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मेक इन इंडिया को बढ़ावा: भारत बना दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता

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मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने के मोदी सरकार के फैसले ने परिणाम दिखाना शुरू कर दिया है। भारत अब चीन के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश बन गया है। इंडियन सेल्युसर एसोसिएशन (आईसीए) की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, भारत सरकार, आईसीए और एफटीटीएफ की कोशिशों की बदौलत भारत मोबाइल फोन उत्पादन की संख्या के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनकर उभरा है। आईसीए ने मार्केट रिसर्च कंपनी आईएचएस, चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स और वियतनाम जेनरल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस के आंकड़ों का हवाला दिया है। आईसीए के आंकड़ों के मुताबिक भारत में मोबाइल फोन का सालाना उत्पादन 2014 में 30 लाख यूनिट था, जो 2017 में बढ़कर 1.1 करोड़ यूनिट तक पहुंच गया। भारत 2017 में वियतनाम को पीछे छोड़ दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता के स्थान पर काबिज हुआ है।

आज जब भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है इनमें ‘मेक इन इंडिया’ कैंपेन का भी बहुत बड़ा योगदान है। ‘मेक इन इंडिया’ कैंपन के तहत कई देशों से समझौते हुए हैं, जिन पर काम आने वाले समय में शुरू होगा। कई कंपनियां जल्दी ही भारत में उत्पादन और निर्माण कार्य शुरू करने की योजना बना रही है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में लगातार बढ़ोतरी
हाल ही में सरकार ने एफडीआई नियमों में और रियायतों का एलान किया गया। सरकार ने रिटेल, नागरिक विमानन, निर्माण और पावर एक्सचेंज में सीधे विदेशी निवेश को हरी झंडी दे दी है। यानि अब सिंगल ब्रैंड रिटेल में जहां ऑटोमैटिक रूट से 100 प्रतिशत विदेशी निवेश हो सकता है, वहीं एयर इंडिया में भी 49  प्रतिशत पैसा विदेशियों का लग सकता है। यूपीए सरकार के आखिरी तीन सालों में जहां 110 अरब डॉलर का पूंजी निवेश हुआ था, वहीं मोदी सरकार के तीन साल के दौरान अब तक लगभग 145 अरब डॉलर का विदेशी निवेश हो चुका है। टोयोटा और लेक्सस जैसे ब्रांड मेक इन इंडिया के तहत लाभ उठाने को आतुर हैं।

आइये हम मेक इन इंडिया के तहत किए गए इनीशिएटिव के बारे में जानते हैं-

लॉक हीड मार्टिन भारत में बनाएगा विमान
अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत में चौथी पीढ़ी के बहुआयामी विमान एफ-16वी बनाने की इच्छा जताई है। कंपनी का दावा है कि एफ-16वी बाजार में उसके इस श्रेणी के उत्पादों में सबसे उन्नत एवं आधुनिक है। भारत इन विमानों का अपनी वायुसेना में इस्तेमाल करने के साथ ही इसका निर्यात भी कर सकेगा। कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट जो ला मार्का ने कहा कि भारत ने अगर हमें चुना तो हम उम्मीद करते हैं कि एफ-16वी का निर्माण कुछ दशकों में शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर लाकहीड मार्टिन भारत में कारखाना लगाती है, तो भविष्य में बाहर से होने वाला कोई भी आर्डर कंपनी भारत से ही पूरा करेगी।

‘मेक इन इंडिया’ से बनी ‘करंज’ पनडुब्बी
मेक इन इंडिया के तहत हाल ही में स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस ‘करंज’ नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। ‘करंज’ एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत तैयार की गई है। लगभग डेढ़ महीने के अंदर स्कॉर्पीन श्रेणी की कलवरी और खांदेरी पंडुब्बियां  के बाद करंज तीसरी पनडुब्बी है जो नौसेना में शामिल हुई है। करंज पनडुब्बी कई आधुनिक फीचर्स से लैस है और दुश्मनों को चकमा देकर सटीक निशाना लगा सकती है। इस पनडुब्‍बी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे किसी भी तरह की जंग में संचालित किया जा सकता है। यह पनडुब्बी हर तरह के वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और इंटेलिजेंस को इकट्ठा करने जैसे कामों को भी बखूबी अंजाम दे सकती है। कंरज पनडुब्बी 67.5 मीटर लंबी, 12.3 मीटर ऊंची, 1565 टन वजनी है।

दिसंबर में पीएम मोदी ने लांच की थी आईएनएस ‘कलवरी’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में बनी स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को पिछले महीने 14 दिसंबर को लांच किया था। वेस्टर्न नेवी कमांड में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी की मौजूदगी में इस पनडुब्बी को नौसेना में कमीशंड किया गया था। इस पनडुब्बी ने केवल नौसेना की ताकत को अलग तरीके से परिभाषित किया, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के लिए भी इसे एक मील का पत्थर माना गया। कलवरी पनडुब्बी को फ्रांस की एक कंपनी ने डिजाइन किया था, तो वहीं मेक इन इंडिया के तहत इसे मुंबई के मझगांव डॉकयॉर्ड में तैयार किया गया। आईएनएस कलवरी के बाद इसी महीने 12 जनवरी को स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खांदेरी को लांच किया गया था। कलवरी और खंडेरी पनडुब्बियां भी आधुनिक फीचर्स से लैस हैं। यह दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगाने में सक्षम हैं, साथ ही टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती हैं।

P-75 प्रोजेक्ट के तहत बन रही हैं पनडुब्बी
आईएनएस कलवरी देश में बनी पहली परमाणु पनडुब्बी है जो भारतीय नौसेना में शामिल की गई थी। P-75 प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के मझगांव डॉक लीमिटेड में बनी कलवरी क्लास की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलावरी है। कलवरी क्लास की 6 पनडुब्बी मुंबई के मझगांव डॉक में एक साथ बन रही हैं और मेक इन इंडिया के तहत इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जा रहा है।

परवान चढ़ता ‘मेक इन इंडिया’ अभियान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू हुआ ‘मेक इन इंडिया’ अभियान परवान चढ़ता जा रहा है। धीरे-धीरे प्रधानमंत्री की इस महात्वाकांक्षी योजना का परिणाम भी सामने आने लगा है। पीएम मोदी ने दूसरे क्षेत्रों के साथ ही रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भी स्वदेशी की बढ़ावा देना शुरू किया था। प्रधानमंत्री ने मिसाइल, गोला-बारूद, टैंक आदि निर्मित करने के लिए विदेशी कंपनियों के बजाय स्वदेशी कंपनियों को तरजीह देने के निर्देश दिए थे। आज ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए रक्षा मंत्रालय ने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की है। यह पैसा पिछले दो वर्षों में छह एयर डिफेंस और एंटी टैंक मिसाइल प्रोजेक्ट को किसी विदेशी कंपनी के बजाय स्वदेशी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) को देने की वजह से बचा है। सिर्फ यही प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि रक्षा मंत्रालय की तमाम ऐसी परियोजनाएं हैं जिन्हें स्वदेशी कंपनियों को दिया गया है और आने वाले दिनों में इनसे करोड़ों रुपये की बचत होगी। बात सिर्फ रुपये की बचत की नहीं है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल की वजह से भारत रक्षा क्षेत्र में ग्लोबल मैन्युफेक्चरिंग हब बनता जा रहा है।

स्वदेशी को बढ़ावे से आयुध कंपनियों की आर्थिक स्थिति सुधरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन की वजह से स्वदेशी आयुध निर्माण कंपनियों की आर्थिक स्थिति काफी सुधर रही है। पहले जिन प्रोजेक्टों के लिए विदेश कंपनियों को पैसा दिया जाता था, वो आज स्वदेशी कंपनियों के पास जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि पीएम मोदी ने पहले मनोहर पर्रिकर, अरुण जेटली और अब निर्मला सीतारमण, जिन्हें भी रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी है, वह भी स्वदेशी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के समर्थक रहे हैं। सरकार ने विदेशी कंपनियों की बजाय जिन प्रोजेक्ट्स के लिए डीआरडीओ पर भरोसा किया उसमें आर्मी और नेवी के लिए जमीन से आसमान में मार सकने वाली छोटी रेंज की मिसाइल (SR-SAMs), आर्मी के लिए जमीन से आसमान में मार सकने वाली और जल्दी एक्शन लेने वाली (QRSAM), आर्मी के लिए एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM), हेलिकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली एंटी टैंक मिसाइल आदि शामिल हैं।

इसके अलावा भी कई ऐसी रक्षा परियोजनाएं हैं जिनमें पीएम मोदी की पहल पर स्वदेशी को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके लिए नीतिगत बदलाव भी किया गया है। डालते हैं एक नजर

नीतिगत पहल और निवेश
रक्षा मंत्रालय आज जो स्वदेशी को बढ़ावा देकर करोड़ों रुपये की बचत कर रहा है, उसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनाई गई नीतियां जिम्मेदार हैं। रक्षा उत्पादों का स्वदेश में निर्माण के लिए मोदी सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी हुई है। इसमें से 49 प्रतिशत तक की FDI को सीधे मंजूरी का प्रावधान है, जबकि 49 प्रतिशत से अधिक के FDI के लिए सरकार से अलग से मंजूरी लेनी पड़ती है।

पीएम मोदी और मेक इन इंडिया के लिए चित्र परिणाम

इजरायल से 500 मिलियन डॉलर का सौदा रद्द किया
रक्षा उत्पादन में स्वदेशी को बढ़ाने के मकसद से हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने इजरायल के साथ हुए 500 मिलियन डॉलर की सौदे को रद्द कर दिया। भारत और इजरायल के बीच यह डील मैन-पॉर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम) के लिए की गई थी। रक्षा मंत्रालय को लगता है कि बगैर किसी दूसरे देश की तकनीकी सहायता के भारतीय आयुध निर्माता अगले 3-4 साल में इसे बनाने मे सक्षम हो जाएंगे। भारत को यह स्पाइक एटीजीएम मिसाइलें, राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम बनाने वाली इजरायली कंपनी सप्लाई करने वाली थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस डील को रद्द करने का निर्णय स्वदेशी कार्यक्रमों की रक्षा करने के लिए गया है। अगर ये मिसाइल विदेशी कंपनियों से मंगाई जाती तो जाहिर है कि डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन पर असर पड़ता।

स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस
मेक इन इंडिया के जरिये लगातार रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता खत्म करने की कोशिश की जा रही है। और पिछले कुछ सालों में इसका बहुत ही अधिक लाभ भी मिल रहा है। रक्षा मंत्रालय ने भारत में निर्मित कई उत्पादों का अनावरण किया है, जैसे HAL का तेजस (Light Combat Aircraft), composites Sonar dome, Portable Telemedicine System (PDF),Penetration-cum-Blast (PCB), विशेष रूप से अर्जुन टैंक के लिए Thermobaric (TB) ammunition, 95% भारतीय पार्ट्स से निर्मित वरुणास्त्र (heavyweight torpedo) और medium range surface to air missiles (MSRAM)।

TEJAS के लिए चित्र परिणाम

मेक इन इंडिया के दो युद्धपोत
अभी तक सरकारी शिपयार्डों में ही युद्धपोतों के स्वदेशीकरण का काम चल रहा था, लेकिन देश में पहली बार नेवी के लिए प्राइवेट सेक्टर के शिपयार्ड में बने दो युद्धपोत पानी में उतारे गए हैं। रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड ने 25 जुलाई, 2017 को गुजरात के पीपावाव में नेवी के लिए दो ऑफशोर पैट्रोल वेसेल (OPV) लॉन्च किए, जिनके नाम शचि और श्रुति हैं।

भारत में बनाओ, भारत में बना खरीदो
इस नीति के तहत रक्षा मंत्रालय ने 82 हजार करोड़ की डील को मंजूरी दी है। इसके अतर्गत Light Combat Aircraft (LCA), T-90 टैंक, Mini-Unmanned Aerial Vehicles (UAV) और light combat helicopters की खरीद भी शामिल है। इस क्षेत्र में MSME को प्रोत्साहित करने के लिए कई सुविधाएं दी गई हैं।

पीएम मोदी और स्टार्टअप्स के लिए चित्र परिणाम

स्वदेशी बुलेटप्रुफ जैकेट से होगी 20 हजार करोड़ रुपए की बचत

जाहिर है कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में ही अधिकतर रक्षा उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो रही है। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में स्वदेशी बुलेटप्रुफ जैकेट को मंजूरी दी है। इस स्वदेशी बुलेटप्रुफ जैकेट से सरकार को हर साल कम से कम 20 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। इस बुलेटप्रुफ जैकेट को भारतीय वैज्ञानिक ने ही बनाया है। 70 साल के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब सेना स्वदेशी बुलेटप्रुफ जैकेट पहनेगी। यह विदेशी जैकेट से काफी हल्का और किफायती भी है। विदेशी जैकेट का वजन 15 से 18 किलोग्राम के बीच होता है जबकि इस स्वदेशी बुलेटप्रुफ जैकेट का वजन सिर्फ 1.5 किलोग्राम है।  कार्बन फाइबर वाले इस जैकेट में 20 लेयर हैं। इसे 57 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर भी पहना जा सकता है। इस स्वदेशी बुलेटप्रुफ जैकेट से सेना को एक लाख रुपए की बचत भी होगी। विदेशी 1.5 लाख रुपए में मिलने वाली जैकेट की जगह यह सिर्फ 50 हजार रुपए में मिलेंगे।

आइए देखते हैं किस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने मेक इन इंडिया की ओर आगे बढ़ रहा है।

सितंबर, 2014 में मेक इन इंडिया की कैंपेन की शुरुआत हुई थी। इसके तहत रक्षा, खाद्य प्रसंस्करण समेत 25 क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा दिए जाने के लिए सरकारी नियम कायदों को आसान बनाया गया। इसी का परिणाम है कि मोदी सरकार के इस अभियान को बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिसने कॉरपोरेट सेक्टर में सरकारी सिस्टम के प्रति भरोसा कायम किया है। फिर वह चाहे प्रस्तावों की मंजूरी में लगने वाले समय में कमी की बात हो या फिर पर्यावरणीय स्वीकृतियां प्राप्त करने में आने वाली अड़चनें। प्रत्येक क्षेत्र में सरकार उद्योगों के अनुकूल माहौल तैयार किया गया।  

मजबूत होगी भारतीय अर्थव्यवस्था
मेक इन इंडिया के पूर्णतया मूर्त रूप लेने से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। युवाओं को देश में रोजगार मिलेगा और विदेशी आयात में कमी आएगी। विदेशी मुद्रा की बचत होगी और सरकारी कोष को मजबूती मिलेगी। रक्षा उत्पादों के देश में बनने के बाद रक्षा सौदों की लागत घटेगी और बिचौलियों से बचा जा सकेगा। कंपनियों से मिलने वाले करों से राज्य सरकार की आय बढ़ेगी और देश के हर भाग में रोजगार की उपलब्धता बढ़ेगी। भारतीय कंपनियों के उत्पादों की सीधी टक्कर अब विदेशी कंपनियों के उत्पादों से होगा और देश की जनता को इस प्रतिद्वंदिता का लाभ मिलेगा। रोजमर्रा के जरूरत की चीजों के दाम घटेंगे और गुणवत्ता बेहतर होगी।

मेक इन इंडिया का उद्देश्य बेरोजगारी दूर करना
मेक इन इंडिया के तहत भारत में शुरू होने वाले उद्योगों के लिए बड़ी संख्या में प्रशिक्षित युवाओं की जरूरत होगी। युवाओं को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए कौशल विकास मंत्रालय द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिसके तहत युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

बुलेट ट्रेन से मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुलेट ट्रेन परियोजना से देश विकसित राष्ट्रों के समकक्ष आकर खड़ा हो जाएगा। बुलेट ट्रेन से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और साथ ही देश के पर्यटन, प्रौद्योगिकी, प्रतिभा और व्यापार को भी सीधे लाभ पहुंचेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से मेक इन इंडिया परियोजना को बढ़ावा मिलेगा। निकट भविष्य में बुलेट ट्रेन के कल-पूर्जों का निर्माण देश में ही होने की उम्मीद है। परियोजना से न केवल देश के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा बल्कि देश में नई प्रौद्योगिकी का भी विकास होगा।

दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी करेगी भारत में निवेश
दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी सऊदी आर्मको भारत में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। कंपनी ने अधिकारिक तौर पर भारत में अपना कार्यालय शुरू कर दिया। आर्मको इंडियन ऑयल के कंशोर्शियम के साथ मिलकर के महाराष्ट्र में जल्द ही नई रिफाइनरी बनाने जा रही है। भारत में 19 प्रतिशत कच्चा तेल और 29 प्रतिशत एलपीजी सऊदी अरब से आयात होता है। वर्ष 2016-17 के दौरान भारत ने सऊदी अरब से 3.95 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया।

एफडीआई में भारत सर्वोच्च
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भारत अपना सर्वोच्च स्थान बनाए हुए हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में देश दुनिया में सबसे ज्यादा एफडीआई आकर्षित करने वाला देश बना है। मेक इन इंडिया के इक्विटी प्रवाह में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। मोदी सरकार ने देश के सभी बड़े क्षेत्रों को एफडीआई के लिए खोल दिया। ढांचागत विकास के लिए मोदी सरकार ने कई क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दे दी गई है। इससे मेक इन इंडिया को सीधे बढ़ावा मिलेगा।

टेक्नोलॉजी एंड टैलेंट में भारत आगे
बीते कुछ वर्षों में भारत ने साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। ISRO द्वारा एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च के करने के बाद भारत की धाक बढ़ी है। भारत ने पूरे विश्व में अपने इंजीनियर और साइंटिस्ट के लिए बड़ी मांग पैदा की है। दुनिया में अब भारत से टॉप स्तर के टेक्नोलॉजी और साइंटिफिक ब्रेन को अपने यहां खींचने की होड़ लग गई है।

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