देश में संवैधानिक रूप से निर्वाचित किसी शख्स के लिए इस तरह की हेडिंग शायद किसी को अच्छा न लगे। मैं भले ही अरविंद केजरीवाल का समर्थन करूं या विरोध, लेकिन भाषा की मर्यादा सही होनी चाहिए। लेकिन जिस तरीके से अरविंद केजरीवाल लगातार भाषा ही नहीं बल्कि भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक मर्यादा को तार-तार कर रहे हैं, मां-बाप और बच्चे के रिश्ते पर राजनीति कर रहे हैं, उसके बाद सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।
अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को लेकर जिस तरीके से भद्दी टिप्पणी की है। स्वाभाविक तौर पर मुझे भी अच्छा नहीं लगा। इसके बाद मैंने उनके कमेंट के नीचे बाकी लोगों के कमेंट पर ध्यान देना शुरू किया तो पता चला कि उनके खिलाफ हजारों लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। उन्हीं के कमेंट के नीचे सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें उनकी मां-बच्चे की फोटो और बयानों के साथ अपने कमेंट किए हैं और आइना दिखाना शुरू कर दिया है।
मामला क्या है?
आज प्रधानमंत्री अपनी मां से मिलने पहुंचे। इसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया पर भी दी और बताया कि इसकी वजह से वो योग में शामिल नहीं हो पाए। फिर क्या था दिल्ली के NRI मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़े। केजरीवाल ने लिखा कि मैं अपनी मां के साथ रहता हूं और ढिंढोरा नहीं पीटता।
The new Oxford Dictionary’s term of the year is @ArvindKejriwal (n)
– it means an unparalleled level of hypocrisy & doublespeak pic.twitter.com/gkM8zfttgS— Rishi Bagree (@rishibagree) January 10, 2017
राजनीतिक फायदे के लिए बच्चे और मां-बाप का इस्तेमाल
अरविंद केजरीवाल की ये टिप्पणी देश के लाखों करोड़ों लोगों को नागवार गुजरी। इसके बाद लोगों ने जो तस्वीरें और पोस्ट की हैं, उससे अरविंद केजरीवाल को भले ही शर्म न आए, लेकिन आपका सिर शर्म से झुक जाएगा। दरअसल अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीति के लिए मां-बाप और बच्चे का इस्तेमाल करने से कभी नहीं चूकते। ऐसे में कई सवाल उनसे पूछे गए हैं।
- क्या अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता पाने के लिए अपने बच्चे की झूठी कसमें नहीं खाईं?
- क्या बच्चे की झूठी कसम खाने के बावजूद केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बने?
- क्या केजरीवाल ने चुनाव में अपने मां-बाप का लगातार और कई बार इस्तेमाल नहीं किया?
- क्या केजरीवाल ने अपनी बुजुर्ग मां को वोट मांगने के लिए सड़क पर नहीं उतार दिया?
- क्या अरविंद केजरीवाल जब राजनीति करने गुजरात पहुंचे तो अपने अपने मां-बाप को लेकर नहीं गए?
- क्या अरविंद केजरीवाल अपने मां-बाप को लेकर चुनाव के वक्त वाराणसी नहीं पहुंचे?
- क्या अरविंद केजरीवाल गुजरात में अपने राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान अपने मां-बाप को लेकर नहीं गए?
- क्या अरविंद केजरीवाल ने ट्वीटर पर मां-बाप की तस्वीर के साथ ढिंढोरा नहीं पीटा की वो उनके साथ टाइम बिताएंगे, जबकि सच ये है कि खुद केजरीवाल ने बताया कि वो अपने मां-बाप के साथ ही रहते हैं?
सच तो ये है कि जितने सवाल लोगों ने सोशल मीडिया पर पूछे हैं…. उन सभी सवालों में अरविंद केजरीवाल का फरेब उजागर हुआ है जबकि नरेंद्र मोदी ने एक मर्यादा का पालन किया है। दरअसल सामाजिक आंदोलन की आड़ में अरविंद केजरीवाल ने देश के साथ धोखा दिया है। बंगला, गाड़ी और सिक्योरिटी का विरोध करते-करते उन्होंने सारी चीजें हथिया लीं। जिस नैतिक मर्यादा की दुहाई देकर वो सत्ता तक पहुंचे और वो सारी नैतिकता छोड़कर नंगई पर उतर आए हैं। एक ने तो ट्वीटर पर यह भी लिखा कि केजरीवाल ने सिर्फ समोसा के नाम पर एक करोड़ रुपये का सरकारी खजाने को चूना लगाया है। यही नहीं दिल्ली में पांच साल केजरीवाल का नारा लगाते हुए जिस शख्स ने चुनाव जीता है, उसने खुद कहा कि अब वो पंजाब में खूंटे गाड़कर बैठेगा।
सच तो ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता औऱ परिवार को दूर-दूर रखा है। नैतिकता उनके लिए सबसे बड़ी पूंजी है, जनता उनकी सबसे बड़ी ताकत है और मां उनकी सबसे बड़ी संपत्ति। कभी उन्होंने राजनीति के साथ परिवार का घालमेल नहीं किया। इस मामले में अरविंद केजरीवाल उन्हें छू भी नहीं सकते। मोदी के रिश्तेदार मजदूरी करके भी सम्मानपूर्वक जीवन जी रहे हैं, लेकिन केजरीवाल ने अपने दूर के रिश्तेदार निकुंज अग्रवाल को भी कानून विरुद्ध जाकर करोड़ों रुपये और पोस्ट भेंट कर दी। सच ये है कि बेशर्म अरविंद केजरीवाल को सत्ता का ऐसा बुखार चढ़ा है कि वो इसके लिए मां-बाप, बच्चे और किसी भी रिश्तेदार को दांव पर लगाने को तैयार हैं। इसमें सबसे बड़ा नुकसान भारतीय लोकतंत्र को हो रहा है।
– हरीश चन्द्र बर्णवाल