलहाल दोनों हिरासत में हैं।

और नेता रडार पर
सीबीआई का कहना है कि रोज वैली घोटाला करीब 17,000 करोड़ रुपए का है जो सारदा चिटफंड के मुकाबले पांच गुना बड़ा है। इस घोटाले की जांच 2014 में शुरू हो गई थी इसलिए इसका नोटबंदी से कोई लेना-देना नहीं है। सीबीआई का यह भी कहना कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्ष दोनों ही के कई बड़े नेता सीबीआई की जांच के दायरे में हैं। इस घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के तीन और नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं, इनमें से दो ममता बनर्जी मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री हैं।

बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में चिटफंड घोटाले की मनी लॉन्ड्रिंग पहलू की जांच करते वक्त प्रवर्तन निदेशालय को तृणमूल नेताओं के खिलाफ कुछ सबूत मिले थे। ईडी उस सबूत को जांच के लिए सीबीआइ को सौंप चुकी है। कोलकाता से ताल्लुक रखनेवाले मंत्री ने रोजवैली के चेयरमैन गौतम कुंडू की मदद की थी। उसने रोजवैली के मालिक को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलवाया था।

क्या है रोजवैली चिटफंड घोटाला

  • रोजवैली ने लोगों से करीब 17,000 करोड़ रुपए जमा किए हैं।
  • रोजवैली पर सेबी की अनुमति के बिना 2011 से 2013 के बीच गैर-कानूनी तरीके से लोगों से पैसा जमा करने का आरोप है। इसमें लोगों को ज्यादा रिटर्न देने का वादा कर चूना लगाया गया।
  • रोजवैली का कारोबार पश्चिम बंगाल सहित 10 राज्यों में फैला हुआ था।
    रोजवैली समूह के चेयरमैन गौतम कुंडू ने अपना कारोबार चिटफंड के अलावा फिल्म और मीडिया क्षेत्र में भी फैलाया।
  • रोजवैली पर जमा पैसे का एक बड़ा हिस्सा गलत तरीके से निकाल लेने का भी आरोप है। निकाले गए पैसे का बड़ा हिस्सा विदेश भेज दिया गया।
  • रोजवैली ने कुल 27 कंपनियां खोल रखी थीं। जिनमें से सिर्फ छह ही काम कर रही थीं।
  • प्रवर्तन निदेशालय ने दिसंबर में रोजवैली के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 1,250 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की।
  • गबन के आरोप में गौतम कुंडू मई 2015 से जेल में है।

सारदा घोटाले के बाद रोजवैली घोटाला सामने है। हर नया घोटाला पिछला रिकॉर्ड तोड़ रहा है। जैसे-जैसे परत खुल रही है, राजनीति की जड़ इसमें डूबी हुई दिख रही है। क्या तृणमूल क्या कांग्रेस सबके सब इसमें डूबे हुए नज़र आ रहे हैं। ममता के बयान ने ये साबित कर दिया है कि घोटाले में केंन्द्र की यूपीए सरकार और बंगाल की टीएमसी सरकार की मिलीभगत रही थी। देखना ये है कि घोटाले की आंच में असली रावण जलता है या कि रावण के पुतलों को जलाकर कर्तव्य पूरा कर लिया जाता है।

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