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हम तय करें कि जितने बेटे पैदा होंगे, उतनी ही बेटियां भी पैदा होंगी- प्रधानमंत्री मोदी

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तीन वर्षों में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सफलता को देखते हुए गुरुवार से इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया है। इसके अलावा गुरुवार से ही राष्ट्रीय पोषण मिशन की भी शुरुआत की गई है। राजस्थान के झुंझुनूं में दोनों कार्यक्रमों की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ में झुंझुनूं की सफलता से पूरे देश को प्रेरणा मिलेगी। राष्ट्रीय पोषण मिशन को आरंभ करते हुए उन्होंने कहा कि अगर देश का बच्चा पोषित होगा, तो देश का भविष्य भी बेहतर बनेगा।

बेटी बोझ नहीं, बेटी पूरे परिवार की आन-बान-शान है- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि समाज में बेटे-बेटियों की संख्या में असंतुलन को ठीक करने में समय लगेगा, क्योंकि यह कई पीढ़ियों की समस्या है। इसके लिए उन्होंने समाज से, सरकारी कर्मचारियों से, राज्यों से मिलकर जन-आंदोलन चलाने का आह्वान किया। इस अवसर पर उन्होंने इस क्षेत्र में हरियाणा की सफलता पर बहुत ही खुशी जताई। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने बेटियों की संख्या में वृद्धि करके समाज में एक नया विश्वास पैदा किया है। उन्होंने देश के उन पहले 10 जिलों की सराहना की, जो बेटों के बराबर बेटियों की संख्या लाने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी बुराई मिटाने में समय लगेगा। उन्होंने कहा- “हम तय करें कि जितने बेटे पैदा होंगे, उतनी ही बेटियां भी पैदा होंगी। जितने ही बेटा पढ़ेंगे, उतनी ही बेटियां भी पढ़ेंगी।” इसके लिए उन्होंने सास की भूमिका को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया। उनके शब्दों में- “एक बार सास कह दे कि घर में बेटी चाहिए, तो किसी की ताकत नहीं है कि बेटी के साथ कोई अन्याय कर सके।”

पीएम सुनते ही पोषण मिशन दिखना चाहिए- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने कहा है कि देश में कुपोषण एक बहुत बड़ी समस्या है। अब तक माना जाता था कि सिर्फ खाना खाने या उचित कैलोरी लेना ही इसका समाधान है, लेकिन अनुभव बताता है कि इसके और भी कारण हैं। कुपोषण में अज्ञानता का भी बहुत बड़ा रोल है। बाल विवाह, खराब पानी और अस्वच्छता भी इसके बड़े कारण हैं। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों की मौत हो जाती है, उनमें से 30-40% वो होते हैं, जो बिना हाथ धोए खाना खाते हैं या जिन्हें गंदे हाथों से खाना खिलाया जाता है। इसके लिए लगभग 9 हजार करोड़ रुपये की राष्ट्रीय पोषण योजना शुरू की गई है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, कि उनकी जितनी बुराई करनी हो करें, लेकिन,” जब भी पीएम बोलें या मन में पीएम आए, तो आपको नरेन्द्र मोदी नहीं दिखना चाहिए, पीएम सुनते ही पोषण मिशन दिखना चाहिए।” उन्होंने कहा कि इस योजना का लक्ष्य 2022 तक कुपोषण से मुक्ति, जन्म के समय उचित भोजन और बच्चों की लंबाई पर ध्यान देना है। प्रधानमंत्री ने गर्भवती माताओं के पोषण पर जोर देते हुए कहा कि, “मां की अगर हम रखवाली करेंगे, तो उसकी कोख से होने वाले बच्चे भी कुपोषण से मुक्त होंगे।”

प्रधानमंत्री ने कहा है कि मिशन इंद्रधनुष के तहत देश में टीकाकरण अभियान में बहुत तेजी आई है। इस साल अंत तक 90 प्रतिशत टीकाकरण कार्य पूरा कर लेने की उम्मीद है।

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