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केजरीवाल का एक और यू-टर्न

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पंजाब के मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे अरविंद केजरीवाल की लालसा का खुलासा होते ही दिल्ली की राजनीति गरमा गई। अब जबकि दिल्ली में पूरी सरकारी मशीनरी चरमराई हुई है। सड़कों पर कूड़े का अंबार लगा हुआ है। कोई काम नहीं हो रहा है। साफ है कि दिल्ली की समस्या-परेशानी से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है और वे इसपर ध्यान भी नहीं दे रहे हैं। वे सिर्फ मौके की तलाश में हैं जिससे दिल्ली से बाहर सियासी जमीन बना सकें।

इसके पहले जब वे 49 दिन की सरकार के सीएम पद से इस्तीफा देकर नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव हारकर दिल्ली लौटे थे, तो यहां की जनता से माफी मांगते हुए कहा था कि अब कभी दिल्ली छोड़कर नहीं जाऊंगा। लेकिन दिल्ली वालों को पांच साल केजरीवाल का नारा देकर अब पंजाब को धोखा देने की तैयारी में हैं। दिल्ली की जनता को धोखा देकर बीच मंझधार में छोड़ देने वाले केजरीवाल अब कह रहे हैं कि खूंटा गाड कर पंजाब में बैठूंगा।

केजरीवाल फिलहाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी नहीं देना चाहते क्योंकि अभी जो सीएम के नाम पर सुविधाएं मिल रही हैं और जनता के पैसे का दुरूपयोग कर रहे हैं, वो नहीं कर पाएंगे। इस्तीफा तो लोगों को बेवकूफ बनाकर बाद में भी दिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि केजरीवाल दिल्ली को पूर्णराज्य का दर्जा ना होने के कारण पंजाब जाना चाहते हैं। इसलिए ज्यादातर मंत्रालय मनीष सिसोदिया को सौंप चुके हैं। इसके साथ ही अब यह भी साफ होता जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू आप में शामिल क्यों नहीं हो पाएं। असल में सिद्धू भी सीएम उम्मीदवार बनना चाहते थे जिसे वे कैसे स्वीकार कर सकते थे?

दिल्ली छोड़कर पंजाब जाने की बात अरविंद केजरीवाल के लिए पहला यू-टर्न नहीं है। उनकी पूरी जिंदगी ही एक यू-टर्न नेता के रूप में रही है। आइये एक नजर डालते हैं अहम मौकों पर केजरीवाल के U-टर्न पर

U टर्न नम्बर 1
कालाधन और भ्रष्टाचार के विरोध में आंदोलन, लेकिन जब कालाधन के खिलाफ देशव्यापी नोटबंदी का एलान हुआ, तो इसका समर्थन करने के बजाए केजरीवाल ने U टर्न ले लिया और विरोध के लिए बहाने ढूंढ़ते नज़र आए।

U टर्न नम्बर 2
केजरीवाल ने भ्रष्टाचार ही नहीं जाति से ऊपर उठकर राजनीति करने की वकालत की थी लेकिन पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने यू टर्न ले लिया। केजरीवाल ने एलान किया है कि पंजाब में उनकी पार्टी जीती तो प्रदेश को पहला डिप्टी दलित सीएम मिलेगा।

U टर्न नम्बर 3
देशभक्ति के तराने गाने वाले अरविन्द केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी अपने देश की सरकार के दावे पर उंगली उठाई। पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे।

U टर्न नम्बर 4
अन्ना आंदोलन के दौरान कहा करते थे- राजनीति करने नहीं आया हूँ, मुझे संसद नहीं जाना, पीएम-सीएम नहीं बनना, मैं भ्रष्टाचार मिटाने निकला हूँ। लेकिन यू टर्न लेते हुए 26 नवंबर 2012 को केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन कर लिया।

U टर्न नम्बर 5
अरविन्द केजरीवाल कहा करते थे कि जो अन्ना कहेंगे वही कहूंगा। पर अन्ना ने जब राजनीतिक दल बनाने पर हामी भरने से इनकार कर दिया तो ‘जनता की राय’ के बहाने नयी पार्टी बना डाली। अपने गुरु को अकेला छोड़ दिया।

U टर्न नम्बर 6
केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि सरकार बनाने के लिए वो कांग्रेस को ना समर्थन देंगे ना कांग्रेस से समर्थन लेंगे। लेकिन सत्ता के लोभ में U टर्न ले लिया। कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में पहली बार सरकार बनायी और मुख्यमंत्री बन बैठे।

U टर्न नम्बर 7
केजरीवाल कहा करते थे कि वो सरकारी बंगला, गाड़ी और लालबत्ती नहीं लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने तमाम मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के लिए भी सरकारी एश-ओ-आराम हासिल किए।

U टर्न नम्बर 8
सरकार में आने के बाद 15 दिन में जनलोकपाल लाने का वादा किया, पर वो वादा भी अधूरा रहा। बहानेबाजी करते हुए 14 जनवरी 2014 को ज़िम्मेदारी से भाग निकले, सरकार ही छोड़ दी।

U टर्न नम्बर 9
जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं तो उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले उठाते रहे अरविन्द केजरीवाल। कहा था- सीएम बना तो 2 दिन में शीला जाएगी जेल, है 370 पन्नों का सबूत। लेकिन मुख्यमंत्री बनने पर लम्बी चुप्पी साध ली, फिर भेज दी केन्द्र को रिपोर्ट।

U टर्न नम्बर 10
लालू प्रसाद यादव पर भ्रष्टाचार के लिए लगातार उंगली उठाते रहे अरविन्द केजरीवाल बिहार में चुनाव के दौरान यू टर्न लेते दिखे, जब वो सार्वजनिक मंच पर लालू से गले मिले।

U टर्न नम्बर 11
दिल्लीवासियों को 700 लीटर पानी रोज मुफ्त देने का वादा आप नेता अरविन्द केजरीवाल ने किया था। इस वादे के बदले दिल्ली वालों को उन्होंने ऐसा पानी पिलाया कि पहले से भी दुगना-तिगुना बिल देना पड़ रहा है।

U टर्न नम्बर 12
ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए पक्की नौकरी का वादा भी केजरीवाल ने किया था, पर अब उस वादे से भी U टर्न ले चुके हैं।

U टर्न नम्बर 13
बीजेपी अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, पर जब मानहानि के केस का सामना करना पड़ा तो मामला वापस ले लिया।

U टर्न नम्बर 14
गडकरी मानहानि केस में ही अरविन्द केजरीवाल ने ज़मानत के लिए 10 हज़ार रुपये के बॉन्ड भरने से इनकार कर दिया और 21 मई 2014 को उन्हें जेल जाना पड़ा। फिर अपने रुख से यू टर्न लेते हुए बॉन्ड भरने को राजी हुए। आखिरकार 26 मई 2014 की शाम नरेन्द्र मोदी सरकार के शपथ लेने के दो घंटे बाद रात 8 बजे केजरीवाल जेल से बाहर आ सके।

U टर्न नम्बर 15
मुख्यमंत्री रहते अरविन्द केजरीवाल ने एक टीवी इंटरव्यू में पुलिस के जवानों को ठुल्ला कहा था, बवाल होने पर U टर्न लेते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के लिए उन्होंने इस शब्द का प्रयोग किया था। अपने कहे पर उन्होंने माफी भी मांगी

U टर्न नम्बर 16
केजरीवाल ने 23 दिसम्बर 2012 को ट्वीट करते हुए धारा 144 को गलत बताया था। आगे भी अपने और साथियों के खिलाफ इस धारा के इस्तेमाल को गलत करार दिया था। लेकिन सत्ता में आने पर उन्होंने खुद अपने ही पूर्व साथियों के खिलाफ इस धारा का तब इस्तेमाल किया जब विधानसभा के बाहर वो प्रदर्शन कर रहे थे।

U टर्न नम्बर 17
13 फरवरी, 2015 को दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए केजरीवाल ने कहा था- “…मैं पांच साल तक दिल्ली में रहकर केवल और केवल दिल्ली के लोगों की सेवा करूंगा और अपनी जिम्मेदारी को पूरे तन-मन से निभाने की कोशिश करूंगा…“ 8 सितम्बर 1016 को पंजाब में चुनाव सभा के दौरान यू टर्न देखिए…पंजाब छोड़कर नहीं जा रहे। दो चार दिन बीच-बीच में दिल्ली जाएंगे लेकिन बादलों को जेल भिजवाकर ही पंजाब छोड़ेंगे।

U टर्न नम्बर 18
केजरीवाल सरकार विधानसभा में पेश करने से पहले बिल ड्राफ्ट्स को LG के पास नहीं भेजने पर अड़ी थी। बाद में सरकार को U टर्न लेना पड़ा और सारे ड्राफ्ट्स LG के पास भेजे जाने लगे।

U टर्न नम्बर 19
केजरीवाल ने बिहार चुनाव में किसी भी दल या नेता का समर्थन करने से इनकार किया, लेकिन बाद में नीतीश कुमार के लिए दिल्ली में रह रहे बिहारियों से वोट करने की अपील की।

U टर्न नम्बर 20
चुनावी वादों को पूरा करने पर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यू टर्न लिया। दिल्ली में एक समारोह के दौरान 21 अप्रैल को उन्होंने कहा कि पांच साल में 100 फीसदी नहीं भी हो तो 40-50 फीसदी वादे पूरा करना भी काफी होगा।

U टर्न नम्बर 21
चुनाव में पंजाब को ललचाई नज़र से देख रहे अरविन्द केजरीवाल ने सतलज यमुना लिंक के पानी पर पंजाब का अधिकार तो बता दिया लेकिन जैसे ही हरियाणा सरकार ने मुनक नहर का पानी दिल्ली को देने पर पुनर्विचार की धमकी दी, मुख्यमंत्री केजरीवाल को यू टर्न लेना पड़ा।

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