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केजरीवाल का एक और पाखंड, पंजाब में पत्नी, बेटी को प्रचार में उतारा

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक और पाखंड सामने आया है। यह पाखंड परिवार को लेकर है। हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात यात्रा के दौरान अपनी मां से मिलने पहुंचे तो उन्होंने उसकी जानकारी सोशल मीडिया पर भी दी और बताया था कि इसकी वजह से वे योग नहीं कर पाए। इसपर केजरीवाल ने कहा था कि मैं अपनी माँ के साथ रहता हूँ, रोज उनका आशीर्वाद लेता हूँ लेकिन ढिंढोरा नहीं पीटता।

केजरीवाल ने यह भी कहा था कि मैं माँ को राजनीति के लिए बैंक की लाइन में भी नहीं लगाता। लेकिन खुद अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीति के लिए मां-बाप और बच्चे का इस्तेमाल करने से कभी नहीं चूकते। इन ट्वीट्स के जवाब में यूजर्स ने केजरीवाल को लताड़ लगाई। कई यूजर्स ने राजनीति में परिवार को घसीटने को लेकर केजरीवाल को ताने मारे।

परिवार को प्रचार में लगाया
राजनीति के लिए परिवार के इस्तेमाल का ताजा मामला यह है कि पंजाब के चुनावी मैदान में केजरीवाल का परिवार भी कूद पड़ा है। केजरीवाल के बेटे पुलकित केजरीवाल और बेटी हर्षिता केजरीवाल ने अमृतसर साउथ विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया। हर्षिता ने सड़कों पर हाथ जोड़कर लोगों से वोट मांगे। इसके साथ ही दोरांगला में जनसभा के दौरान सुनीता ने केजरीवाल के साथ सिर्फ मंच शेयर नहीं किया। बल्कि अलग से लोगों के साथ बात भी की। चर्चा ये भी रही कि केजरीवाल चुनाव में पत्नी को सीएम कैंडिडेट के लिए प्रमोट तो नहीं करना चाहते।

सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें राजनीतिक फायदे के लिए बच्चे और मां-बाप का इस्तेमाल करने के लिए आइना दिखाना शुरू कर दिया। ऐसे में उनसे कई सवाल उनसे पूछे गए।

  • क्या अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता पाने के लिए अपने बच्चे की झूठी कसमें नहीं खाईं?
  • क्या बच्चे की झूठी कसम खाने के बावजूद केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बने?
  • क्या केजरीवाल ने चुनाव में अपने मां-बाप का लगातार और कई बार इस्तेमाल नहीं किया?
  • क्या केजरीवाल ने अपनी बुजुर्ग मां को वोट मांगने के लिए सड़क पर नहीं उतार दिया?
  • क्या अरविंद केजरीवाल जब राजनीति करने गुजरात पहुंचे तो अपने अपने मां-बाप को लेकर नहीं गए?
  • क्या अरविंद केजरीवाल अपने मां-बाप को लेकर चुनाव के वक्त वाराणसी नहीं पहुंचे?
  • क्या अरविंद केजरीवाल गुजरात में अपने राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान अपने मां-बाप को लेकर नहीं गए?

इस पाखंड के साथ केजरीवाल का फरेब उजागर हुआ है। सामाजिक आंदोलन की आड़ में उन्होंने देश के साथ धोखा दिया है। बंगला, गाड़ी और सिक्योरिटी का विरोध करते-करते उन्होंने सारी चीजें हथिया लीं। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवार को सत्ता और सियासत से दूर-दूर रखा है। वहीं केजरीवाल ने तो करीबी के साथ-साथ दूर के रिश्तेदारों को भी उपकृत किया है। उन्होंने अपने दूर के रिश्तेदार निकुंज अग्रवाल को कानून विरुद्ध जाकर स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी बना दिया। सच तो यह है कि केजरीवाल को सत्ता का ऐसा नशा चढ़ा है कि वो इसके लिए मां-बाप, बच्चे और किसी भी रिश्तेदार को दांव पर लगाने को तैयार रहते हैं।

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