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मुसलमान मरे तो खतरे में मानवता, हिंदुओं की Lynching पर क्यों भाग खड़ा होता है ‘सेक्युलर’ जमात?

तथाकथित सेक्युलरों की 'असहिष्णुता' पर सवाल खड़े करती विशेष रिपोर्ट

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साल 2015 में केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लेखकों के एक वर्ग ने पुरस्कार वापस करने का स्वांग रचा तो मीडिया का एक धड़ा भी उसके सुर में सुर मिलाता रहा। इस सुर से जो शब्द निकला, प्रचलित हुआ, वो था ‘असहिष्णुता’। 2017 में भी एक बार फिर तथाकथित सेक्युलर बुद्धिजीवियों ने एक शब्द के इर्द-गिर्द नया स्वांग रचा है। ये शब्द है– Lynching, यानि भीड़ द्वारा बिना पीट-पीट कर हत्या कर देना। लेकिन तथाकथित सेक्युलरों की ये जमात धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हुए अब ‘गुंडागीरी’ पर उतर आयी है। अब ये  नाम से अभियान चला रहे हैं। मुसलमानों की Lynching तो इन्हें दिखती है, लेकिन हिंदुओं के देश में ही हिंदुओं पर मुसलमानों द्वारा की जा रही Lynching इन्हें नहीं दिख रही है, या यूं कहिये कि इन्होंने आंखें बंद कर रखीं हैं। 

हम मानते हैं कि कत्ल चाहे हिन्दुओं का हो या मुसलमानों का – कत्ल को अंजाम तक पहुंचाने वाले दोनों गुनहगार हैं, लेकिन उनका गुनाह भी कम नहीं है, जो क्राइम की घटनाओं के बहाने देश को बदनाम करने में लगे हैं। आइये हम उन घटनाओं को दिखाने की कोशिश करते हैं जिसमें हिन्दुओं के साथ लिंचिंग की घटना हुई, लेकिन इन्हें नहीं दिखा। 

 

पश्चिम बंगाल में तीन हिंदुओं की Lynching
3 मई, 2015 जिहादियों ने पश्चिम बंगाल के जुरानपुर में एक हिंदू परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी। तृणमूल कांग्रेस पार्टी के विधायक मो. नसरुद्दीन अहमद पर हत्यारों को शह देने के आरोप लगे। लेकिन सेक्युलर ममता बनर्जी की सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक की राष्ट्रीय मीडिया ने तो इस खबर को लिया ही नहीं।

महाराष्ट्र के पंढरपुर में Lynching
महाराष्ट्र के पंढरपुर में एक 17 साल के हिंदू लड़के सावन राठौड़ को सिर्फ हिंदु होने के कारण सरेआम जला दिया गया। मामले में फातिम नगर के इब्राहिम मेहबूब शेख, इमरान तांबोली और झुबेर तांबोली पर आरोप लगा, लेकिन इस पर Lynching सेक्युलर जमात ने चुप्पी साध ली। शायद उन्हें ये सामान्य अपराध लगा। लेकिन इसकी हकीकत एक मिनट और 19 सेकेंड के वीडियो से खुल गई जो मौत से पहले सावन राठौड़ ने पुलिस को बताई थी।

एक मिनट और 19 सेकेंड के वीडियो में सावन कहता है, “मैं पंढरपुर में अपने परिवार के साथ काम कर रहा था। एक दिन जब मैं रिसाव ( leak) ठीक रहा था, तीन लोगों ने आपत्ति जताई और मुझसे मेरा नाम पूछा। मैंने कहा सावन राठौड़, उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं हिंदू हूं? मैंने कहा हां। फिर उन्होंने मुझे आग लगा दी।” वीडियो रिकॉर्डिंग करने वाला व्यक्ति, सावन से पूछता है अगर उसे लगता है कि उसे जला दिया गया था क्योंकि वह एक हिंदू है। तो सावन ने सहमति में सिर हिला दी और उसके बाद उसकी मौत हो गई। लेकिन तथाकथित सेक्युलर जमात को इसमें Lynching नहीं दिखी।

बर्दवान में हिंदू महिला की Lynching
पश्चिम बंगाल के बर्दमान में एक हिंदू महिला को मुसलमानों ने पीट-पीट कर सिर्फ इसलिए मार डाला कि उसे बच्चा चोर समझ लिया गया था। स्थानीय लोगों ने इस बात की तस्दीक भी कि उसे सिर्फ इसलिए मार डाला गया कि वो हिंदू थी। लेकिन यहां भी किसी को Lynching नहीं दिखी।

तमिलनाडु में सरेआम Lynching
तमिलनाडु के कोयंबटूर में 18 मार्च, 2017 को एक मुसलमान एच फारुक को सिर्फ इसलिए मार दिया गया कि उसने अपने धर्म (इस्लाम) के बारे में एक तर्कसंगत विचार रखा था। लेकिन उसके ये विचार उनके साथियों को नागवार लगा और Ansath नाम के मुस्लिम युवक के नेतृत्व में एक भीड़ ने फारुक को मार डाला। लेकिन असहिष्णुता का राग अलापने वाले ये झंडाबरदारों ने एक शब्द तक नहीं कहा। आखिर क्यों?

दिल्ली में हिंदू डेंटिस्ट की Lynching
24 मार्च, 2016 को दिल्ली के विकासपुरी में एक डेंटिस्ट डॉ पंकज नारंग को 15 मुसलमानों की भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला, इनमें से चार नाबालिग थे। लेकिन इरफान हबीब और मधु चड्ढा जैसे लोगों को ये केवल एक अपराध ही लगा। इसमें इन्हें कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं दिखा। ये Lynching को महज एक अपराध ठहराने में लग गए।

बर्दवान में इंद्रजीत की Lynching
नवंबर, 2016 को पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले में इंद्रजीत दत्ता को मुसलमानों की भीड़ ने सिर्फ इसलिये मार डाला कि उसने मोहर्रम का चंदा देने से मना कर दिया था।

24 परगना में ITI स्टूडेंट की Lynching
11 मई, 2016 को पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक हिंदू आईआईटी स्टूडेंड कौशिक पुरोहित को भैंस चोरी का आरोप लगाकर मुसलमानों की भीड़ ने मार डाला। इस भीड़ की अगुवाई टीएमसी नेता तपस मलिक कर रहे थे। लेकिन इस Lynching पर न तो तथाकथि सेक्युलर बोले और न ही असहिष्णुता के पैरोकार।

उल्लास नगर में हिंदू दलित बच्चों का उत्पीड़न
21मई 2017, को महाराष्ट्र के उल्हास नगर में कुछ मुसलमानों ने आठ वर्ष के दो दलित बच्चों की चकली मांगने पर पिटाई कर दी। इतना ही नहीं इसके बाल काट दिए गये और चप्पलों की माला पहना कर सड़कों पर घुमाया। आरोपी महमूद इरफान और सलीम था, हालांकि इसमें कई और भी शामिल था। लेकिन तथाकथि सेकुलरों की जमात को ये भी धर्मनिरपेक्ष कार्रवाई लगी।

पश्चिम बंगाल में नादिया जिले के शांतिपुर में 45 साल के गरीब मछुआरे को मुसलमानों की भीड़ ने मार डाला। मारने वाले सभी 15 आरोपी मुसलमान थे। लेकिन इस मामले को भी पश्चिम बंगाल पुलिस ने लीपापोती करते हुए महज तीन लोगों को ही गिरफ्तार किया।

जिहाद के नाम पर हिंदू लड़कियों का रेप
पश्चिम बंगाल में जेहादी मुसलमानों ने ईसाई के नामों को अपना लिया है। चर्च की सहायता से ईसाई होम चलाया जा रहे हैं और गरीब हिंदू लड़कियों को अपना शिकार बना रहे हैं। बीते दिनों खुलासा हुआ कि नूर इस्लाम और साइमन इस्लाम नाम का एक व्यक्ति नकली पादरी बनकर हुगली में ‘भस्त्रारा क्रिश्चियन होम’ चला रहा था और योजनाबद्ध तरीके से हिंदू लड़कियों को अपने जाल में फंसा रहा था। सैकड़ों हिंदू लड़कियों को अपना शिकार बना चुका साइमन इस्लाम पर सेक्युलर जमात चुप क्यों?

आजम खान की क्यों नहीं काटते जुबान?
बुलंदशहर में एक टैक्सी चालक परिवार के साथ जब मुसलमानों ने सामूहिक बलात्कार किया तो आजम खान ने इसे राजनैतिक साजिश बता दिया। क्योंकि यहां पीड़ित हिंदू थे। उस वक्त की अखिलेश यादव की सरकार भी इसी दिशा में सोचती रही और असहिष्णुता के पैरोकारों ने चुप्पी लगा ली थी।

आगरा में हिंदू नेता की हत्या पर कोई बवाल नहीं
आगरा में एक हिंदू दलित नेता अरुण कुमार की Lynching शाहरुख, राजा, इम्तियाज, अबीद और दिलशाद नाम के मुसलमानों ने की। लेकिन इस पर कोई बवाल नहीं मचा। उनके परिजनों की बात पर गौर करिये “हम अपने काम की बात करते हुए मंदिर से घर जा रहे थे, तभी इन लोगों ने मेरे भाई का मजाक उड़ाते हुए गाली देना शुरू कर दिया। इससे पहले कि हम प्रतिक्रिया दे सकें, उन्होंने हमारे ऊपर थप्पड़ चला दिया और शाहरुख ने अरुण को सिर में गोली मार दी, जबकि उनके साथियों ने मुझे मारना शुरू कर दिया।” अकारण हुई इस हत्या पर कोई मानवाधिकार का पैरोकार आगे नहीं आया।

हिंदू कहकर हाल में हुई हत्याएं और हमले
16 फरवरी 2016 : आरएसएस और भाजपा कार्यकर्ता पीवी सुजीत का केरल में कन्नूर में उनके घर में हत्या।
12 फरवरी 201: भोजपुर में भाजपा बिहार के उपराष्ट्रपति विशेश्वर ओझा की हत्या।
9 अक्टूबर 2015: गोकशी का विरोध करने पर कर्नाटक के मूडबिद्री में प्रशांत पुजारी की हत्या।
जून 2014 : यूपी में 10 दिनों के भीतर 3 भाजपा नेताओं (विजय पंडित, ओमवीर सिंह फौजी, राकेश रस्तोगी) की हत्या।
जुलाई 2014 : सीपीएम कैडर द्वारा त्रिपुरा में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला किया गया।
20 जुलाई 2013 : भाजपा के राज्य महासचिव के अकाउंटेंट वी रमेश की सलेम में हत्या।

5 अक्टूबर 2015, को भाजपा नेता और एक पूर्व सरपंच, कपूरचंद ठाकरे को मुसलमानों ने गोली मारकर हत्या कर दी। कार से मोटरसाइकिल टच हो जाने के बाद झगड़ा बढ़ा और मुसलमानों ने पहले सामूहिक रूप से ठाकरे की पिटाई की और बाद में गोली मारकर हत्या कर दी।

रामपुर में हिंदू किशोर की Lynching
रामपुर में खेत में गाय चराने की मामूली घटना पर मुसलमानों ने मिलकर 15 साल के बच्चे की गोली मारकर हत्या कर दी, घर में आग लगा दी। सिर्फ इसलिए कि एक हिंदू ने मुसलमान के चारागाह में गाय चराई थी। इस घटना पर भी कोई सेक्युलर पैरोकार आगे नहीं आया, क्योंकि यहां भी एक हिंदू मारा गया था।

कन्नौज में हिंदू युवक की Lynching
24 अक्टूबर 2015 को यूपी कन्नौज में मुसलमानों ने दुर्गा पूजा के जुलूस के ही रोक दिया। मुसलमानों ने हिंदू युवक को सरेआम मार डाला। लेकिन कोई सेकुलर नुमाइंदा वहां नहीं पहुंचा।

बहरहाल, तथाकथित सेक्युलरों को ये तो सोचना ही पड़ेगा कि आखिर सदियों पुरानी भारतीय सभ्यता आज भी इसलिए जीवित है कि सहिष्णुता इसका स्वभाव ही नहीं, सांस भी है। हिंदू संस्कृति की छांव में बौद्ध, जैन, सिख तो यहीं जन्मे और बढ़े भी। इसके साथ-साथ अरब से आए इस्लाम जैसे धर्म को भी यहां बढ़ावा मिला। यह अलग बात है कि इस सहिष्णुता की सांस की कीमत भी देश चुकाता आ रहा है।

1 COMMENT

  1. हिन्दु एक होकर विरोध नहीं करता , शास्त्र शस्त्र व स्वरोजगार नहीं अपनाता ,हिन्दु एकता बनाने में हंमारें साधु सन्त समाज कुछ नहीं कर रहे हैं जिसकी वजह से हिन्दु मर रहा है ।

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