Home विपक्ष विशेष लालू ही नहीं, भ्रष्टाचार में डूबा है उनका पूरा परिवार

लालू ही नहीं, भ्रष्टाचार में डूबा है उनका पूरा परिवार

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करीब 5 साल बाद आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव को चारा घोटाले के दूसरे केस में भी सजा मिल चुकी है। झारखंड के देवघर ट्रेजरी से अवैध निकासी के मामले में रांची सीबीआई कोर्ट ने उन्हें 3.5 साल कारावास और 5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इससे पहले चारा घोटाले के ही एक अलग केस में भी उन्हें 5 साल की सजा मिली हुई है। उस केस में वो 4 साल से जमानत पर हैं। इस ऐतिहासिक घोटाले के तीन और मामलों में भी जल्द ही सजा का ऐलान होने वाला है। उन मामलों में भी लालू यादव ही मुख्य आरोपी हैं। यूं कह लीजिए कि लालू और उनका पूरा कुनबा इस वक्त घोषित तौर पर देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी परिवार बन चुका है।

लालू परिवार के कई और सदस्यों पर भी जेल जाने की लटकी है तलवार
लालू यादव तो जेल की हवा खा ही रहे हैं, उनके परिवार के कम से कम 6 सदस्यों को भी जेल जाने का भय सता रहा है। इनमें उनकी पत्नी और बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती एवं उनके पति, छोटे बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव शामिल हैं। इन लोगों पर अलग-अलग मामलों में रेलवे घोटाले से अवैध संपत्ति जुटाने और उन पैसों से बेनामी संपत्ति हासिल करने के आरोप हैं। इसके साथ ही कालेधन से बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्ति जुटाने के भी आरोप हैं। 

950 करोड़ का चारा खा चुके हैं लालू
90 के दशक में जब लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बिहार की जनता के खून पसीने की कमाई लूट ली। 950 करोड़ चारा घोटाला के नाम से मशहूर इस स्कैम का डायरेक्ट कनेक्शन लालू प्रसाद से निकला और अदालत ने उन्हें अबतक दो मामलों में सजा भी सुना दी है। सजायाफ्ता लालू चुनाव तो नहीं लड़ सकते, लेकिन उन्होंने अभी तक भी भ्रष्टाचार और घोटालों से मुंह नहीं मोड़ा है।  

मीसा भारती फॉर्म हाउस केस में भी चार्जशीट
6 जनवरी,2018 को यानी लालू को सजा मिलने के दिन ही ईडी ने लालू की बेटी मीसा भारती के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली की अदालत में दूसरी चार्जशीट भी दायर कर दी है। गौरतलब है कि बीते 4 सितंबर को ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार का फॉर्म हाउस कुर्क कर लिया था। मनी लॉन्ड्रिंग और करोड़ों रुपये के बेनामी संपत्ति के मामले में ईडी ने 8 जुलाई को मीसा और शैलेश के ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी ने मीसा और शैलेश से घंटों पूछताछ भी की थी। यह फॉर्म हाउस मुखौटा कंपनियों के जरिए आए धन से तब खरीदा गया था, जब लालू यादव रेलमंत्री थे।

मीसा भारती का दूसरा बड़ा जमीन घोटाला
लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती और दामाद का दिखावे की एक और कंपनी के माध्यम से दिल्ली में एक और संपत्ति खरीदने का भी मामला है। दरअसल KHK होल्डिंग्स नाम की इस कंपनी का उपयोग सैनिक फार्म्स में 2.8 एकड़ का फार्म हाउस खरीदने के लिए किया गया। यह कंपनी असल में विवेक नागपाल नाम के एक व्यक्ति की थी, लेकिन, 2014 में विवेक ने कंपनी के 10,000 शेयर सिर्फ एक लाख रुपये में मीसा और शैलेश को ट्रांसफर कर दिए। नापगाल ने KHK होल्डिंग्स के माध्यम से ही सैनिक फार्म्स की संपत्ति खरीदी थी। माना जा रहा है कि इस प्रॉपर्टी की कीमत भी 50 करोड़ रुपये से अधिक होगी।

90 दिनों के लिए अटैच की गईं संपत्तियां
इससे पहले भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति के एक मामले में भी लालू यादव एंड फैमिली पर शिकंजा कस चुका है। आयकर विभाग ने पटना के दानापुर और फुलवारीशरीफ स्थित तीन भू-खंडों को जब्त कर लिया था। ये भू-खंड बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनकी बेटी हेमा यादव के नाम से है।दानापुर और फुलवारी शरीफ स्थित ये भू-खंड 90 दिनों के लिए अस्थायी तौर पर अटैच किया गया था। संपत्तियों के स्थायी तौर पर अटैच होने के बाद इसका ट्रायल नई दिल्ली बेनामी संपत्ति कोर्ट में चलना है। 

सात साल तक की हो सकती है सजा
फुलवारीशरीफ मौजा सगुना में राबड़ी देवी के नाम पर 2.5 डिसमिल जमीन है। यह जमीन विधान परिषद के चपरासी और लालू यादव के घरेलू नौकर ललन चौधरी ने राबड़ी देवी को जनवरी 2014 में दान में दी थी। ललन चौधरी ने फुलवारीशरीफ के एक किसान विष्णुदेव से 30 लाख रुपये में यह जमीन खरीदी थी। ट्रायल में राबड़ी देवी, हेमा यादव, बेनामीदार ललन चौधरी और हृदयानंद चौधरी को आरोपी बनाया जा सकता है। अगर ट्रायल के बाद मामला सही साबित हुआ तो बेनामी संपत्ति कानून के तहत सभी को सात साल तक की सजा हो सकती है।

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ललन की जमीन का भुगतान लालू यादव ने किया !
आयकर विभाग का मानना है कि ललन चौधरी की इतनी आय नहीं थी कि वह इतनी कीमती जमीन खरीद सके। आयकर अधिकारियों को आशंका है कि ललन चौधरी ने जो जमीन खरीदी थी, उसके पैसे का भुगतान किसी और ने किया है। गौरतलब है कि दानापुर धन्नौत में ललन चौधरी ने ही 7.5 डिसमिल जमीन लालू प्रसाद की पुत्री हेमा यादव को फरवरी 2014 को दान में दी है। यह जमीन भी ललन ने एक किसान से 62 लाख में खरीदी थी।

राबड़ी देवी और लालू यादव (फाइल फोटो)

चपरासी की जमीन खरीद का भुगतान राबड़ी ने किया!
बेनामी संपत्ति का मामला विधान परिषद के चपरासी हृदयानंद चौधरी से जुड़ा है। दरअसल हृदयानंद चौधरी ने 7.5 डिसमिल जमीन लालू प्रसाद की पुत्री हेमा यादव को फरवरी, 2014 में दान में दी थी। हृदयानंद ने यह जमीन एक किसान से 62 लाख रुपये में खरीदी थी। हृदयानंद भी आयकर रिटर्न फाइल नहीं करता है और उसकी आय इतनी नहीं है कि 62 लाख की जमीन खरीद सके। गौरतलब है कि एसटीएफ के जलवाहक विंग में कार्यरत रहा हृदयानंद  लालू के गोशाला में काम करता था।

लालू परिवार की बढ़ी मुश्किलें, राबड़ी और हेमा यादव की संपत्ति जब्त

लालू-तेजस्वी से सीबीआई कर चुकी है पूछताछ
दरअसल 15 हजार करोड़ से अधिक अघोषित संपत्ति के मालिक लालू प्रसाद एंड फैमिली पर इनकम टैक्स, ईडी से लेकर सीबीआई तक का शिकंजा लगातार बढ़ता दिख रहा है। आईआरसीटीसी होटल कांट्रैक्ट में भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई लालू यादव और उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव से लंबी पूछताछ कर चुकी है।

सत्ता का दुरुपयोग कर राजभोग करने वाले लालू प्रसाद एंड फैमिली के घोटालों की फेहरिस्त लंबी है।

रेलमंत्री रहते देश का खजाना लूट लिया
लालू प्रसाद ने 2006 में मनमोहन सरकार में रेल मंत्री रहते हुए रांची और पुरी स्थित रेलवे के दो होटलों को लीज पर देने में भी घोटाला कर लिया। इस मामले में लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी समेत 8 लोगों पर धारा 420 और 120बी के तहत केस दर्ज है। दरअसल रांची और पुरी के चाणक्य बीएनआर होटल रेलवे के हेरिटेज होटल थे, लेकिन लालू ने उसे अपने करीबियों को औने-पौने दामों में सौंप दिया। सबसे बड़ी बात है कि पूरा रेनोवेशन हो जाने के चलते उस का ऐतिहासिक महत्व भी खत्म किया जा चुका है।

दिल्ली में लालू परिवार की कई संदिग्ध संपत्ति
लालू प्रसाद एंड फैमिली पर दिल्ली में अवैध तरीके से 115 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने के आरोप है। दरअसल लालू का परिवार डिलाइट मार्केटिंग, ए़ के इंफोसिस्टम की तर्ज पर ए़ बी एक्सपोर्ट्स कंपनी के भी मालिक हैं। इस कंपनी के सभी शेयरधारक और निदेशक पद पर लालू के परिवार के लोगों का कब्जा है। इतना ही नहीं दिल्ली के सबसे पॉश इलाके में जमीन खरीदने के लिए मुंबई के पांच बड़े ज्वेलर्स, सोने के व्यापारियों ने ए़ बी एक्सपोर्ट्स कंपनी को वर्ष 2007-2008 में एक-एक करोड़ के यानी पांच करोड़ रुपये बिना ब्याज के कर्ज दिए। इसी पांच करोड़ रुपये से उसी वर्ष नई दिल्ली के डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में 800 वर्ग मीटर जमीन मकान सहित पांच करोड़ रुपये में खरीदा गया। आज इस जमीन की कीमत 55 करोड़ से ज्यादा है। 

लालू के बेटे के नाम पर संदिग्ध जमीन
लालू यादव के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव पर शेयर की जानकारी छिपाने का आरोप है। 2010 में लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से 45 डेसि‍मल जमीन, 53.34 लाख रुपये में खरीदी और इस जमीन पर एक मोटरसाइकिल कंपनी का शोरूम भी शुरू किया गया। इस शोरूम को शुरू करने के लिए 2.29 करोड़ रुपये कर्ज लिए गए, तब तेजप्रताप इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। हालांकि 2015 में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद तेजप्रताप यादव ने इस कंपनी के प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन चुनाव आयोग को दिए गए ब्योरे में तेजप्रताप यादव ने न अपने शेयर की जानकारी दी और न कर्ज का कोई उल्लेख किया।

पेट्रोल पंप लेने के लिए बेटे ने की धांधली
बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप ने पटना के न्यू बाइपास पर बेऊर के पास गलत कागजों के आधार पर अधिकारियों की मिलीभगत से 2011 में भारत पेट्रोलियम का एक पेट्रोल पंप अपने नाम आवंटित करा लिया था। जिस समय तेजप्रताप ने पेट्रोल पंप के लिए आवेदन किया और इंटरव्यू दिया, उस समय नेशनल हाईवे-30 पर न्यू बाइपास की 43 डिसमिल जमीन उनके पास नहीं थी। दरअसल पटना के बिहटा में बीयर फैक्ट्री लगाने वाले अमित कत्याल ने 9 जनवरी, 2012 को एके इंफोसिस्टम कंपनी के निदेशक के नाते लालू के छोटे बेटे और राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव को पेट्रोल पंप लगाने के लिए 136 डिसमिल जमीन लीज पर दी थी। यानी पेट्रोल पंप के लिए आवेदन तेजप्रताप ने किया था, लेकिन पेट्रोल पंप की जमीन की लीज तेजस्वी के नाम थी। फिर भी तेजप्रताप को पेट्रोल पंप कैसे आवंटित किया गया ? हालांकि इसका आवंटन रद्द किया जा चुका है।

पेट्रोल पंप की छिपा ली जानकारी
सबसे बड़ी बात है कि किसी भी पेट्रोल पंप लेने की प्रक्रिया से पहले एक शपथपत्र देना पड़ता है, जिसमें यह लिखा जाता है कि आवेदक किसी भी निजी और सरकारी पद पर आसीन नहीं होगा। किसी भी तरह के सरकारी पद का लाभ नहीं लेगा। लेकिन फिर भी तेजप्रताप नीतीश सरकार में मंत्री बने हुए थे, वेतन लेते रहे, सरकारी गाड़ी,और बाकी सुविधाओं का उपयोग करते रहे। इतना ही नहीं उन्होंने जो अपनी संपत्ति का जो ब्योरा उपलब्ध कराया था, उसमें भी इस पेट्रोल पंप का जिक्र नहीं था।

पटना में भ्रष्टाचार का मॉल भी कुर्क
लालू प्रसाद पर पटना में सबसे बड़ा मॉल बनवाने के लिए परिवार के नाम पर 200 करोड़ की जमीन भ्रष्ट तरीके से हड़पने का आरोप है।आरोप है कि लालू प्रसाद ने ये जमीन रेलमंत्री रहते हुए रांची और पुरी में रेलवे के दो होटलों को लीज पर देने के एवज में ही गैर-कानूनी तरीके से हथिया लिया है। जिस कंपनी के नाम जमीन का मालिकाना हक है उसके डायरेक्टर लालू के बेटे और बेटियां हैं। फिलहाल इस विवादित मॉल को कुर्क किया जा चुका  है।

Image result for पटना में लालू का मॉल

चारा घोटाला के बाद मिट्टी घोटाला
दिलचस्प है कि मॉल की इसी जमीन की मिट्टी को लेकर भी लालू यादव और उनके परिवार पर 80 लाख रुपये के मिट्टी घोटाले का भी आरोप है। इसके अनुसार लालू के दबाव में पटना के चिड़िया घर को दानापुर में बन रहे लालू एंड फैमिली के मॉल की मिट्टी जबरन बेची गई। यानी पहले जमीन घोटाला किया और फिर घोटाले वाली जमीन से निकली मिट्टी से भी घोटाला कर लिया। 

घूस लेकर बनाया मंत्री
लालू यादव पर आरोप है कि यूपीए- 1 के दौरान उन्होंने मनमोहन सरकार में मंत्री बनवाने के एवज में रिश्वत के तौर पर जमीन लिखवाई। लालू पर जिन लोगों से जमीन लेकर मंत्री बनवाने का आरोप है वो हैं रघुनाथ झा और कांति सिंह। ये दोनों मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं। दोनों नेताओं ने माना भी है कि उन्होंने लालू यादव के परिवार को गिफ्ट में जमीनें दी हैं।

पार्टी का टिकट बेचकर खरीदा बंगला
गोपालगंज के एनएच 28 के किनारे हजियापुर वार्ड नम्बर 16 में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का यादव का वह बंगला है, जो कभी गोपालगंज के तत्कालीन सांसद रघुनाथ झा ने बड़े ही शौक से अपने लिए बनवाया था। लेकिन बाद में रघुनाथ झा लालू को यह घर गिफ्ट कर दिया था। कहा जा रहा था कि रघुनाथ झा ने राजद की सीट पर बेतिया से चुनाव लड़ने के एवज में यह बंगला गिफ्ट किया है। दस्तावेजों से भी साफ है कि रघुनाथ झा ने अपने बंगले को लालू परिवार के नाम किया है।

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